13 अप्रैल (मंगलवार) हिंदू नववर्ष : – “राक्षस” नाम संवत्सर से जाना जाएगा नव संवत्सर 2078 ! मंगल जैसे क्रूर ग्रह को मिले हैं राजा—मंत्री दोनों पद…जानिये, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कैसा रहेगा यह साल….

नव संवत्सर 2078 (चैत्र नवरात्र) विशेषज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सनातन धर्म में नया वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है।…


नव संवत्सर 2078 (चैत्र नवरात्र) विशेष
ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सनातन धर्म में नया वर्ष चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से शुरू होता है। 13 अप्रैल (मंगलवार) को हिंदू नववर्ष नव संवत्सर 2078 आरंभ हो रहा है। पूरी दुनिया में हिंदू धर्म की एक अलौकिक छवि है। भारतवर्ष एक ऐसा देश है जहां किसी भी समुदाय का कोई भी छोटे से बड़ा त्यौहार बड़ी ही उत्सुकता के साथ मनाया जाता है। उसी क्रम में शामिल है हिंदू नव संवत्सर जिस दिन से चैत्र नवरात्र प्रारंभ होते हैं। आइए जानते हैं कि भारतवर्ष में नव वर्ष चैत्र माह से क्यों प्रारंभ होता है। नया साल, हिंदू नववर्ष भारतीय कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से मनाया जाता है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है।

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चैत्र के महीने के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि (प्रतिपद या प्रतिपदा) को सृष्टि का आरंभ हुआ था। हमारा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को आरंभ होता है। इस दिन ग्रह और नक्षत्र मे परिवर्तन होता है। हिन्दी महीने की शुरूआत इसी दिन से होती है। हिंदू नव वर्ष का शुभारंभ मानो प्रकृति भी बड़े उल्लास के साथ मना रही होती है चारों तरफ हरियाली छाने लगती है नए फूल खिलते हैं पेड़-पौधों मे फूल, मंजर, कलिया आना प्रारम्भ होता है, वातावरण मे एक नया उल्लास होता है जो मन को आह्लादित कर देता है। जीवो में धर्म के प्रति आस्था बढ़ जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था। भगवान विष्णु जी का प्रथम अवतार भी इसी दिन हुआ था।

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नवरात्र की शुरूआत इसी दिन से होती है। जिसमे हमलोग उपवास एवं पवित्र रह कर नव वर्ष की शुरूआत करते है। परम पुरूष अपनी प्रकृति से मिलने जब आता है तो सदा चैत्र में ही आता है। इसीलिए सारी सृष्टि सबसे ज्यादा चैत्र में ही महक रही होती है। वैष्णव दर्शन में चैत्र मास भगवान नारायण का ही रूप है। चैत्र का आध्यात्मिक स्वरूप इतना उन्नत है कि इसने वैकुंठ में बसने वाले ईश्वर को भी धरती पर उतार दिया।

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ऎसे समय में सूर्य की चमकती किरणों की साक्षी में चरित्र और धर्म धरती पर स्वयं श्रीराम रूप धारण कर उतर आए, श्रीराम का अवतार चैत्र शुक्ल नवमी को होता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि के ठीक नवे दिन भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। आर्यसमाज की स्थापना इसी दिन हुई थी। यह दिन कल्प, सृष्टि, युगादि का प्रारंभिक दिन है। संसारव्यापी निर्मलता और कोमलता के बीच प्रकट होता है बाहर-भीतर जमीन-आसमान सर्वत्र स्नानोपरांत मन जैसी शुद्धता होती है। सारी वनस्पति और सृष्टि प्रफुल्लित होती है, पके मीठे अन्न के दानों में, आम की मन को लुभाती खुशबू में, गणगौर पूजती कन्याओं और सुहागिन नारियों के हाथ की हरी-हरी दूब में तथा वसंतदूत कोयल की गूंजती स्वर लहरी में। चारों ओर पकी फसल के दर्शन,आत्मबल और उत्साह उत्पन्न करता है।

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नई फसल घर मे आने का समय भी यही है। इस समय प्रकृति मे उष्णता बढ्ने लगती है, जिससे पेड़-पौधे, जीव-जन्तु मे नव जीवन की उत्पत्ति होती है। हर कोई आनंद में मंगलमय गीत गुनगुनाने लगते हैं। जनमानस के साथ-साथ प्रकृति भी चारों हाथ फैला कर हमारे नव संवत्सर हिंदू नव वर्ष का शुभारंभ करने के लिए तैयार बैठी हो।

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हिंदू संवत्सर 2078 “राक्षस” नाम संवत्सर से जाना जाएगा
चैत्र मास की प्रतिपदा इस वर्ष 13 अप्रैल मंगलवार के दिन होगी क्योंकि उस दिन सूर्योदय के समय प्रतिपदा तिथि चल रही होगी अत: वर्ष का राजा ‘मंगल होगा’। संयोग से 13 अप्रैल को ही सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे जिस कारण से मंगलवार के दिन ‘मेष संक्रांति’ होने पर वर्ष के ‘मंत्री’ का पद भी मंगल देव को ही मिलेगा। ऐसा संभवता कई दशकों के बाद होता है कि जब वर्ष के राजा और मंत्री का पद एक ही देव को प्राप्त हो। मंगल जैसे क्रूर ग्रह को दोनों पद प्राप्त होना ‘युद्ध और उत्पात’ जैसी परेशानियों को बढ़ावा दे सकता है।

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जनता के लिए ठीक नहीं ग्रहों का ऐसा संयोग
मंगल देव के राजा और मंत्री बनने पर “देश का राजा (यानि सरकार) बेहद कड़े और जनता के हितों के प्रतिकूल निर्णय ले सकती है। महंगाई, अग्निकांड, असामान्य वर्षा, बिजली गिरने,भूकंप ,भूस्खलन जैसी घटनाएं अधिक हो सकती हैं, लोभ बढ़ेगा और फसलों को नुकसान हो सकता है। सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। विदेशी निवेश में लाभ मिलता दिख सकता है। सामान्य जन मानस को रक्त विकार व चिड़चिड़ापन संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नव संवत्सर की बात करते हैं तो वैश्विक महामारी कोरोना वायरस लगभग 30 मई तक और भयावह स्थिति में देखा जा सकता है उसके बाद धीरे-धीरे स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार आएगा और टीकाकरण अभियान में तेज़ी आने से कोरॉना का प्रकोप कम होता हुआ दिखेगा इसके अलावा पित्त सम्बन्धी रोग बढ़ सकते है ।

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