खुशखबरी : अल्मोड़ा शहर में A.C.E खुला, छात्रों-युवाओं को देगा महानगरों जैसी कोचिंग सुविधा, देश-विदेश से उच्च प्रशिक्षण प्राप्त अल्मोड़ा के ‘आयुष्मान’ छात्र-छात्राओं के लिए बनकर आए ‘आशीर्वाद’

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा इस बात में न तो जरा भी शंका है और न ही कोई अतिशयोक्ति है कि ‘पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं…


सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

इस बात में न तो जरा भी शंका है और न ही कोई अतिशयोक्ति है कि ‘पहाड़ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है।’ मगर कमी है सुख-सुविधाओं की, उचित मार्गदर्शन व तैयारी कराने वाले संस्थानों की। कुछ सम्पन्न परिवारों के युवा भले ही बाहर अच्छे संस्थानों में बेहतर कोचिंग या उच्च शिक्षा के लिए जा पाते हैं, किंतु युवाओं का एक बड़ा तबका अपने घर के करीब अच्छी सुविधाओं के लिए लालायित है। पहाड़ के युवाओं के इसी दर्द को समझ पाए हैं अल्मोड़ा के होनहार युवा आयुष्मान अग्रवाल। जो लखनऊ स्थित भारत के प्रतिष्ठित संस्थान से बी. टेक, एमबीए और फ्रांस से प्रशिक्षण प्राप्त हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नौकरी के ऑफर को ठुकरा कर और बंगलौर की प्रतिष्ठित कंपनी की सेवा को त्याग कर आयुष्मान ने अपने पहाड़ में युवाओं को बेहतर कोचिंग सुविधा और सशक्त मार्गदर्शन देकर उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तराशने का बीड़ा उठाया है। वह भी ऐसे दौर में जब कोरोनाकाल में प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे हजारों लोग नौकरी से हाथ धोकर बेरोजगारों की कतार में खड़े हो गए।
कोरोना महामारी के दौर ने बेरोजगारी की बयार सी चला दी। कोरोनाकाल में रोजी रोटी का जुगाड़ टूट जाने से अपने घर लौट आए युवाओं से उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों के शहर-गांव अपने युवाओं से आबाद हो गये हैं। ऐसे में उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के लिए बाहर जाकर बेहतर कोचिंग करने या बहुराष्ट्रीय कंपनियों में प्रवेश का ख्वाब संजोये युवाओं के सामने भी मुश्किल खड़ी हो गई। अल्मोड़ा के होनहार युवा आयुष्मान अग्रवाल को युवाओं के इस दर्द ने कचोटा, तो उन्होंने युवाओं के लिए अपने अल्मोड़ा क्षेत्र में कुछ नई राह खोलने की ठानी। आयुष्मान की अन्य लोगों कोरोना में जाॅब नहीं छूटी बल्कि अपने खूबसूरज अल्मोड़ा क्षेत्र के युवाओं के लिए कुछ नया करने की तमन्ना और पहाड़ मोह उन्हें खींच लाया और वह त्यागपत्र देकर अल्मोड़ा आ गए। यहां पहुंचकर बिना देर किए उन्होंनेे बेरोजगारों व विद्यार्थी-युवा वर्ग के लिए एक कोचिंग संस्थान खोल डाला। जिसे नाम दिया है- ‘एसीई एजूकेशन कोचिंग संस्थान’। जो फिलहाल अल्मोड़ा के मिलन चैक के समीप श्याम होटल के प्रथम तल में संचालित हो चुका है।
एक मुलाकात में आयुष्मान का कहना है कि कोचिंग संस्थान काफी हैं, लेकिन उनका लक्ष्य अनुभवी व उच्च प्रशिक्षितों के जरिये कोचिंग देकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर उच्च प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए युवाओं को तैयार करना है, ताकि सफलता के उच्च पायदान पर चढ़ सकें। आयुष्मान ने बताया कि उन्होंने बैंगलोर में 2 साल प्रतिष्ठित कंपनी में नौकरी की। वह लखनऊ, गुड़गांव व विदेश में भी रहे। इस दौरान जब भी उनका घर अल्मोड़ा आना हुआ, तब-तब उनके जेहन में इस बात की ठेस पहुंचती थी कि यहां के छात्र-छात्राओं व युवाओं को उचित शैक्षिक माहौल व मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है। जो बड़े महानगरों में विद्यार्थियों को कोचिंग सेंटरों के जरिये मिलता है। तब उन्होंने यहां के युवाओं को बड़े महानगरों की तर्ज पर कोचिंग सुविधा देने का निश्चिय किया। इस लक्ष्य पर खरा उतरने के लिए उन्होंने एसीई एजूकेशन कोचिंग संस्थान शुरू किया है। उन्होंने बताया कि इस संस्थान को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और बेहतर मार्गदर्शन से ऐसा बनाया जा रहा है कि इस क्षेत्र के छात्रों व युवाओं को हल्द्वानी, देहरादून, दिल्ली या अन्य दूर शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। आयुष्मान कहते हैं कि अल्मोड़ा एक बौद्धिक नगरी है और एक से बढ़कर एक प्रतिभाएं छिपी हैं, लेकिन उन्हें मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। ऐसे में उनका संस्थान एक सुदृढ़ मार्गदर्शक का काम करेगा। होनहार युवा आयुष्मान ने प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ अपनी सोच व लक्ष्य पर खरा उतरने के लिए प्रयास तेजी से शुरू कर दिए हैं। उन्होंने उच्च पैकेज पर आॅफर होने के बावजूद सिर्फ अपने बारे में नहीं सोेचा बल्कि क्षेत्र के सभी युवाओं के हित में कार्य करने की ठानी है, जो एक सराहनीय एवं प्रेरणादायी मिशाल है।

कौन हैं आयुष्मान अग्रवाल :-
आयुष्मान जन्म से अल्मोड़ा के निवासी हैं, जो अल्मोड़ा के त्यूनरा मोहल्ला, निकट नंदादेवी निवासी प्रतिष्ठित व्यवसायी मनीष अग्रवाल के पुत्र एवं प्रतिष्ठित व्यवसायी अजय अग्रवाल के भतीजे हैं। आयुष्मान ने अपनी विद्यालयी शिक्षा अल्मोड़ा नगर से ही प्राप्त की है। तत्पश्चात पंतनगर विश्वविद्यालय में बी.टेक में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 21 साल की छोटी उम्र में भारत के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईएम लखनऊ से एमबीए करने के बाद फ्रांस से प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके बाद वह प्रतिष्ठित बहुराष्ट्रीय कंपनियों में अच्छे पैकेज पर जाॅब कर रहे थे। जहां से वह सब छोड़कर उन्होंने अपने देश-विदेश और प्रशिक्षणों के अनुभव के आधार पर अपने क्षेत्र के युवाओं का मार्गदर्शक बनने की ठानी है।

एसीई (Agarwal Centre of Excellence) कोचिंग की खासियत :

इस संस्थान में शुरूआत मेें बोर्ड के बच्चों की पढ़ाई शुरू हो चुकी है। उत्तराखंड बोर्ड समेत सीबीएसई, आईसीएसई व आईएससी बोर्ड के हाईस्कूल व इंटर के विद्यार्थी अध्ययन के लिए प्रवेश लेनेे लगे हैं। सुबह 7 बजे से शाम 7 बजे तक बैच चल रहे हैं। बिल्कुल नए पैटर्न पर छात्र-छात्राओं को बोर्ड परीक्षा की तैयारी कराई जा रही है। जिसके तहत नियमित ढंग से टेस्ट पेपर साॅल्व कराये जा रहे हैं। हर रविवार को बोर्ड एक्जामिनेशन की तर्ज पर छात्र-छात्राओं की परीक्षा ली जा रही है, ताकि बच्चे बोर्ड परीक्षा के लिए पूरी तरह तैयार हो सकें। सरकारी नौकरी के लिए फिलहाल एसएससी की कोचिंग भी शुरू कर दी गई है।

ये है ए.सी.ई का लक्ष्य :
इस बात को ध्यान में रखा गया है कि इस क्षेत्र में छात्रों व युवाओं को सिर्फ चुनिंदा दो, चार, छः प्रकार की नौकरियों के बारे में खासतौर से जानकारी रहती है। करियर काउंसिलिंग की ठोस सुविधा नहीं होने से बेहतर राह नहीं मिल पाती है। संस्थान का लक्ष्य है कि नियमित करियर काउंसिलिंग के जरिये छात्रों-युवाओं को सरकारी व प्राइवेट सेक्टर की तमाम नौकरियों और उनके लिए जरूरी योग्यताओं के बारे में बेहतर तरीके से समझाया जाएगा और उनकी रुचि के अनुसार उसी क्षेत्र के लिए तराशा जाएगा। सर्वप्रथम काउंसिलिंग के जरिये युवा का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा। तब उसे तराश कर बेहतर मार्गदर्शन से सफलता के लायक बनाया जाएगा, ताकि युवा सम्मानजनक रोजगार प्राप्त कर आत्मनिर्भर बने। यही लक्ष्य संस्थान का है।
एसीई से जुड़ी उच्च शिक्षित-प्रशिक्षित की टीमः आयुष्मान अग्रवाल अकेले नहीं बल्कि उनके एसीई एजूकेशनल संस्थान से उच्च शिक्षित-प्रशिक्षित प्रशिक्षकों की टीम जुड़ चुकी है। बहुराष्टीय कंपनियों में विभिन्न उच्च पदों पर कार्य करके अनुभव बटोर चुकी सुगंधा अग्रवाल, यूके बोर्ड की मेरिट में द्वितीय एवं पंतनगर से बी.टेक योग्यताधारी वैभव कांडपाल जैसे लोग एसीई से प्रशिक्षक के तौर पर जुड़ चुके हैं। निकट भविष्य में कुछ ऐसे अन्य लोग संस्थान से जुड़ेंगे।

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