सीएनई रिपोर्टर, देहरादून
पहले उत्तराखंड में किसी दलित मुख्यमंत्री की वकालत, फिर चुनाव में कांग्रेस की जीत के आसार देख स्वयं को सीएम के रूप में प्रोजेक्ट करने की पुरजोर कोशिश और अब चुनाव में कांग्रेस की वापसी को लेकर कुछ संदेह उत्पन्न होने पर यह कहना कि जो पार्टी हाईकमान तय करेगी वही निर्णय मान्य होगा। ऐसी बातों ने इस बार उत्तराखंड की राजनीति में कांग्रेस के दिग्गज व पूर्व सीएम हरीश रावत पर विपक्षियों व विरोधियों को निशाना साधने का मौका दे दिया है।
ज्ञात रहे कि उत्तराखंड में कांग्रेस सरकार बनने पर सीएम पद को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के सुर अचानक बदल गए हैं। अब वह कहने लगे हैं कि हाईकमान ही तय करेगा कि उत्तराखंड का सीएम कौन होगा। याद रहे कि इससे पूर्व मतदान खत्म होने के बाद ही हरीश रावत ने कहा था कि पार्टी की सरकार बनने पर वह या तो मुख्यमंत्री बनेंगे या घर बैठ जाएंगे। हरीश रावत की इस तरह की बयानबाजी पर उन पर सबसे पहले कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम एवं कांग्रेस के चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष रहे हरीश रावत सुबह कुछ बोलते हैं और शाम को कुछ और। दरअसल, उनके चरित्र में झूठ का बड़ा भंडार है। उन्होंने आगे कहा कि हरदा का बिल्ली वाला चरित्र है। बिल्ली की सोच रहती है कि घर में कोई रहे न रहे, वह रहे। इसी चरित्र की राजनीति हरदा करते आये हैं। सुबोध उनियाल ने कहा कि प्रदेश में इस बार कांग्रेस की सरकार का दावा करने से पहले हरीश रावत जरा लालकुआं से चुनाव जीतकर दिखा दें, बाकी बातें तो बाद की हैं। उनियाल ने कहा कि अब वक्त आ गया है कि हरीश रावत को राजनीति से सन्यास लेकर घर बैठ जान चाहिए।
इधर नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने हरीश रावत के बयान पर साफ किया कि पहले भी राष्ट्रीय नेतृत्व ने तय किया था कि सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा और अब चुनाव परिणाम के बाद बनने वाली सरकार के विषय में भी राष्ट्रीय नेतृत्व ही फैसला लेगा। जब सरकार बनेगी तो कांग्रेस विधानमंडल दल व राष्ट्रीय नेतृत्व तय करेगा कि किसे क्या जिम्मेदारी सौंपी जानी है। उन्होंने दावा किया कि प्रदेश में कांग्रेस की 45 से 46 सीटें आएंगी।