Haldwani : ऐसे तो साल भर में भी पूरा नहीं होगा कलसिया पुल निर्माण, यह है दिक्कत

सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी कुमाऊं की व्यापारिक मंडी हल्द्वानी से पहाड़ों को जोड़ने वाले कलसिया पुल का निर्माण एक बार फिर खटाई में पड़ गया है।…

सीएनई रिपोर्टर, हल्द्वानी

कुमाऊं की व्यापारिक मंडी हल्द्वानी से पहाड़ों को जोड़ने वाले कलसिया पुल का निर्माण एक बार फिर खटाई में पड़ गया है। आलम यह है कि पहले टेंडर के ठेकेदार द्वारा हाथ पीछे खींच लेने के बाद दो बार हुए टेंडरों के बावजूद कोई भी कांट्रेक्टर इस काम को कम बजट के चलते अपने हाथ में लेने को तैयार नहीं हो रहा है।

उल्लेखनीय है कि पहाड़ को आने—जाने वाले महत्वपूर्ण कलसिया नाले के ऊपर बनने वाले पुल के निर्माण के लिए अब तक तीन टेंडर हो चुके हैं। इसके​ बावजूद निर्माण कार्य ठेकेदारों द्वारा काम हाथ में नहीं लेने से पुल का निर्माण नहीं हो पा रहा है। बता दें कि सोमवार को विगत 09 माह भीतर तीसरी बार टेंडर हुआ था। हालांकि जब सबसे पहली बार टेंडर हुआ था तो ठेकेदार मिल गया था, लेकिन बजट को लेकर विवाद हो गया और ठेकेदार ने अपने हाथ पीछे खींच लिए, जिसके बाद दूसरे और तीसरे टेंडर में किसी ने हिस्सा ही नहीं लिया।

ज्ञातव्य हो कि, काठगोदाम चौकी से पहले कलसिया नाले के ऊपर दो पुल बने हैं। इन पुलों से हल्द्वानी व पहाड़ से आने—जाने वाले यात्री आवागमन करते हैं। पुल क्षतिग्रस्त होने के बाद विगत वर्ष अगस्त में एनएच ने टेंडर करा ठेकेदार का चयन कर लिया था। तब 2.34 करोड़ रुपये में टेंडर छूटा था, लेकिन पूरे 07 माह बाद काम शुरू करने के आदेश जारी हो पाए। इस बीच श्रमिक चार्ज व अन्य रेट बढ़ जाने पर ठेकेदार ने बगैर रेट बढ़ाए काम करने से साफ इंकार कर हाथ पीछे खींच लिए।

जिसके बाद विभाग द्वारा पुराने टेंडर को रद्द कर 28 मार्च को नया टेंडर निकाला गया, लेकिन तब भी किसी ने हिस्सा ही नहीं लिया। फिर 18 अप्रैल को नई तारीख तय हुई और सोमवार को भी पुल निर्माण के लिए एक भी टेंडर नहीं पड़ा। ईई संजीव राठी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अब फिर से टेंडर की तारीख तय की जाएगी।

इधर विभाग द्वारा बताया गया है कि कलसिया नाले के ऊपर 24 मीटर लंबा पुल बनना है। नाले के तल से इसके पिलर उठेंगे। एनएच के अनुसार निर्माणदायी संस्था के मिलने के बाद पुल के पूरी तरह तैयार होने में एक साल का वक्त लग सकता है। फिलहाल अस्थायी बैली ब्रिज से काम चल रहा है। वहीं पुराने ठेकेदार का कहना है कि फरवरी माह में काम करने से इंकार करना पड़ा। जिसका कारण यह है कि निर्माण सामग्री और मजदूरों की दर बढ़ चुकी है। इधर जेई विवेक कुमार ने बताया कि शासन से जो दरें निर्धारित हैं, उसके अनुसार तीन बार टेंडर जारी करना अनिवार्य होता है। दो बार हो चुका है अब तीसरी बार ई-टेंडर अपलोड किया जाएगा। यदि कोई ठेकेदार आवेदन नहीं करता है तो फिर नई दरों के लिए ठेकेदारों से प्रस्ताव मांगे जाएंगे। विभागीय सर्वे में प्राप्त दरों से उनका मिलान होगा और जो दरें निर्धारित होंगी, उन्हें शासन को भेजा जाएगा। शासन से मंजूरी मिलने के बाद फिर उन दरों पर टेंडर जारी किया जाएगा।

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