जन्मदिन मुबारक़ हो बागेश्वर: जीएस दफोटी यानी इस जिले की आवाज

बागेश्वर । आज बागेश्वर जिला अपना जन्म दिन मना रहा है। ढेर सारी शुभकामनाओं की बीच हम याद करते हुए बागेश्वर को जिला बनाने के…

बागेश्वर । आज बागेश्वर जिला अपना जन्म दिन मना रहा है। ढेर सारी शुभकामनाओं की बीच हम याद करते हुए बागेश्वर को जिला बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ने वाली एक ऐसी विभूति को जिनके नाम के बिना बागेश्वर का इतिहास लिखना असंभव हैं।
वर्ष 1997 से पूर्व बागेश्वर के लोगों को जिला मुख्यालय जाने के लिए 150 से 200 किलोमीटर तक की यात्रा करनी पड़ती थी। लोगों को होने वाली विकट परेशानियों को देखते हुए एडवोकेट गुंसाई सिंह दफौटी ने 1982 में बागेश्वर को अल्मोड़ा से अलग कर नया जिला बनाने की माँग के लिए लोगों को प्रेरित और लामबंद करना शुरू किया। दफौटी की दृढ़ इच्छाशक्ति के आगे लोग लामबन्द होते गए और बागेश्वर जिला बनाओ-संघर्ष समिति का गठन किया गया। यह आंदोलन 1981 से 1997 तक लगातार चलता रहा। इसी आंदोलन के तहत दफौटी ने 1989 में 12 दिन का आमरण अनशन किया।

अनशन के दौरान पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया और वे 45 दिनों तक अल्मोड़ा जेल में बंद रहे। उन्हें 1991 में एक बार फिर 28 दिन जेल में बिताने पड़े। जिला बनाओ आंदोलन 1992 में एक बार फिर तेज हुआ तो दफौटी ने आंदोलन के दौरान आत्मदाह का प्रयास किया। इस बार उन पर एक दर्जन से भी ज्यादा संगीन धाराएँ लगाकर जेल भेजा गया। उन्होंने अल्मोड़ा जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया। प्रशासन ने अनशन तुड़वाने का प्रयास किया लेकिन सफल नहीं हुआ। इस दौरान लोग बड़ी संख्या में उनसे मिलने अल्मोड़ा जेल हर रोज जाते रहे। इससे परेशान अल्मोड़ा जिला प्रशासन ने उन्हें बरेली के केन्द्रीय कारागार भेज दिया। पुलिस ने कई तरह से यातनाएं देकर दफौटी के मनोबल को तोड़ना चाहा, लेकिन सफल नहीं हुए। इस बार उन्हें पूरे सात महीने जेल में बिताने पड़े। इस बीच उत्तराखण्ड आंदोलन एक बार फिर तेज हुआ तो दफौटी उसमें कूद पड़े और 1994 में आंदोलन के दौरान उन्हें एक बार फिर गिरफ्तार किया गया और तीन दिन अल्मोड़ा जेल में बन्द रहे। जेल से रिहा होने के बाद भी उनकी सक्रियता उत्तराखण्ड आंदोलन और बागेश्वर जिला बनाओ आंदोलन में लगातार बनी रही। बागेश्वर जिले के लिए 1997 में उन्होंने एक बार फिर अनशन की राह पकड़ी। इस बीच पूर्व जिपं अध्यक्ष जवाहर सिंह परिहार ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती का एक सभा में स्वर्ण मुकुट पहनाकर अभिनंदन किया तथा उन्हें बागेश्वर जनपद बनाए जाने की जनभावनाओं व आंदोलन से अवगत कराया। इस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती 13 सितंबर 1997 में बागेश्वर को अलग जिला बनाने की घोषणा की तथा 15 सितंबर को इसकी अधिसूचना जारी कर दी और मदन सिंह को बागेश्वर का प्रथम जिलाधिकारी बनाकर बागेश्वर भेजा। गिरते पड़ते उठते संभलते बागेश्वर ने अपने 23 साल में विकास के कई मील के पत्थर छू लिये हैं।

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