हाईकोर्ट, ऐतिहासिक फैसला, वंशवृद्धि के लिए गैंगरेप के आरोपी को मिली पैरोल

✒️ संतान उत्पत्ति के लिए 15 दिन पत्नी के साथ बितायेगा सीएनई डेस्क राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में पॉक्सो एक्ट के तहत…

✒️ संतान उत्पत्ति के लिए 15 दिन पत्नी के साथ बितायेगा

सीएनई डेस्क

राजस्थान हाईकोर्ट ने अपने एक ऐतिहासिक फैसले में पॉक्सो एक्ट के तहत अलवर जेल में बंद एक व्यक्ति को पत्नी के साथ समय गुजार वंश वृद्धि करने के लिए 15 दिन की पैरोल पर रिहा कर दिया है। गैंगरेप जैसे संगीन अपराध में बंद अभियुक्त को पैरोल पर रिहा करने का यह पहला मामला है और देश भर की मीडिया में सर्खियां बन रहा है।

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बड़े फैसले में गैंगरेप के दोषी को 15 दिन की पैरोल पत्नी के साथ रहने के लिए दी गई है। तीन रोज पहले इस कैदी को पैरोल पर रिहा किया गया है। 22 साल के अभियुक्त राहुल बघेल के आयु महज 25 साल है और उसकी पत्नी बृजेश देवी की याचिका पर यह सुनवाई हुई है। राहुल को एक नाबालिग से गैंगरेप के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत सजा सुनाई गई थी और तब से वह अलवर जेल में बंद था। उस पर साल 2019 में 16 साल की नाबालिग के साथ गैंगरोप के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ था।

राजस्थान में यह अपनी तरह का पहला मामला है, जिसमें रेप के दोषी को पैरोल मिली है। हाईकोर्ट ने पत्नी के मौलिक व संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए इस याचिका को स्वीकार किया और अपना फैसला सुनाया है। ज्ञात रहे कि राहुल की पत्नी बृजेश देवी ने बच्चा पैदा करना अपना मौलिक और संवैधानिक अधिकार बताया है। उसने डीजे कोर्ट में गत 13 जुलाई, 2022 को आपात पैरोल याचिका लगाई थी। इसके बाद 20 जुलाई, 2022 को हाईकोर्ट में लगाई याचिका में 30 दिन की पैरोल मांगी, जबकि हाईकोर्ट ने राहुल को 15 दिन के पैरोल पर छोड़ने का आदेश सुनाया। राहुल को मिली सजा के ठीक एक माह बाद उसकी पत्नी ने यह याचिका लगाई, जिसमें उसने कहा कि पत्नी को प्रेग्नेंसी या दंपती को वंश बढ़ाने के लिए रोकना संविधान के आर्टिकल 14 और 21 की भावना के खिलाफ होगा। 15 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की।

यहां यह बता दें कि बृजेश देवी का पति दो साल से जेल में बंद है और उसका विवाह साल 2018 में हुआ था। इस दंपत्ति की कोई संतान नहीं है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि राजस्थान में पोस्को एक्ट में किसी को पैरोल मिलने का पहला मामला है। वहीं, प्रेग्नेंसी की मांग को लेकर प्रदेश में एक अन्य कैदी को भी पैरोल मिल चुकी है। राहुल को पैरोल दिलाने के लिए हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच के 5 अप्रैल, 2022 के आदेश का हवाला दिया, जिसमें मर्डर के दोषी नंदलाल को भी 15 दिन की पैरोल पर छोड़ा गया था। इस पूरे मामले में राहुल की पत्नी की ओर से अधिवक्ता विश्राम प्रजापति ने प्रबल पैरवी की।

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