रामनगर : हर माह स्कूली बच्चे देखेंगे देश-दुनिया की बेहतरीन फ़िल्म, गांधी फ़िल्म से हुई शुरुआत

रामनगर। बालिका दिवस पर आज रामनगर शहर व ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए जश्न ए बचपन के तहत एक नई शुरुआत की गयी। अब…

रामनगर। बालिका दिवस पर आज रामनगर शहर व ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए जश्न ए बचपन के तहत एक नई शुरुआत की गयी। अब स्थानीय स्कूली बच्चों को हर माह देश दुनिया की एक बेहतरीन फ़िल्म दिखाई जाएगी। इसकी शुरुआत आज ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल भरतपुरी से बच्चों को रिचर्ड एडिनबरा निर्देशित कालजयी फ़िल्म गांधी दिखा कर हुई। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलेश डबराल की कविता बच्चों के लिए एक चिट्ठी से हुई। फिर इतिहासविद नेवलगांव, सल्ट डिग्री कालेज के प्राचार्य डॉ. बी एम पांडे ने गांधी पर अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने रचनात्मक शिक्षक मण्डल द्वारा शुरू की गई। इस मुहिम का स्वागत किया। उन्होंने कहा गांधी के विचार भारतीय समाज ही नहीं बल्कि विश्व के लिए पहले से भी ज्यादा प्रासंगिक हैं।

गांधी की हत्या जरूर कर दी गयी पर उनके सत्य, अहिंसा के विचार अमर रहेंगे। गाँधी फ़िल्म 1982 में बनी लोकप्रिय भारतीय हस्ती मोहनदास करमचंद गाँधी के वास्तविक जीवनी पर आधारित फ़िल्म है। इसमें बेन किंग्सले गाँधी की भूमिका में है। इस फ़िल्म के लिए निर्देशक रिचर्ड एडिनबरा व गांधी के पात्र किंग्सले को अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म के अकादमी पुरस्कार के साथ आठ अन्य अकादमी पुरस्कार भी प्राप्त हुए। यह भारतीय और यूनाइटेड किंगडम की फ़िल्म निर्माता कंपनियों द्वारा बनाई गई सांझा फ़िल्म थी।

फ़िल्म की शुरुआत 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे द्वारा प्रार्थनासभा में प्रणाम करने के बहाने धोखे से की गई गांधी की हत्या से होती है। फिर गांधी की शवयात्रा का वह विहंगम दृश्य देखने को मिलता है जो बताता है गांधी जनता में कितने लोकप्रिय रहे।इसके बाद फ़िल्म फ्लेशबैक में चली जाती है और पहुंच जाती दक्षिण अफ्रीका की उस घटना में जब गांधी को ट्रेन से काले होने के कारण फेंक दिया जाता है। दक्षिण अफ्रीका में गांधी द्वारा चलाये गए सफल सत्याग्रह आंदोलन के पश्चात गांधी भारत लौट आते हैं। पूरे भारत का भृमण करते हैं।फ़िल्म चंपारण में नील की खेती के मुद्दे पर गाँधी के नेतृत्व में हुए आंदोलन को बहुत ही शानदार तरीके से दिखाती है।देश में आजादी के आंदोलन में गांधी की भूमिका व अपने समकालीन अन्य नेताओं के साथ साथ कस्तूरबा से उनके सम्बन्धों को भी फ़िल्म में दिखाया गया है।

फ़िल्म के अंतिम दृश्यों में आजादी की ओर बढ़ते भारत पर उससे पहले हुए विभाजन को फिल्माया गया है। विभाजन के समय हुए साम्प्रदायिक दंगों के वक्त गांधी का दंगो के बीच में जाना, लोगों को समझाना पर अपने को असहाय सा पाना भी दिखाया गया है। तीन घण्टे की फ़िल्म से गांधी के जीवन व दर्शन को काफी हद तक समझा जा सकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्रेट मिशन पब्लिक स्कूल की प्रबंधक मंजुला श्रीवास्तव ने की। कार्यक्रम संयोजक नवेंदु मठपाल के अनुसार फरवरी के ढ़य में बच्चों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर फ़िल्म दिखाई जाएगी। इस मौके पर नन्दराम आर्य, नलिनी श्रीवास्तव, प्रकाश फुलोरिया, जगदीश सती, गिरीश मेंदोला, गीता सती, जितेंद्र कुमार, पीयूष शर्मा, ललित बिष्ट, उन्नति नेगी, रेखा पांडे, नीलम जोशी, सोनी नेगी समेत बड़ी संख्या में बच्चे मौजूद रहे।

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