अल्मोड़ा : ​दूसरी पुण्यतिथि पर याद किए गए डा. शमशेर बिष्ट, भावभीनी श्रद्धांजलि दी, संघर्षों से प्रेरणा लेने का संकल्प

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ाउत्तराखण्ड के प्रमुख आन्दोलनकारी एवं जनसंघर्षो का लंबे समय तक नेतृत्व करने वाले स्व. (डा.) शमशेर सिह बिष्ट की दूसरी पुण्यतिथि पर आज…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
उत्तराखण्ड के प्रमुख आन्दोलनकारी एवं जनसंघर्षो का लंबे समय तक नेतृत्व करने वाले स्व. (डा.) शमशेर सिह बिष्ट की दूसरी पुण्यतिथि पर आज उत्तराखंड लोक वाहिनी ने यहां एक श्रद्धांजलि दी। जिसमेंं उन्हें याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। साथ ही प्रस्ताव पारित कर सरकार से मांग की गई की कि स्व. शमशेर सिंह बिष्ट तथा राज्य के अन्य विविध आन्दोलनकारियों पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार कर उसे भावी पीढ़ियों को पढ़ाया जाए, ताकि वह प्रेरणा ले सकें।
श्रद्धांजलि सभा में मुख्य वक्ता कपिलेश भोज ने कहा कि बिना शिक्षित हुए कोई भी समाज गतिशील नहीं हो सकता। अल्मोडा जनचेतना का एक प्रमुख केंद्र रहा है, क्योंकि अल्मोडा शिक्षा के क्षेत्र मे अग्रणी रहा है। परंतु इनदिनों शहर शिक्षा चेतना व जनसंघर्षो में पिछड़ रहा है। जनता के पक्ष की आवाजें मूक हो रही हैं। युवा नौजवानों को आगे बढ़ना चाहिये। पत्रकार एवं आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तराखण्ड के मन्त्री दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट का नेतृत्व एक सर्व स्वीकार्य नेतृत्व रहा। उत्तराखंड लोक वाहिनी ने उत्तराखण्ड के हर जन संघर्ष में उनके नेतृत्व में लोगों ने शिरकत की। जिसमें सर्वोदयी, गांधीवादी, वामपंथी व समाजवादी सभी विचारधाराओं के लोग साथ रहे। वाहनी के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि डा. शमशेर सिंह बिष्ट का जीवन अन्याय के खिलाफ संघर्ष का पर्यायवाची रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय आंदोलन, वन आन्दोलन, नशा विरोधी आन्दोलन व पत्रकार उमेश डोभाल आन्दोलन, राज्य आन्दोलन, नदी बचाओ आन्दोलन आदि जैसे प्रमुख आंदोलनों में स्व. शमशेर सिंह बिष्ट ने अहम् भूमिका निभाई है। जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता हैं। एड. जगत रौतेला ने कहा कि अल्मोड़ा कैम्पस के छात्रसंघ भवन डा. शमशेर सिह बिष्ट के छात्रसंघ अध्यक्ष के दौरान बना, मगर आज वहां नशे जैसे संकेत मिल रहे हैं। जो बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसे में आज स्व. शमशेर सिंह बिष्ट की कमी खल रही है। वाहनी की उपाध्यक्ष सुशीला धपोला ने कहा कि देशभर में आन्दोलनकारी ताकतें डा. शमशेर सिंह बिष्ट को अपना नेता मानते रही। श्रद्धांजलि सभा में डा. शमशेर सिंह बिष्ट के संघर्षो व आन्दोलनों को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि आज के दौर में शमशेर सिंह बिष्ट जैसे लोगों की बड़ी जरूरत समाज को है। बोलने व सुनने की क्षमता का राजनीति में परिष्कार करना समय की मांग है।

रेवती बिष्ट ने कहा कि उनके बताये रास्ते पर चलना ही स्व. बिष्ट को सच्ची श्रद्धान्जलि होगी। जंगबबादुर थापा ने कहा कि डा. शमशेर जनता की एक सशक्त आवाज थे। सभा में अन्ना आन्दोलन के साथी आशिस जोशी ने भी विचार रखे। वरिष्ठ आन्दोलनकारी पीसी तिवारी ने उन्हें भावभीनी श्रद्धान्जली दी। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में कई लोगों का हमारे बीच से चला जाना समाज की बड़ी क्षति है। अन्त में विगत कुछ दिनों दिवंगत हुए आन्दोलनकारियों को भी श्रद्धान्जलि दी गई। सभा में उक्त लोगों के अलावा कुणाल तिवारी, मयंक कार्की, शम्भू राणा, गुसाई दत्त पालीवाल, अजय थापा, जयमित्र सिह बिष्ट, अजय सिह बिष्ट, रमेश चन्द्र थापा, अमित सनवाल, नरेन्द्र सिंह बिष्ट, सुरेन्द्र सिंह बिष्ट, राजेन्द्र सिंह मेहता आदि ने स्व. शमशेर सिंह बिष्ट को श्रद्धान्जली दी।

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