बागेश्वर ब्रेकिंग : खुद ही बच्ची के फ्रेक्चर हाथ में डाला तार निकालने से चिकित्सक का इंकार, मीडिया से कहा- नेतागिरी बंद करें और फिर…

बागेश्वर। बिहार के बेतिया से मेहनत मजदूरी करने लिए जनपद के गरूड़ तहसील में आए अजय कुमार की बिटिया के फ्रेक्चर हाथ में तार डालना…


बागेश्वर। बिहार के बेतिया से मेहनत मजदूरी करने लिए जनपद के गरूड़ तहसील में आए अजय कुमार की बिटिया के फ्रेक्चर हाथ में तार डालना और निकालना सरकारी चिकित्सकों के लिए नाक का सवाल बन गया। हालांकि सीएमओ के हस्तक्षेप के बाद बच्ची के हाथ से तार निकाल दिया गया है लेकिन इसके लिए उसके पिता को पिछले 24 घंटे तक मानसिक वेदना झेलनी पड़ी। मीडिया ने सवाल पूछा तो चिकित्सक ने हड़ताल करने की धमकी के साथ राजनीति करने का आरोप जड़ दिया। खैर… अंत भला तो सब भला की तर्ज पर अब इस पूरे प्रकरण का पटाक्षेप हो चुका है। अजय अपनी बिटिया को लेकर गरूड़ के लिए रवाना हो गया है।
दरअसल अजय कुमार बिहार के बेतिया से अपने परिवार के साथ यहां पहुंचे ही थे कि उनकी चार साल की बिटिया अंजना कुमारी खेलते समय गिर गई और उसके हाथ की कोहनी के पास हड्डी फ्रेक्चर हो गई। अजय कुमार बताते हैं कि वे अपनी बेटी को लेकर जिला चिकित्सालय आए और यहां डा. गिरीजा शंकर जोशी ने उसकी टूटी हड्डी को तार के साथ जोड़ दिया। उन्हें 17 दिन बाद आने के लिए कहा गया था।यह बात तकरीबन तीस दिन पुरानी है। अजय के अनुसार जिस दिन आपरेशन हुुआ था उसी दिन चिकित्सक के केबिन में एक व्यक्ति को कुछ सामान के लिए 1400 रुपये देने के लिए कहा गया था, उनके पास पैसे नहीं थे, इसलिए आपरेशन के बाद वे बच्ची को लेकर घर चले गए। इसके बाद वहीं शख्स उन्हें फोन करके तीन हजार रुपये की मांग करता रहा।
कल जब उन्हें फुरसत मिली तो वे डा. जोशी के बाद बच्ची के हाथ में डाला गया तार निकलवाने के लिए आए। तो चिकित्सक ने उनकी बच्ची को देखे बिना हल्द्वानी जाकर तार निकलवाने की बात कही। इस पर वे परेशान हो गए और उन्होंने एक प्रार्थनापत्र जिलाधिकारी बागेश्वर को भी दिया। जिसमें चिकित्सक की मनमानी की बात कही गई थी। आज वे दोबारा बच्ची को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल बनवासी के साथ चिकित्सालय पहुंचे। इस बीच मीडिया को भी मामले की जानकारी मिल गई।
बागेश्वर की दो महिला पत्रकार इस बारे में जानकारी लेने के लिए जिला चिकित्सालय पहुंची और डा. जोशी से बात की तो उन्होंने पहले तो नर्स की ओर इशारा करते हुए कहा कि उससे बात कर लें। जब महिला पत्रकारों ने कहा कि मामले की जानकारी नर्स को नहीं होगी आप ही जानकारी दे दें तो उन्होंने कहा कि ज्यादा परेशान किया तो मैं यहां कल से हड़ताल पर बैठ जाऊंगा। उन्होंने उल्टे पत्रकारों पर नेतागिरी करने का आरोप लगा दिया।
इसके बाद महिला पत्रकार सीएमएस डा. एसपी त्रिपाठी के पास जानकारी लेने गईं तो उन्होंने बताया कि आप रहने दें इस मामले को हम सुलझा लेंगे। उधर सामाजिक कार्यकर्ता गोपाल बनवासी के साथ अजय सीएमओ
डा. बीडी जोशी से मिले। उनहोंने मामले में हस्तक्षेप किया तो डाक्टर ने अंजना के हाथ में पड़ा तार निकाला। सबकुछ ठीक हो गया और अजय अपनी बच्ची को लेकर घर के लिए रवाना हो गया।
लेकिन कुछ सवाल इस कहानी से उठे हैं जिसका जवाब जिला चिकित्सालय प्रबंधन को देने होंगे। जैसे प्राइवेट लैब वालों की सरकारी चिकित्सालय में इतनी पहुंच कैसे बनी, मीडिया को सीधा सा जवाब देने के बजाए डाक्टर हड़ताल की धमकी देकर क्या साबित करना चाह रहे थे, जब प्राइवेट लैब और मरीज के बीच रुपयों के लेनदेन का मामला था तो चिकित्सक ने बच्ची के हाथ का तार निकालने को मना क्यों किया…वगैरह…वगैरह

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