रामनगर : कवि हीरा सिंह राणा को उनकी अठत्तरवीं जयंती किया याद

रामनगर। उत्तराखण्ड के जाने माने गायक कवि हीरा सिंह राणा को आज उनके अठत्तरवीं जयंती पर याद किया गया। यू के जेमर्स की ओर से…


रामनगर। उत्तराखण्ड के जाने माने गायक कवि हीरा सिंह राणा को आज उनके अठत्तरवीं जयंती पर याद किया गया। यू के जेमर्स की ओर से हुए इस कार्यक्रम की शुरुआत उनके चित्र पर माल्यार्पण से हुई। फिर उनके प्रसिद्ध गीत मेरी मानिला डानी गाया गया। उसके बाद वक्ताओं ने उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।

यू के जेमर्स जे निदेशक तुषार बिष्ट ने कहा कि हीरा स‌िंह राणा की पहचान आमतौर पर लोकप्रिय लोकगायक की रही है। लेकिन वे सफल लोकगायक होने के साथ ही बेहतरीन कवि भी थे। तीन दशक पहले हीरा की लिखी 17 कुमाउॅंनी कविताओं का हिंदी अनुवाद करने वाले कुमाऊंनी साहित्यकार मथुरा दत्त मठपाल ने प्रतिभा को जानते हुए उनको ‘कुमाऊं का हीरा’ की संज्ञा दे दी थी।

‘हम पीर लुकाते रहे’ शीर्षक से छपे संकलन के साथ ही हीरा के प्यौलो और बुरांश, मनखौं पड्यौव में काव्य संकलन भी प्रकाशित हुए थे। लेकिन बदलते दौर में हीरा का कवि रुप लोकगायकी की चमक में कहीं पीछे छूट गया था।
रचनात्मक शिक्षक मण्डल के संयोजक नवेंदु मठपाल ने कहा केवल माध्यमिक कक्षाओं तक पढ़े हीरा सिंह राणा की कविताओं में पहाड़ की सुंदरता झलकती है तो महिलाओं का संघर्ष और पलायन का दर्द भी मह‌सूस होता है।

मेरी नौली पराणा सहित अन्य गीतों से महिलाओं की सुंदरता का जितना बेहतरीन वर्णन किया है, वो कहीं और नहीं मिलता है। उन्होंने लिखे और गाए बाल गीत ‘आ ली ली बाकरी’ आज भी बेहद चर्चित हैं। वर्ष 1988 में भिक्यासैंण अल्मोड़ा की संगम प्रेस में उनकी 17 कुमाउॅंनी कविताओं के हिन्दी अनुवाद का संकलन ‘हम पीर लुकाते रहे’ छपा था।

इनमें दिन आनै जानै रया, हम बाटि कैं चाने रैया (दिन आते जाते रहे हम बाट जोहते रहे), धरति की पीड़ै कैं, बल्दा चरनैं हिटा रें (धरती की पीड़ा को रे बैल चरते चल), ऐगे हो र‌ंगीली रितु चौमास की,अरखा गरखा बरखा भुलिगे (आ गई हो रंगीली ऋतु चौमास की प्रांत प्रांतर तक बरखा छा गई) गीतों में प्रकृति की सुंदरता और दर्द का उल्लेख है।

उन्होंने आजादी मिली रै शीर्षक से कविता में लिखा कि आज हम हैगों अजाता, आजादी मिली रै (आज हम आजाद हो गए हैं आजीदी मिल चुकी है)। उनकी उम्मीद जगाती कविता और फिर गीत उत्तराखंड आंदोलन में खूब गूंजे थे और कईं आंदोलन में यह गीत लोग गाते नजर आते हैं। अभिनय के निदेशक ललित बिष्ट ने कहा उनका लस्का कमर बांधा गीत हमेशा लोगों को प्रेरित करता रहेगा।

इस दौरान उनके गीत लस्का कमर बाँधा, हम पीड लुकाने रया, फूल टिपो टिपो है रे, बरखा झुलिगे, का वाद्ययंत्रों के साथ गायन भी हुआ। इस दौरान नीरज चौहान, राहुल आर्या, आभा बिष्ट, अमित लोहनी, मयंक रोत, सुमित लोहनी, तरुण बिष्ट, निश्चय तिवारी, हर्षित बिष्ट व प्रभात नेगी मौजूद रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *