आश्चर्य : 22 साल नौकरी करने वाले फर्जी मासाब चढ़े पुलिस के हत्थे, दो साल से थी तलाश, फर्जी दस्तावेजों के सहारे तोड़ी सरकारी कुर्सी और डकारी मोटी रकम

सीएनई संवाददाता, अल्मोड़ादिनांक — 1 सितंबर, 2020करीब दो साल बाद ही सही, आखिरकार आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। यह आरोपी फरार तो था ही,…

सीएनई संवाददाता, अल्मोड़ा
दिनांक — 1 सितंबर, 2020

करीब दो साल बाद ही सही, आखिरकार आरोपी पुलिस के हत्थे चढ़ गया। यह आरोपी फरार तो था ही, साथ ही फर्जी शिक्षक भी। जो फर्जी दस्तावेजों की आड़ में सहायक अध्यापक के पद पर 22 साल ठाठ से नौकरी कर गया और वेतन के तौर पर अच्छी—खासी पगार डकार गया। अंतत: सच्चाई सामने आ ही गई।
मामले के मुताबिक उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिला व चांदपुर तहसील के ग्राम औरंगाबाद उर्फ सिकंदरपुर निवासी खवानी सिंह पुत्र पूरन सिंह ने शिक्षा विभाग में 22 साल सहायक अध्यापक के पद पर कार्य किया और इस दौरान उन्होंने तीन विद्यालयों में सेवा दी। आरोप लगा कि उन्होंने वर्ष 1996 में फर्जी दस्तावेज बनाये और इनके आधार पर शिक्षा विभाग में यह नौकरी पाई। इस आरोप की एसआईटी जांच हुई। जांच उपरांत सल्ट क्षेत्र के राजस्व पुलिस क्षेत्र कूपी में उनके खिलाफ वर्ष 2018 में धारा 420, 467, 468 आईपीसी के तहत अभियोग पंजीकृत हुआ। आरोप के बाद से खवानी​ सिंह फरार हो गया। वर्ष 2020 में मामले की विवेचना स्थानांतरित होकर सल्ट थाने के थानाध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार पंत के सुपुर्द हो गई। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पीएन मीणा के निर्देशन और पुलिस उपाधीक्षक रानीखेत के पर्यवेक्षण में मामले पर लगातार कार्रवाई गतिमान थी। आरोपी की गिरफ़्तारी के लिए पुलिस द्वारा उत्तर प्रदेश के बिजनौर जनपद के कई स्थानों पर दबिश दी गयी। तब से लगातार फरार चल रहे आरोपी खवानी सिंह को मुख़बिर की सूचना पर क्रोकोडाइल व्यू रामनगर रोड में स्थिति क्रोकोडायल व्यू मरचूला से गिरफ़्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि उसे अब अदालत में पेश किया जा रहा है। गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम में सल्ट थानाध्यक्ष धीरेन्द्र कुमार पंत, कांस्टेबल जीवन सिंह ग्वाल, वीरेंद्र सिंह, शम्भू सिंह व नरेंद्र सिंह शामिल थे।

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