प्रवासियों की पीड़ा : कोरोना ने छीना रोजगार, गांव में भी करने को कुछ नही, दो माह में ही 2 लाख से अधिक उत्तराखंडी गांव लौटे

सीएनई रिपोर्टर कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से महानगरों से निरंतर प्रवासियों का उत्तराखंड लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। हैरानी की बात…

सीएनई रिपोर्टर

कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के बाद से महानगरों से निरंतर प्रवासियों का उत्तराखंड लौटने का सिलसिला लगातार जारी है। हैरानी की बात तो यह है कि कोरोना की लहर अब कम होने के बावजूद प्रवासी अब भी लगातार अपने गांव वापसी कर रहे हैं। सिर्फ 2 माह में ही दो लाख से अधिक उत्तराखंडियों ने घर वापसी की है।

उल्लेखनीय है कि विगत वर्ष से शुरू हुए कोरोना संक्रमण के प्रकोप से जहां लगातार उत्तराखंडी घर वापसी कर रहे हैं, वहीं उत्तराखंड के गांवों में न तो इनके लिए कोई रोजगार है और न ही गांव में करने के लिए खेती—बाड़ी ही है। अगर हालात नही सुधरे तो यहां बेरोजगारों की एक बड़ी फौज इस साल के अंत तक खड़ी हो जायेगी।

पिथौरागढ़ : घुरूड़ी में गोरी नदी किनारे मिला लापता महिला का शव

यह एक बड़ा सवाल है ​कि महानगरों से पलायन कर घर लौटने वाले युवा अब क्या कर रहे हैं ? यहां आने वाले अधिकांश बेरोजगारों ने छोटे—मोटे चाय—पानी के होटल, फास्ट फूट के ठेले लगाये हैं और जैसे—तैसे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। वहीं एक बड़ी संख्या ऐसी भी है, जो आर्थिक संसाधनों व हुनर के अभाव में सिवाए घर—कुड़ी पहराने के कुछ नही कर रहे। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈

आपको बता दें कि दिल्ली, मुम्बई, महाराष्ट्र जैसे महानगरों में नौकरी करने वाले उत्तराखंडियों को कोरोना की पहली व दूसरी लहर ने बुरी तरह प्रभावित किया। महानगरों में जहां उनकी नौकरियां चली गई, वहीं अब वह अपने घर—गांव पहुंच तो गये हैं, लेकिन यहां भी रोजगार का कोई साधन नही होने से युवाओं में मायूसी बढ़ रही है।

वायरल वीडियो उत्तराखंड : यहां बाइक की सीट के अंदर निकला किंग कोबरा

सरकारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 61 दिनों में देश के विभिन्न राज्यों से 2 लाख 886 उत्तराखंडी अपने—अपने गांव पहुंच चुके हैं। औसतन रोजाना 3293 लोग गांव पहुंच रहे हैं। विगत वर्ष करीब साढ़े तीन लाख उत्तराखंड लौटे थे, इस साल दूसरी लहर में सह संख्या और अधिक है। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि पिछले साल से अब तक 2 लाख प्रवासी वापस महानगर लौटे भी हैं। बावजूद इसके यह तस्वीर आज तक साफ नही हो पाई कि कितने ऐसे प्रवासी हैं जो आने के बाद वापस नही लौटे हैं। उम्मीद है कि कुछ माह बाद यह आंकड़ा मीडिया के पास उपलब्ध हो जायेगा।

उपलब्ध आकंड़े बता रहे हैं कि 21 अप्रैल से 22 जून तक की अवधि में विभिन्न राज्यों से सबसे अधिक लोग अल्मोड़ा व पौड़ी जिलों में पहुंचे हैं। यही दो जिले ऐसे हैं, जो पलायन से सर्वाधिक प्रभावित हैं। 61 दिन में अल्मोड़ा में 49199 और पौड़ी जिले के गांवों में 38412 लोग पहुंचे। नैनीताल में 25925, देहरादून में 22681, टिहरी में 14461, ऊधमसिंहनगर में 12823 प्रवासी पहुंचे हैं। वहीं अन्य जिलों में पहुंचने वाले प्रवासियों की संख्या 02 हजार से 06 हजार के बीच रही है। अलबत्ता घर—गांव वापस लौटने वाले प्रवासियों का सिलसिला अभी भी जारी है। घर लौटे जो बहुत से प्रवासी अब लौट कर नही जाना चाहते हैं उनका कहना है कि महानगरों में कोरोना की तीसरी लहर का पुन: खतरा है, जिसे देखते हुए अब वह लौटने से हिचकिचा रहे हैं।

Almora : एयरटेल कंपनी का थपलिया में 5 जी स्मॉल सैल अब ऑन एयर, मिल रहा बेहतर कवरेज व नेटवर्क स्पीड

प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराने के लिए लागू योजनाएं —

पूर्व सीएम त्रिवेंद सिंह रावत के दौर से ही प्रवासियों को घर पर ही रोकने व रोजगार मुहैया कराने के लिए कई प्रकार की योजनाएं शुरू की गई थीं। जिनमें एक है मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना” 28 मई 2020

इस योजना के तहत गांव लौटे जो प्रवासी अपने अनुभव के आधार पर मेन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में अपना व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, उन्हें राज्य सरकार 15 से 25 प्रतिशत तक सब्सिडी देगी। साथ ही, बैंकों से लोन दिलाया जाएगा। इस योजना के लिए मंत्रिमंडल ने फिलहाल 15 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया है। यह भी प्रावधान किया गया कि जिला योजनाओं में 40 प्रतिशत बजट स्वरोजगार योजनाओं-परियोजनाओं पर खर्च किया जाएगा। ताजा खबरों के लिए WhatsApp Group को जॉइन करें 👉 Click Now 👈

इसके अलावा “सौर स्वरोजगार योजना” के तहत 25-25 किलोवाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए बेरोजगारों को आमंत्रित किया गया। इस योजना का लक्ष्य 10 हजार लोगों को रोजगार देना है। इस योजना के तहत बेरोजगार युवा सब स्टेशन के पास ही सौर ऊर्जा प्लांट लगा सकेंगे, ताकि इस प्लांट से पैदा होने वाली बिजली ग्रिड तक पहुंचाई जा सके। साथ ही, प्रवासियों को 10 हजार बाइक टैक्सी लाइसेंस देने की भी योजना है, इसके लिए सरकार ब्याज मुक्त लोन दे रही है।

यह है योजनाओं की हकीकत —

प्रवासियों को घर रोकने की योजनाएं जमीन पर खरे नही उतर पा रही हैं। मिसाल के तौर पर सहकारी बैंक को ही ले लीजिए। जब प्रवासी योजना के बारे में पूछते हैं तो उन्हें सबसे पहले अपना खाता खुलवा कर मार्जिन मनी के तौर पर 20 प्रतिशत जमा कराने की सलाह दी जाती है। मान लीजिए, अगर 05 लाख रुपए का लोन चाहिए तो उन्हें 01 लाख रुपए अपने खाते में जमा कराने होंगे। अब यदि प्रवासी के पास यह एक लाख रूपया भी नही तो उसे लोन कैसे मिलेगा ? वहीं लोन में गारंटी मांगी जाती है, लेकिन दुर्भाग्य से कोरोना काल में कोई किसी का गारंटर भी बनने को तैयार नही हो रहा है। वहीं बहुत से प्रवासियों का आरोप है कि जब वह खेती, बागवानी आदि के लिए मदद मांगने गये तो सरकारी अधिकारियों ने सिवाए टालमटोली के कुछ नही किया। वहीं प्रवासियों का कहना है कि लोन लेने के बाद कोई काम शुरू भी कर दें तो बिक्री के लिए कहीं बाजार ही उपलब्ध नही हो पाता है।

समझ लीजिए, कोविड के दौर में अब महानगर सुरक्षित नही

बातचीत में हमें कई प्रवासियों ने कहा कि कोरोना कमजोर पड़ा है, खत्म नही हुआ है। आज कोविड के दौर ने उन्हें यह शिक्षा दी है कि अब महानगरों में रोजगार की कोई गारंटी नही है। वह यदि अपना घर—परिवार छोड़कर जाते हैं तो उन्हें साल—दो साल में दोबारा वापस लौटना पड़ सकता है।

अन्य खबरें

Uttarakhand : अब प्रतिबंध नही, कीजिए बाबा नीब करौरी के कैंची और विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम के दर्शन, जान लीजिए कोविड प्रोटोकॉल के यह नियम…..

बागेश्वर : अल्टो कार खाई में गिरी, दो लोगों की दर्दनाक मौत, रेस्क्यू कर शव खाई से निकाले

चमड़खान में मंदिर से पूजा करने के बाद सीढ़ी पर बैठी वृद्ध महिला पर गिरा चीड़, दर्दनाक मौत

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *