51 चयनित किसानों को विवेकानंद संस्थान द्वारा विकसित कृषि यंत्रों का वितरण, कृषि कार्य में होगी सहूलियत

सीएइर्न रिपोर्टर रानीखेतविवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के यहां हवालबाग प्रक्षेत्र में हुए कार्यक्रम में ​पर्वतीय काश्तकारों को खेती—बाड़ी में काम आने वाले विविध…


सीएइर्न रिपोर्टर रानीखेत
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के यहां हवालबाग प्रक्षेत्र में हुए कार्यक्रम में ​पर्वतीय काश्तकारों को खेती—बाड़ी में काम आने वाले विविध उन्नत कृषि यंत्रों का वितरण किया गया। इस मौके संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मीकान्त ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित उन्नत कृषि संयत्र पर्वतीय क्षेत्र के किसानों के लिये काफी लाभदायक तथा इन उपकरणों का प्रयोग करने से कृषि कार्यों में सहूलियत साथ ही समय और श्रम की भी बचत होगी।
कार्यक्रम के तहत विवेकानंद संस्थान और लोक चेतना मंच, रानीखेत की सहभागिता से यूएन इन्वायरमेंट-जीईएफ परियोजना “कृषि जैव विविधता के संरक्षण एवं उपयोग द्वारा कृषि क्षेत्र की मुख्य धारा में लाना, बदलती जलवायु से बचाना एवं पारिस्थितिकी सेवाऐं सुनिश्चित करना” के अंतर्गत आने वाले रानीखेत के समीपवर्ती गांवों के 51 चयनित किसानों को अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम के तहत 51 लघु कृषि यंत्र किट, 14 वीएल हल, 7 कुरमुला नियंत्रण हेतु प्रकाश प्रपंच यंत्र तथा 7 बन्दर भगाने वाली बन्दूक दी गई। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के हवालबाग प्रक्षेत्र में आयोजित समारोह के दौरान ऐना, धनखोली, मुझोली, चिनौना, गल्ली बस्यूरा, ओडला, रणखीला, बजगल, डांगीखोला के किसानों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुये प्रधान वैज्ञानिक एवं विभागाध्यक्ष फसल उत्पादन विभाग डॉ. जे. के. बिष्ट ने उन्नत कृषि यंत्रों के फायदों के विषय में जानकारी दी। किटों और उपकरणों का वितरण करते हुये नोडल अधिकारी (अनुसूचित जाति उप-योजना) डा. शेर सिंह ने कहा कि इस परियोजना में किटों का वितरण अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम के तहत किया गया है, जिससे क्षेत्र में कृषि के विकास में मदद मिलेगी। पिछले वर्ष में भी अनुसूचित जाति उप-योजना कार्यक्रम के तहत मंडुवा थै्रसर मशीन आदि किसानों को बांटे गये थे एवं लाभान्वित कृषकों ने बताया कि इनके उपयोग से मण्डुआ की मड़ाई में उन्हें काफी सहूलियत हुई है। वैज्ञानिक डॉ. अनुराधा भारतीय ने बताया कि यूएन इन्वायरमेंट-जीईएफ परियोजना के अन्तर्गत किसानों व वैज्ञानिकों की सहभागिता से विभिन्न पारम्परिक तथा अल्पप्रयुक्त फसलों व उनकी स्थानीय प्रजातियों का मूल्यांकन एवं चयन किया जा रहा है तथा पोषक तत्वों से भरपूर प्रजातियों के बीजों का सामुदायिक स्तर पर उत्पादन के साथ-साथ व्यवसायिक स्तर पर विपणन के भी प्रयास किये जा रहे हैं। इस अवसर पर डॉ. जितेन्द्र कुमार, शिव सिंह, डॉ. हेमलता जोशी, लोक चेतना मंच के पंकज चौहान, आनन्द जलाल आदि उपस्थित थे।

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