एक सत्य कथा — अवांछित
यह आधुनिक भौतिकवादी युग की कड़वी सच्चाई है कि माता—पिता जब तक काम के रहते हैं बेटे—बहू उनकी पूछ करते हैं, लेकिन यदि वह बूढ़े, अशक्त, लाचार व अपने बच्चों पर आश्रित हो जायें...
व्यंग्य लघुकथा — ‘वास्तविकता’ : अनुभवहीन पुलिस के खोजी कुत्ते
आचार्य भगवान देव ‘चैतन्य’, हिमाचल प्रदेश
गांव में चोरी और हत्या जैसी वारदातें जब बहुत बढ़ गई तो पुलिस ने खोजी कुत्तों का सहारा लिया, लेकिन कुछ ही समय में इन कुत्तों को वापस भेज...
व्यंग्य लघु कथा — इंसानों ने बढ़ा दिया रूतबा
— रोहित यादव, हरियाणा
सड़क के एक मोड़ पर दो बाइक सवार आपस में टकराकर गिर पड़े। सड़क से उठते हुए एक व्यक्ति ने गुस्से में आकर दूसरे व्यक्ति से कहा, ‘‘सूअर की औलाद, देखकर...
व्यंग्य लघु कथा : जंगल राज में किसी ने कुछ नहीं देखा
कृष्णा कुमार, तलवंडी, राजस्थान
एक दिन जंगल में मंकू सियार की बेटी नूरी नदी पर जल भरने जा रही थी। रास्ते में उसे कालू भेड़िया छेड़ने लगा। उसने आनाकानी की, चीखी-चिल्लाई, लेकिन किसी ने एक...