लालकुआं ब्रेकिंग : श्रीलंका टापू में हाथियों के झुंड ने रौंद दी किसानों की फसल

लालकुआं। विधानसभा क्षेत्र के श्रीलंका टापू में बीती देर रात हाथियों के झुंड ने गांव में घुसकर काश्तकारों की मेहनत से लगाई गई फसल रौंद…


लालकुआं। विधानसभा क्षेत्र के श्रीलंका टापू में बीती देर रात हाथियों के झुंड ने गांव में घुसकर काश्तकारों की मेहनत से लगाई गई फसल रौंद दी। ग्रामीणों ने शोर मचाकर बामुश्किल हाथियों को भगाया तथा गांव में हाथी घुसने की सूचना के बाद ग्रामीणों ने हल्ला करके बामुश्किल मौके से हाथी को भगाया वहीं हाथियों के आतंक से तंग आ चुके ग्रामीणों ने गांव के आसपास सोलर फेंसिंग लगाने की मांग की है ग्रामीणों का आरोप है कि शिकायत करने के बाद भी वन विभाग के कर्मचारी मौके पर नहीं पहुंचते हैं।

बताते चलें कि लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के श्रीलंका टापू में पिछले कई माह से हाथियों का आंतक बना हुआ है आये दिन हाथियों के झुंड उनके गांव में घुसकर काश्तकारों की फसल को रौंद रहे हैं।

इधर काश्तकार मंगल सिंह कोरगा, धर्म सिंह कोरगा, लालसिंह दसौनी, केदर सिंह दसौनी, रामसिंह दसौनी, महेंद्र सिंह धामी, रमेश राणा, लक्षण सिंह देयेपा, विजय यादव ने बताया की बीती देर रात हाथियों का एक झुडं जंगल से निकलकर उनके गांव में पहुंच गया तथा इस दौरान हाथियों ने उनकी कई बीघा खेत में खड़ी फसल को तहस-नहस कर दिया।

उन्होंने बताया कि वह पूरी रात हाथियों को जंगल की ओर भगाने का प्रयास करते रहे करीब सुबह तीन बजे हाथी जंगल की ओर भाग गए तब जाकर ग्रामीणों ने राहत की सांस ली। उन्होंने बताया कि कई ग्रामीण पूरी रात उठकर खेती की रखवाली करने को मजबूर हैं वन विभाग के अधिकारियों को पूर्व में कई बार अवगत कराया गया लेकिन जिम्मेदार इस ओर ध्यान देने को तैयार नहीं है तथा वन विभाग की लापरवाही का खामियाजा स्थानीय ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीणों की खेती बर्बाद होने से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है उन्होंने कहा कि वन विभाग हाथियों को रोकने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहा है स्थिति यहां है की ग्रामीण धीरे-धीरे खेती करना छोड़ रहे हैं।

उन्होंने वन विभाग से हाथियों को आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए ठोस योजना बनाने की मांग करते हुए कहा कि ग्रामीणों की अनदेखी किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर जल्दी ही वन विभाग द्वारा इस ओर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है तो ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे।

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