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हल्द्वानी। सितारगंज के पूर्व विधायक और कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण पाल 18 मई को उधमसिंह नगर की औद्योगिक इकाईयों में किए जा रहे श्रमिकों के शोषण के खिलाफ श्रम कार्यालय पर धरना देंगें। उन्होंने इस कार्यक्रम की पूर्व सूचना श्रमायुक्त को भी भेज दी है। नारायण पाल ने अपने पत्र में कहा है कि लाक डाउन के दौरान राज्य सरकार द्वारा लागू की गई अघोषित इमरजेंसी में उद्योगों में काम करने वाले श्रमिकों को पैसा नहीं दिया जा रहा है। यह सब कंपनी मालिको, ठेकेदारों और श्रम विभाग के अनैतिक गठबंधन की वजह से ही संभव हुआ है। सरकार ने अब श्रम अवधि को आठ घंटे के बढ़ा कर 12 घंटे तो कर दिया लेकिन स्थाई व अस्थाई श्रमिकों को मिलने वाली भुगतान राशि को वर्गीकृत नहीं किया। उन्होंने कहा है कि शक्तिफार्म, सितारगंज, पंतनगर व रुद्रपुर के उद्योगों में सरकार के इस अधूरे आदेश की आड़ में श्रमिकों का जमकर शोषण हो रहा है। इसके विरोध में वे 18 मई को श्रम कार्यालय में सुबह साढ़े दस बजे से धरना देंगे इसके बाद ज्ञापन सौंपा जाएगा।

1 COMMENT

  1. Sir हमारी कंपनी shirdi industry Ltd rudrapur का bhe यही हाल है श्रमिकों को निकाल रहे है और January और मार्च की salery abhee तक नहीं दी. श्रम विभाग bhe कुछ नहीं कर रहा है. यहा गरीबों को koie नहीं सुन रहा सब मैनेजमेंट और श्रम विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत है plz कुछ करो help

    शिरडी श्रमिक संगठन के सभी साथियों को मेरा नमस्कार ?

    साथियों आप सब सब कुशल मंगल के साथ होंगे
    साथियों आज मैं सभी लोगों से कहना चाहता हूं की अपने संगठन के प्रति वफादार रहे और कोई भी संगठन से अलग होकर अपना भविष्य नहीं बना सकता कल को उसका भविष्य कंपनी में बहुत भयंकर हो सकता है जो संगठन से अलग जाएगा
    साथियों पुराने जमाने में कहा जाता था की नौकरी करो तो सरकारी नहीं तो बेचो भाजी तरकारी
    साथियों आज यह बात सत्य है जिन लोगों की सरकारी नौकरी है वही इस समय महामारी के समय सही है और या तो जिनकी सिडकुल में अच्छी कंपनी है वही वही लोग सरकारी नौकरी के समान है हम जैसी जिस कंपनी में काम कर रहे हैं वह तो लाला की नौकरी है नाम से तो लिमिटेड कंपनी है परंतु उस लिमिटेड का क्या अचार डालना है जिसने हम लोगों को बुरे वक्त में साथ नहीं दिया और आज 3 महीने से हम लोग अपनी कमाई हुई सैलरी के लिए संघर्ष कर रहे हैं कि हमें मिल जाए पर लाला और उसके चमचे हमारी कमाई हुआ पैसा तक नहीं दे रहा है तो सोचने वाली बात है की जो आदमी शिर्डी जैसी कंपनी में अपने साथियों के साथ गद्दारी करेगा वह इंसान कहने लायक नहीं है
    साथियों मैं एक बात और कहना चाहता हूं कि जिस भाई से हो सकता है आजकल मेहनत करके सब्जी फल या कुछ छोटा-मोटा सामान बेचकर अपना कमा सकता है मेहनत रंग आती है मेहनत का फल बहुत अच्छा होता है शर्म करने की बात नहीं है जितना हमें शिर्डी में एक दिन का मिलता है उसका कम से कम 70 परसेंट तो कमाही सकते हैं तो भाइयों साथियों कंपनी जो कह रही है कि 40% काटकर सैलरी दूंगा तो उससे अच्छा हम अपना काम करें
    धन्यवाद

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