CNE REPORTER, ALMORA
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर द्वादश ज्योतिर्लिंग जागेश्वर धाम में हजारों लोगों ने ब्रह्मकुंड में स्नान कर भोलेनाथ के दर्शन किए। वहीं सुबह से ही सैकड़ों लोगों ने यज्ञोपवीत भी कराये। पौराणिक परंपराओं के अनुसार मकर संक्रांति (माघ माह) में भगवान भोलेनाथ एक माह के कठोर तप के लिए गुफा में चले गए थे। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए आज भी मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर जागेश्वर धाम के ज्योतिर्लिंग जागनाथ में विशेष पूजन किया जाता है। इस बार 51 किलो गाय के घी से गुफा तैयार की गई थी। घी को पानी में उबालकर शुद्ध किया जाता है। उससे गुफा रूप तैयार कर एक माह के लिए भोलेनाथ को गुफा से ढंक देते हैं। यह प्रकिया धाम के मुख्य पुजारी हेमंत भट्ट द्वारा पूरे मंत्रोच्चारण व विधिविधान से की गई। एक माह के बाद उस गुफा रूपी घी को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस घी को अपने सिर में मलने से समस्त प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है। कई असाध्य रोगों के लिए यह वरदान साबित होता है। वहीं आज से भगवान सूर्य उत्तरायण में प्रवेश करेंगे। उल्लेखनीय है कि कि गुफा रूपी शिवलिंग का प्रसाद तमाम औषधीय गुणों से युक्त होता है। गाय के शुद्ध घी से तैयार चमत्कारी प्रसाद को माईग्रेन, सिर की अनेक व्याधियों और चर्म रोग को जड़ से दूर करने की रामबाण औषधि माना गया है। इसी विश्वास के चलते विभिन्न प्रांतों के शिव भक्त इस प्रसाद को मंगाते हैं अथवा इसे प्राप्त करने के लिए जागेश्वर धाम आते हैं।