स्मृति शेषः सरल स्वभाव एवं मृदुभाषी गुण से सदैव लोकप्रिय रहे ‘बचदा‘, लगातार चार बार सांसद बनने का बनाया था रिकार्ड

सीएनई डेस्क, अल्मोड़ापूर्व केंद्रीय मंत्री रहे स्व. बची सिंह रावत ‘बचदा‘ उत्तराखंड के दिग्गज एवं नामी नेताओं में शुमार रहे। उन्होंने अल्मोड़ा संसदीय सीट से…

सीएनई डेस्क, अल्मोड़ा
पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे स्व. बची सिंह रावत ‘बचदा‘ उत्तराखंड के दिग्गज एवं नामी नेताओं में शुमार रहे। उन्होंने अल्मोड़ा संसदीय सीट से लगातार चार बार सांसद बने रहने का रिकार्ड बनाया। अपने बेहद सरल स्वभाव एवं मृदुभाषी गुण से ‘बचदा‘ सदैव लोकप्रिय रहे। उन्होंने पार्टी में कई दायित्वों का निर्वहन किया।

अल्मोड़ा जनपद के रानीखेत तहसील अंतर्गत जीवनी बची सिंह का जन्म 1 अगस्त 1949 को रानीखेत के निकटवर्ती गांव थापला में हुआ था। इन्होंने स्कूली शिक्षा अल्मोड़ा में प्राप्त की और परस्नातक की शिक्षा लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रहण की। वहीं से उन्होंने विधि की उपाधि ली जबकि आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एम.ए. किया। दिग्गज नेता के रूप में पहचान बनाने वाले बची सिंह रावत ने अपना राजनैतिक सफर रानीखेत से शुरू किया।

जब वह रानीखेत में वकालत करते थे, तो तभी सन् 1969 में जनसंघ से जुड़ गए और वर्ष 1991-92 में पहली बार तत्कालीन उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए रानीखेत से विधायक चुने गए। जनता में अच्छी पैठ होने से वर्ष 1993 में रानीखेत में हुए उपचुनाव में फिर विजयी हुए। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व उप मंत्री बने। इसके बाद बचदा सफलता के साथ राजनैतिक पायदान चढ़ते चले गए और सन् 1996 में अल्मोड़ा लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर सांसद बने।

सांसद बनने के साथ ही बचदा के कदम राष्ट्रीय राजनीति में पड़ गए। इसके बाद जनता में लोकप्रिय रहे बचदा ने वर्ष 1998, 1999 और 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में लगातार अल्मोड़ा संसदीय सीट से जीत बरकरार रखी और लगातार चार बार सांसद बने रहे। इस दौरान सन् 1998-99 तक सूचना प्रसारण मंत्रालय के सलाहाकर रहे। इसके बाद सन् 1999 में पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला।

तत्पश्चात वर्ष 1999 से 2004 तक केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री रहे। बाद में केंद्रीय नेतृत्व ने बची सिंह रावत को उत्तराखंड में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। खास बात ये है कि उत्तराखंड निर्माण से पहले बचदा उत्तर प्रदेश में 2 बार विधायक बने, किंतु उन्होंने उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। वह वर्ष 2012 उत्तराखंड चुनाव में भाजपा प्लानिंग कमेटी के चेयरमैन रहे।

15वें लोकसभा चुनाव में नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा सीट के टिकट पैनल में नाम शामिल नहीं होने से पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत नाराज हो गए और उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि पार्टी में बतौर कार्यकर्ता वह सक्रिय रहे।

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