क्वारन्टीन सेंटरों की दुर्दशा के लिए सरकार जिम्मेदार

जगमोहन रौतेला हल्द्वानी। क्वारन्टीन सेंटरों की दुर्दशा, स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और प्रवासियों को लेकर बनाये जा रहे भय के माहौल के खिलाफ उत्तराखंड में…


जगमोहन रौतेला

हल्द्वानी। क्वारन्टीन सेंटरों की दुर्दशा, स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली और प्रवासियों को लेकर बनाये जा रहे भय के माहौल के खिलाफ उत्तराखंड में वाम, जनवादी पार्टियों, संगठनों, व्यक्तियों की ओर से लॉक डाउन का पालन करते हुए संयुक्त रूप से धरने का आह्वान किया गया । जिसके तहत उत्तराखंड में कोरोना के प्रभाव से उत्पन्न हालात और उनसे निपटने के सरकारी तौर-तरीके को लेकर संयुक्त रूप से आहूत धरना हल्द्वानी के बुद्धपार्क में लॉकडाउन नियमों का पालन करते हुए किया गया। हल्द्वानी के धरने में भाकपा (माले), क्रांतिकारी लोकअधिकार संगठन,अम्बेडकर मिशन एन्ड फाउंडेशन, पछास आदि संगठन शामिल रहे।

भाकपा माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि,”कोरोना महामारी से उपजे आज के हालात की भयावहता ने पूंजीवाद की सीमाएं स्पष्ट कर दी हैं। इसने दिखा दिया है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और सार्वजनिक यातायात की सुविधाओं को मजबूत करने की कितनी जरूरत है। कोरोना काल ने यह सबक सिखाया है कि लूट पर आधारित निजी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने वाली जनस्वास्थ्य की अवधारणा ही दुनिया को बचा सकती है। अतः सबको स्वास्थ्य, निःशुल्क स्वास्थ्य को मजबूत करने की जरूरत है।”

अम्बेडकर मिशन एंड फाउंडेशन के अध्यक्ष जी आर टम्टा ने कहा कि, “नैनीताल जिले के बेतालघाट ब्लॉक में तल्ली सेठी स्थित क्वारंटीन सेंटर में साँप के डसने से चार साल की बच्ची की मौत हो गयी. क्वारंटीन सेंटर में सर्पदंश से मौत की घटना भले ही यह पहली हो, लेकिन क्वारंटीन सेंटरों की दुर्दशा की बातें, आए-दिन सामने आ रही हैं. देहारादून से लेकर सुदूर अस्कोट तक और ऋषिकेश से लेकर गैरसैंण तक क्वारंटीन सेंटर अव्यवस्था और दुर्व्यवस्था के शिकार हैं. बीते दिनों ऋषिकेश में कीड़े युक्त भोजन दिये जाने की बात सामने आई तो गैरसैंण,कपकोट आदि तमाम जगह खाने-पीने की सामग्री और उसे परोसे जाने वाले बर्तनों की गुणवत्ता बेहद खराब पायी गयी जो बेहद गैरजिम्मेदाराना है।”

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क्रालोस के टी आर पाण्डे ने कहा कि, “बड़े पैमाने पर लोग अपने मूल स्थानों को वापस लौट रहे हैं. उनमें से रेड ज़ोन से भी बड़ी तादाद में लोग आ रहे हैं. संक्रमण के फैलाव वाले क्षेत्रों से वापस लौट रहे लोग,इसके लिए उत्तरदाई नहीं है. बल्कि केंद्र सरकार की अदूरदर्शिता इसके लिए जिम्मेदार है,जिसने संक्रमण के अधिक फैलाव तक लोगों को रोके रखा और महीने भर के लॉकडाउन के बाद वापस लौटने की अनुमति दी. यह देखा जा रहा है कि बड़े पैमाने पर प्रवासियों के खिलाफ एक भय और अलगाव का माहौल समाज में बना दिया गया है। सरकारी मशीनरी,प्रशासन और पुलिस के लोग सयास या अनायास बाहर से अपने मूल स्थानों की ओर लौटते लोगों के प्रति भय और घृणा का माहौल बनाने में हिस्सेदार बन रहे हैं।

इलाज और सुरक्षा की दृष्टि से अलग रखना एक बात है और अलगाव में डालना एकदम दूसरी बात है. वर्तमान में बाहर से लौटने वालों को अलगाव में डालने की कोशिश निरंतर सरकारी स्तर से ही शुरू हो रही है,जो कतई अस्वीकार्य है।” धरने के पश्चात राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया जिसमें मांग की गई कि, क्वारंटीन सेंटर, रिहायशी स्थलों को ही बनाया जाये,जिनमें सभी आवश्यक सुविधाएं और साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था हो। गैर-रिहायशी भवनों जैसे-स्कूल,पंचायत घर आदि को क्वारंटीन सेंटर न बनाया जाये। साथ ही यह सुनिश्चित किया जाये कि क्वारंटीन सेंटरों में गुणवत्ता युक्त भोजन दिया जाये व नैनीताल के तल्ली सेठी स्थित क्वारंटीन सेंटर में सर्पदंश से काल-कवलित होने वाली बच्ची के परिजनों को दस लाख रुपया मुआवजा दिया जाये।

गांवों में क्वारंटीन सेंटरों की व्यवस्था का जिम्मा पूरी तरह से स्थानीय प्रशासन के हाथ में दिया जाना चाहिए। जिस तेजी से कोरोना का प्रसार उत्तराखंड में रहा है, टेस्टिंग की सुविधाएं बढ़ाए जाने की सख्त जरूरत है। जिला मुख्यालय और ब्लॉक मुख्यालयों पर टेस्टिंग की सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु त्वरित व्यवस्थाएं कायम करने की आवश्यकता है। बाहर से आने वालों के प्रति सरकारी तंत्र के भयपूर्ण प्रचार अभियान पर तत्काल रोक लगाई जाये। कोरोना की रोकथाम के लिए जो मेडिकल उपाय किए जाने हैं,वे प्रभावी तरीके से किए जाएँ। राज्य सरकार उत्तराखंड उच्च न्यायालय के उक्त आदेश को लागू करने के लिए समुचित कदम उठाए।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई में लगे हुए डाक्टर,नर्स समेत सभी स्वास्थ्य कर्मियों,आशा,आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं , भोजनमाताओं , पुलिस , पी.आर.डी , होमगार्ड आदि को संक्रमण से बचाने के लिए समुचित प्रबंध किए जाएँ। साथ ही विभिन्न प्रदेशों और राज्य के अंदर यात्रियों को लाने-ले जाने वाले वाहन चालकों और परिचालकों के भी स्वास्थ्य रक्षा हेतु समुचित उपाय किए जाएँ। इन सब का निरंतर स्वास्थ्य परीक्षण भी किया जाये। सभी प्राथमिक चिकित्सालयों,सामुदायिक चिकित्सालयों से लेकर सभी सरकारी अस्पतालों में डाक्टर एवं अन्य स्टाफ का पर्याप्त इंतजाम तत्काल प्रभाव से किया जाये।

साथ ही प्रदेश में वर्तमान में चिकित्सा सेवाओं की स्थिति पर राज्य सरकार द्वारा श्वेत पत्र जारी किए जाने की मांग हम करते हैं। यह चिकित्सीय आपदा का समय है,इसलिए तमाम निजी अस्पतालों को सरकार आपदा काल के लिए अधिगृहीत करे। इस अवसर पर लॉकडाउन नियमों के तहत दूरी का पालन करते हुए माले के जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय, अम्बेडकर मिशन के अध्यक्ष जी आर टम्टा, सुंदर लाल बौद्ध, क्रालोस के टी आर पाण्डे, पछास के महेंद्र मौजूद रहे। कामरेड बहादुर जंगी मोतीनगर में साथियों के साथ धरने पर बैठे । इसके अलावा उमेश, महेश, नसीम, उमेश पाण्डे, रियासत आदि ने धरने का बाहर से समर्थन किया ।

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