बागेश्वर के प्रभारी सीएमएस बोले- पहले मान्यता दिखाएं फिर सवाल पूछें पत्रकार, पत्रकारों में रोष, सुन रहे हैं न डीएम साहब

बागेश्वर। जिला अस्पताल से खबरें लेने के लिए अब पत्रकारों को पहले सरकारी मान्यता हासिल करनी होगी। आपको किसी खबर पर चिकित्सालय प्रबंधन की टिप्पणी…


बागेश्वर। जिला अस्पताल से खबरें लेने के लिए अब पत्रकारों को पहले सरकारी मान्यता हासिल करनी होगी। आपको किसी खबर पर चिकित्सालय प्रबंधन की टिप्पणी भी चाहिए तब भी आप पर यह नियम लागू होगा।
एक दैनिक समाचार पत्र के पत्रकार को तो फिलहाल प्रभारी चिकित्साधिकारी ने यह कह कर ही उल्टे पांव लौटा दिया। पत्रकार अस्पताल परिसर की कमियों के बारे में प्रभारी सीएमस अजय मोहन शर्मा के पास पहुंचा था।सीएमस ने सीधा कह दिया की आप मान्यता का कार्ड दिखां फिर ही आपको कोई जवाब दिया जाएगा। इस घटना की पत्रकार संगठनों व मीडिया से जुड़े तमाम लोगों ने निंदा की है। पत्रकार अपने गुस्से का इजहार अब डीएम के सामने करने की तैयारी कर रहे हैं।
वैसे अगर हम पत्रकारिता में मान्यता की ही बात करे तो जिले में सिर्फ 5 मान्यता प्राप्त पत्रकार हैं। एक दैनिक समाचारपत्र से शेष साप्ताहिक समाचारपत्रों से हैं। पत्रकारों के लिए सरकारी मान्यता वैसे भी सवालों के घेरे में ही रही हैं। जानकारी के अनुसार बागेश्वर से भी हर साल पत्रकार मान्यता के लिए अपनी फाईल भेजते हैं अंत में फाईल में क्या कमी है और उन्हें मान्यता क्यों नहीं मिली यह भी पता नहीं चल पाता।
मालूम हो कि देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में ऐसे कई नामी पत्रकार हैं जो अपने काम से कई मील के पत्थर छू चुके हैं और उन्हें किसी भी सरकार की मान्यता की जरुरत नहीं है। वैसे सीएमस सहाब ये भूल रहे हैं कि अगर अस्पताल परिसर में कोई भी व्यक्ति अव्यवस्थाएं देखे तो उनसे इस बारे में सवाल कर सकता है। फिर जरुरी नहीं कि वो कोई मान्यता प्राप्त पत्रकार ही हो। इस लोकतांत्रिक देश में हर एक नागरिक को अधिकार है कि वो सरकारी तंत्र से सवाल कर सकता है। वहीं इस बारे में बागेश्वर के श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष घनश्याम जोशी ने कहा है कि कहीं भी ऐसा नहीं लिखा है कि गैर मान्यता प्राप्त पत्रकार अगर पूरी निष्ठा से अपना काम कर रहा है तो वो किसी से सवाल नहीं कर सकता या फिर अपना काम नहीं कर सकता।श्रमजीवी पत्रकार यूनियन बागेश्वर इस घटना की निंदा करता है और यूनियन में चर्चा कर इस पर आगे रणनीति तय की जाएगी। पूर्व विधायक कपकोट ललित फर्स्वाण ने भी इस घटना की निंदा की है।उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का इस तरह से गला घोटना भाजपा सरकार में ही हो सकता है। वैसे जो भी हो मान्यता का कार्ड फेंककर आप सवालों से तो कतई नहीं बच सकते हैं। वो भी तब जब अव्यवस्थाओं का पुलिंदा आपके पास हो।

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