देहरादून| दिल्ली-एनसीआर में शनिवार रात आठ बजे भूकंप के झटके महसूस हुए। कंपन से घबराए लोग अपने अपने घरों और ऑफिसों से बाहर खुले जगह पर एकत्रित हो गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक इसका केंद्र नेपाल में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने में 5.4 दर्ज की गई है।
इसके अलावा उत्तराखंड के अल्मोड़ा और नैनीताल जिले में भी रात आठ बजे भूकंप के झटके महसूस हुए। जहां लोग अपने घरों से बाहर निकले। जबकि लालकुआं, शांतिपुरी, बिंदुखत्ता क्षेत्र में भी लोगों को भूकंप के झटके महसूस हुए। इसी के साथ उत्तराखंड के टिहरी, पिथौरागढ़, बागेश्वर, पौढ़ी और खटीमा में भूकंप आया। हालांकि किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की कोई खबर नहीं है। ताजा समाचार पढ़ना हैं तो जुड़िये हमारे व्हाट्सऐप ग्रुप से Click Now
आपको बता दे कि, इससे पहले शाम 4 बजकर 25 मिनट पर उत्तराखंड में भी भूकंप आया था। जानकारी के अनुसार ऋषिकेश भूकंप का केंद्र रहा। रिक्टर पैमाने में 3.4 तीव्रता दर्ज की गई थी। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूकंप के झटके दिल्ली-एनसीआर में फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद, नोएडा, हापुड़ में भी झटके महसूस हुए। आगे पढ़े…
उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों में भूकंप के कुछ दिनों से हल्के व तीव्र झटके आ रहे हैं। संतोष कर लीजिए कि अब तक इन छोटे-बड़े झटकों से कोई बड़ा नुकसान नहीं है। बावजूद इसके एक बड़ा सवाल यह है कि इस तरह आ रहे भूकंप क्या संकेत दे रहे हैं। यहां हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण व तथ्यात्मक रिपोर्ट प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनका अध्ययन बेहद जरूरी है।
वैज्ञानिक मत यह है कि लगातार आ रहे छोटे-छोटे भूकंप कभी भी एक बड़े और विनाशकारी भूकंप का रूप ले सकते हैं। ज्ञात रहे कि उत्तरकाशी में साल 1991 में भयानक भूकंप आया था। जिससे बड़ी तबाही हुई थी। वहीं आज, काफी समय से अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, पिथौरागढ़ और बागेश्वर समेत तमाम पहाड़ी जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। वैज्ञानिक पहले ही चेता चुके हैं कि हिमालयी क्षेत्र पर बड़े भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। भूगर्भ वैज्ञानिक, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून के वैज्ञानिक भी इस खतरें का पहले ही संकेत दे चुके हैं।
याद दिला दें कि कुछ माह पूर्व वाडिया हिमालय भू-विज्ञान संस्थान संस्थान की रिसर्च में कई बड़े खुलासे हुए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि उत्तराखंड में बिना किसी पूर्व चेतावनी के 8 रिक्टर स्केल तक के भूकंप के आने का अंदेशा है। जिसका कारण यह है कि जमीन के अंदर असीमित ऊर्जा पनप रही है। इस ऊर्जा का वैज्ञानिक आंकलन खतरे के संकेत देता है।
वैज्ञानिक रिपोर्ट की बात करें तो वर्ष 1968 से अब तक आए भूकंपों का अध्ययन किया जा चुका है। बताया गया है कि इंडियन प्लेट भूगर्भ में 14 मिलीमीटर प्रतिवर्ष की रफ्तार से सिकुड़ रही है। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड में बड़े भूंकप की आशंका जाहिर की है। ये भूकंप 8 रिक्टर स्केल का भी हो सकता है। इसकी वजह है वो टैक्टोनिक प्लेट, जो धरती के नीचे मौजूद हैं और बड़े विनाश का सबब बन सकती हैं।
ज्ञात हरे कि उत्तराखंड का एक बड़ा हिस्सा भूकंप के जोन नंबर 5 में आता है। अति संवेदनशील जोन 5 की बात करें तो इसमें रुद्रप्रयाग जिले के अधिकांश भाग के अलावा बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली और उत्तरकाशी जिले आते हैं। वहीं जो क्षेत्र संवेदनशील जोन चार में हैं उनमें ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और अल्मोड़ा जिला शामिल है। देहरादून और टिहरी का क्षेत्र दोनों जोन में आता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नॉर्थ अल्मोड़ा थ्रस्ट और अलकनंदा फॉल्ट में हर वर्ष भूगर्भीय हलचल से साढ़े 4 मिमी धरती उठ रही है। यह भविष्य में 8 रिक्टर स्केल तक का बड़ा भूकंप ला सकता है। भूगर्भीय सक्रियता के कारण श्रीनगर और रुद्रप्रयाग के बीच धरातल प्रति वर्ष 4 मिलीमीटर उठ रहा है।