DART Mission : खतरे में पृथ्वी, एस्टेरॉयड से NASA की जंग अगले माह

Creative News Express (CNE) सोचिये, जब आप और हम अपने रोजमर्रा के कामों में मशगूल हों तभी अचानक आकाश से एक तेज प्रकाश पुंज धरती…

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सोचिये, जब आप और हम अपने रोजमर्रा के कामों में मशगूल हों तभी अचानक आकाश से एक तेज प्रकाश पुंज धरती की ओर बहुत तेज गति से आता दिखे और हम कुछ सोच या समझ पायें उससे पहले ही एक बड़ा धड़ाम, महाप्रलय और सब कुछ तबाह।

हम आपको डरा नहीं रहे, बल्कि एक ऐसे खतरे की ओर आगह कर रहे हैं तो अंतरिक्ष में हमारी धरती की तबाही के लिए कभी भी जिम्मेदार हो सकते हैं। यह कोई कपोर कल्पना नहीं, बल्कि हकीकत है कि एक बार पहले भी डायनोसोरस युग में ऐसा हो चुका है, जब अंतरिक्ष से आई आफत ने पूरे युग को समाप्त कर दिया था। इस अनदेखी आफत का नाम एस्टेरॉयड हैं, जो काफी संख्या में सदूर अंतरिक्ष में मौजूद हैं और इनमें से कुछ कई बार हमारी धरती के बेहद करीब से गुजर गये, लेकिन हमें शायद पता भी नहीं चला।

इसी तरह की एक मुसीबत बहुत तेजी से धरती की ओर बढ़ रही है, जिसका वैज्ञानिक नाम डिडिमोस एस्टेरॉयड (Didymos Asteroid) है। यह कभी भी धरती से टकरा एक बड़ी तबाही के लिए जिम्मेदार हो सकता है। शुक्र मनायें, कि इस आसमानी आफत से हमें बचाने के लिए अमेरिकी स्पेस ऐजेंसी नासा लगातार काम कर रही है। डिडिमोस एस्टेरॉयड को रोकने के लिए अगले माह की 26 तारीख को नासा एक बड़ी ऐतिहासिक कार्रवाई करने जा रही है, जिसे DART Mission का नाम दिया गया है। अगले माह NASA का एक यान एस्टेरॉयड से टकराने वाला है। जिसके बाद एस्टेरॉयड की दिशा बदल जायेगी और यह धरती से टकराने से बच जायेगा। यदि यह मिशन फेल हो जाता है तो धरती को महाप्रलय से कोई नहीं बचा पायेगा।

उल्लेखनीय है कि अकसर मीडिया रिपोर्टस में ऐसी खबरें आती रहती हैं कि कोई एस्टेरॉयड धरती की ओर बहुत तेज गति से आ रहा है। अब आप सोच रहे होंगे विगत 9 से 10 सालों से ऐसी खबरें आ रही हैं, लेकिन कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ। बहुत से लोग यह भी समझने की भूल कर बैठते हैं कि धरती पूरी तरह सुरक्षित है। बताना चाहेंगे कि अब तक यह एस्टेरॉयड कभी दूर तो कभी धरती के नजदीक से निकल गये, जिससे महाविनाश टल गया, लेकिन जरूरी नहीं कि किस्मत हमेशा ही साथ दे। यदि गलती से भी कोई एस्टेरॉयड धरती से टकरा गया तो महाविनाश पक्का है।

सीधे कहें तो पृथ्वी को यदि किसी से खतरा है तो वह एस्टेरॉयड्स ही होते हैं। अगर धरती की ओर आ रहे एस्टेरॉयड की दिशा में बदलाव न हो, तो प्रलय तय है। ऐसे में एस्टेरॉयड को दूर रखने के लिए या फिर उसकी दिशा बदलने के लिए NASA ने पिछले साल डार्ट मिशन (DART Mission) लॉन्च किया था। अब सितंबर माह की 26 तारीख को यह मिशन एस्टेरॉयड से टकराकर उसकी दिशा बदलने जा रहा है। यह एक बहुत बड़ा मिशन है।

धरती को एस्टेरॉयड से बचाने के लिए नासा का यह spacecraft सुदूर अंतरिक्ष में घूम रहा है, जो कि एस्टेरॉयड से अगले माह टकराने वाला है। बता दें कि यह स्पेसक्राफ्ट खतरनाक एस्टेरॉयड से 23 हजार 760 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से टकराएगा, ताकि एस्टेरॉयड की दिशा बदली जा सके। यह घटना बकायदा कैमरे में रिकॉर्ड भी की जायेगी।

समझें क्या है यह Dart Mission ?

अमेरिकी एजेंसी नासा ने इस मिशन को डबल एस्टेरॉयड रीडायरेक्शन टेस्ट (Double Asteroid Redirection Test – DART) नाम दिया है। इसमं जिस तकनीक का इस्तेमाल होगा उसे काइनेटिक इम्पैक्टर टेक्नीक (Kinetic Impactor Technique) नाम दिया है। यह भी बता दें कि जिस एस्टेरॉयड पर नासा डॉर्ट स्पेसक्राफ्ट के जरिए हमला करेगा उसका नाम डिडिमोस (Didymos) है। didymos asteroid 2600 डायामीटर फीट का है। इसके चारों ओर चक्कर लगाता हुआ एक छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर का नाम डाइमॉरफोस (Dimorphos) है। यान की टक्कर इसी से करायी जायेगी, जिसका व्यास 525 फीट है। नासा इस छोटे चंद्रमा जैसे पत्थर को निशाना बनाने जा रही है, जो डिडिमोस से टकराएगा। इसके बाद दोनों की गति में होने वाले बदलाव का अध्ययन धरती पर मौजूद टेलिस्कोप से किया जाएगा।

क्या गति है डार्ट स्पेसक्राफ्ट की (Speed of DART Spacecraft)

नासा की Planetary Defense Officer Lindley Johnson के अनुसार इस टक्कर के बाद Kinetic Impactor Technique की क्षमता का ज्ञान होगा। हालांकि, यह भी देखना है ​कि सिर्फ इतने से काम पूरा हो जायेगा, या फिर धरती को ऐसे एस्टेरॉयड्स से बचाने के लिए कोई नई तकनीक खोजनी होगी। नासा का यह स्पेसक्राफ्ट didymos asteroid के चंद्रमा यानी डाइमॉरफोस से करीब 24 हजार किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से टकराने जा रहा है। योजना यह है कि DART स्पेसक्राफ्ट की गति धीमी करके उसकी डिडिमोस के चंद्रमा से टक्कर करायी जायेगी। यदि टक्कर से डाइमॉरफोस की गति में जरा सा भी बदलाव आता है तो वह अपने एस्टेरॉयड डिडिमोस से टकरायेगा। जिससे दोनों की गति और दिशा में मामूली अंतर आ सकता है। ज्ञात रहे कि सदूर अंतरिक्ष में एक डिग्री और एक किलोमीटर की गति भी बड़ा बदलाव लाने में सक्षम है। यदि ऐसा संभव हो पाया तो धरती को विनाश से बचाया जा सकता है।

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