शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों पर कसा शिकंजा, ऐसा करा तो रद्द होगी मान्यता

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून ⏩ स्कूलों को लेकर आया नया आदेश (New order brought about schools) उत्तराखंड प्रदेश में शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा…

हल्द्वानी में बिना मान्यता के चल रहा स्कूल हुआ सील

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून

स्कूलों को लेकर आया नया आदेश (New order brought about schools)

उत्तराखंड प्रदेश में शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। प्रदेश में कुल मान्यता प्राप्त कुल 30 हजार 203 स्कूलों में हो रहे एडमिशनों पर अब नजर रखी जा रही है। मामला 83 हजार 302 छात्र-छात्राओं के आरटीआई के तहत एडमिशन का है।

उल्लेखनीय है कि Uttarakhand Director General of Education ने इस बीच प्राइवेट स्कूलों को कुछ दिशा—निर्देश जारी किये हैं। जिसमें कहा गया है कि Right to Education Act के तहत हो रहे 25 प्रतिशत एडमिशन की जानकारी सार्वजनिक करते हुए अपने पोर्टल पर डालें। साथ ही विभागीय पोर्टल पर भी इसका पंजीकरण अनिवार्य रूप से किया जाये।

बात यह है कि शिक्षा विभा गो RTE में एडमिशन को लेकर फर्जीवाड़े की सूचना कई माध्यमों से मिली है। जिस पर education Department ने सख्त निर्देश जारी किये हैं। जिसमें कहा गया है कि अगर मानकों के खिलाफ कार्य किया गया, तो स्कूलों की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है।

इधर उत्तराखंड शिक्षा महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने मामले की पुष्टि की है। उनका कहना है कि आरटीआई के तहत प्राइवेट स्कूलों द्वारा फर्जीवाड़ा किये जाने की ख़बरें आ रही हैं। यही कारण है कि समग्र शिक्षा अभियान के तहत जिला परियोजना अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी कर दिये गये हैं।

जारी आदेशामें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि ऐसे विद्यालयों को चयनित किया जाए, जो कि Admission done under RTI की सूचना अपने पोर्टल पर सार्वजनिक नहीं कर रहे हैं। इन स्कूलों पर RTI standards के तहत सख्त कार्रवाई की जाए। यही नहीं, अन्य नियमों का भी सख्ती से पालन करने के आदेश दिये गये हैं।

यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड में शिक्षा के अधिकार अधिनियम कोटे के तहत 30 हजार 203 स्कूलों में वर्तमान में एडमिशन हो रहे हैं। वहीं 83 हजार 302 विद्यार्थी पूरे प्रदेश में आरटीआई के तहत विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं। नियम यह है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत सभी private schools में 25 percent seat
गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षीत है। इसका खर्च द्वारा उठाया जाता है। वहीं इन प्राइवेट स्कूलों द्वारा अपने ही स्कूल के बच्चों को ट्यूशन के लिए बाध्य किये जाने की भी सूचना है, जिस पर जल्द ही कार्रवाई हो सकती है।

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