ब्रेकिंग न्यूज : देवप्रयाग का आदमखोर गुलदार शिकारी जॉय हुकील ने किया ढेर, पूरा किया 38वां शिकार, लोगों ने ली राहत की सांस

तेजपाल नेगीदेव प्रयाग। देवप्रयाग क्षेत्र में कई दिनों से आतंक बरपा रहा नरभक्षी गुलदार को आखिरकार शिकारी जॉय हुकील ने ढेर कर ही दिया है।…

तेजपाल नेगी
देव प्रयाग।
देवप्रयाग क्षेत्र में कई दिनों से आतंक बरपा रहा नरभक्षी गुलदार को आखिरकार शिकारी जॉय हुकील ने ढेर कर ही दिया है। देवप्रयाग का नरभक्षी उनका 38वां शिकार बना। कल आधीरात को 12 बजे उनकी बंदूक से निकली एक गोली ने ही 6—7 वर्षीय नरभक्षी का काम तमाम कर ही दिया था लेकिन शिकारी चाहते थे कि वे आदमखोर की मौत सुनिश्चित कर लें इसलिए उस पर दो गोली भी दागी गई।
शिकारी जॉय हुकील ने बताया कि पिछले कई दिनों से एक गुलदार क्षेत्र में लोगों पर हमले का प्रयास कर रहा था। शाम सात से आठ बजे के बीच ही गुलदार गांवों में घुस जाता कई बार तो वह बच्चों के बीच घुसकर हमले का प्रयास भी कर चुका था। लेकिन उसके हमले में कोई घायल नहीं हुआ था। फिर उसने एक महिला पर हमला कर दिया। इस हमले में महिला घायल हो गई। कुछ दिन बाद ही उसने देवप्रयाग के तुणाजी गांव के पेट्रोल पंप के पास एक ग्रामीण को मार डाला। इसके बाद वन विभाग ने उसे नरभक्षी घोषित किया और उसे मारने की जिम्मेदारी अब तक 37 शिकार कर चुके शिकारी जॉय हुकील के कंधों पर डाली गई। जॉय अपने दो साथियों सुल्तान सिंह और अजहर के साथ मौके पर जा डटे।
जहां आदमखोर ने ग्रामीण को निशाना बनाया था उसके आसपास कैमरा ट्रेप लगाए गए और मौके का निरीक्षण किया गया। मौके पर गुलदार के पैरों के निशान पाए गए थे। इसकी विवेचना करने पर शिकारी दल को आभास हो गया कि नरभक्षी 6 से सा7 साल के बीच का नर गुलदार है। शिकारी इन निशानों से यह भी समझ गए थे कि उसके आगे के पैर के कई नाखून खत्म हो चके हैं। संभवत: जंगल में इसी वजह से वह शिकार नहीं कर पा रहा होगा और इंसानी बस्तियों की ओर रूख करने को मजबूर होगया होगा।
जो भी हो नरभक्षी और नुकसान करे इससे पहले ही उसे ढेर करने के लिए रणनीति बनाई गई। कैमरा ट्रेप ने शिकारी दल का काम और आसान कर दिया। वे कैमरा ट्रेप की मदद से नरभक्षी के मूवमेंट के बारो में अच्छी तरह से समझ गए और कल रात उसी स्थान पर डेरा डाल कर बैठ गए जहां आदमखोर ने ग्रामीण को निशाना बनाया था। रात 12 बजे उस स्थान से लगभग 100 कदम की दूरी पर अचानक हलचल हुइ्र और झाड़ियों से निकल कर एक साढ़े सात फीट का गुलदार निकल कर लंबूदार हो गया। शिकारी दल तो पहले ही मोर्चा संभाले बैठा। जॉय ने अपने साथियों के साथ इशारे में तस्दीक किया कि यह वही आदमखोर है जिसका वे इंतजार कर रहे हैं। इससे पहले की गुलदार उन्हें देख कर उन पर हमला करता जॉय हुकील की बंदूक से आग निकली और सीधे गुलदार की छाती में जा समाई। गोली लगते ही गुलादार कई फीट उछला और वापस जमीन पर जा गिरा। उसके शरीर में प्राण थे अब शिकारियों को उसका काम तमाम करना बाकी था, अचानक एक और धमाका हुआ और आदमखोर का शरीर शांत हो गया। शिकारियों की टीम उसके पास पहुंची और उसके मरने की पुष्टि की। इस प्राकर देवप्रयाग का यह ताजा आतंक अब सिर्फ किस्से और कहानी का हिस्सा बन गया।
जॉय ने बताया कि नरीक्षी के आगे के पैरों के कई नाखून बहुत कमजोर हो चुके थे। वह जंगली जानवरों का शिकार करने की स्थिति में नहीं रह गया था।

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