Almora Special: राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा में आज ही के दिन आया था ऐ​तिहासिक पल (पढ़िये विस्तृत जानकारी डा. ललित जलाल के इस लेख में…)

कुमाऊं के सबसे प्राचीन नगर अल्मोड़ा का अतीत काल से ही समृद्ध शाली व गौरवमयी इतिहास व विशिष्ट संस्कृति रही है। इसलिए इसे सांस्कृतिक राजधानी…


कुमाऊं के सबसे प्राचीन नगर अल्मोड़ा का अतीत काल से ही समृद्ध शाली व गौरवमयी इतिहास व विशिष्ट संस्कृति रही है। इसलिए इसे सांस्कृतिक राजधानी के नाम से भी जाना जाता है। अल्मोड़ा अनेक स्वतंत्र संग्राम सेनानियों, कवियों, लेखकों, चिंतकों, शिक्षाविदों, कलाकारों एवं राजनीति महापुरुषों की जन्मस्थली व कर्म स्थली रहा है। दो विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता रविंद्र नाथ टैगोर तथा रोनाल्ड रॉस का संबंध भी अल्मोड़ा से ही रहा है।

इसके अलावा जो प्रमुख नाम उभरकर सामने आते हैं, वह हैं दिव्य पुरुष स्वामी विवेकानंद जी। जिन्होंने तीन व्याख्यान अल्मोड़ा में दिए और यहां उनका पहला व्याख्यान राजकीय इंटर कालेज अल्मोड़ा में स्थित सभागार में आज ही दिन (यानी 27 जुलाई, 1897) को हुआ था। जब स्वामी विवेकानंद जी के पवित्र पग इस विद्यालय में अवतरित हुए, त​ब केवल राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा ही भाग्यशाली नहीं रहा, बल्कि अल्मोड़ा निवासी भी इस पल को याद करते हुए गौरवान्वित होते हैं। स्वामी विवेकानंद ने 27 जुलाई 1897 को जिला स्कूल, जो वर्तमान में राजकीय इंटर कॉलेज के नाम से प्रख्यात है, में अपना पहला हिंदी भाषण सिद्धांत और व्यवहार में वेदों उपदेश विषय पर दिया था। ( on 27th July 1897 Swami Vivekananda lectured here year in in Hindi on vedic teaching in theory and practice, this is for the first time Swami ji deliverd a lecture in Hindi language and the masterly way in which he handled the language drew admiration everyone in the audience.)

यह पहला मौका था जब स्वामी जी ने हिंदी भाषा में व्याख्यान दिया था, जिस दक्षता के साथ स्वामी जी ने हिंदी भाषा का प्रयोग किया, उसकी प्रशंसा यहां उपस्थित सभी श्रोताओं ने की। जिस प्रकार स्वामी जी ने यहां हिंदी भाषा में प्रथम बार उद्बोधन किया, लोग आशंकित थे कि स्वामी जी इतना धारा प्रभाव व्याख्यान शायद ही देंगे, लेकिन स्वामी जी ने जब व्याख्यान देना प्रारंभ किया तो लोगों को देख कर आश्चर्य हुआ कि वह इस भाषा में भी अपनी बातें इतनी सटीक ढंग से लोगों तक पहुंचाने में सक्षम है।

इस व्याख्यान के दौरान एनी बेसेंट, मदन मोहन मालवीय तथा कई अन्य देश भक्त भी उपस्थित रहे। बताया जाता है कि उस समय यहां के तत्कालीन छात्र कुमाऊे केसरी बद्री दत्त पांडे भी उपस्थित थे। स्वामी जी के इस भाषण से उन्होंने आजादी के लिए व समाज सेवा की नई अलख जगाई। इस प्रकार स्वामी जी का दिया गया यह प्रथम हिंदी भाषण आज भी लोगों के दिलो-दिमाग में अवतरित है। इसके अलावा स्वामी विवेकानंद जी का दूसरा भाषण भी 31 जुलाई 1897 को इसी विद्यालय में हुआ। शायद ही ऐसा कोई विद्यालय रहा होगा, जिसमें स्वामी जी का हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में भाषण संपन्न हुआ हो। स्वामी विवेकानंद जी उस कालखंड में जितने प्रासंगिक थे, उससे भी ज्यादा उनके विचार व दर्शन आज ज्यादा प्रासंगिक नजर आ रहे हैं, क्योंकि भारत वर्तमान में युवाओं का देश है। लगभग देश की युवा आबादी 53% के आसपास है, तो इससे स्पष्ट होता है की स्वामी विवेकानंद जी का दर्शन युवाओं के लिए प्रेरणा पुंज के रूप में कार्य करेगा तथा युवाओं में ऊर्जा व जोश भरेगा व नए सिरे से नए भारत के निर्माण में अपना योगदान देने में समर्थ होगा। वैसे तो उत्तराखंड में स्वामी जी कई स्थानों पर गए, जिसमें मुख्य रूप से नैनीताल, पहाड़पानी, चंपावत, काठगोदाम, धारीडाक बंगला, टनकपुर, देहरादून आदि शामिल हैं, लेकिन जो प्रेम और जुड़ाव अल्मोड़ा से देखने को मिलता है, वह अन्य जगह नहीं।

इससे लगता है की अल्मोड़ा में कोई न कोई ऐसी बात है जो दिव्य महापुरुषों को अपनी ओर आकर्षित करता है, चाहे महात्मा गांधी जी हों, रवीना टैगोर, जवाहर लाल नेहरू, उदय शंकर, बोसी सेन, गोविंद लामा, गोविंद बल्लभ पंत, बद्री दत्त पांडे, सुमित्रानंदन पंत हों या फिर अन्य। सभी ने अल्मोड़ा को गहराई से जाना और समझा। तभी अल्मोड़ा सांस्कृतिक, आध्यात्मिक, राजनैतिक, सामाजिक व शैक्षणिक क्षेत्र में अपने आप को सिद्ध करने में समर्थ रहा है। वर्तमान में स्वामी जी के दर्शन व विचारों को अनवरत बढ़ाते के लिए रामकृष्ण मिशन अल्मोड़ा के अध्यक्ष स्वामी Dhruve sanand के अथक प्रयास से एक भव्य मूर्ति व उनका चित्रपट की स्थापना की गई है। जिसका लोकार्पण पिछले दिनों सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के प्रथम कुलपति प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र सिंह भंडारी ने किया।
प्रस्तुति — डॉ. ललित जलाल, प्रभारी
विवेकानंद अध्ययन एवं शोध केंद्र
राजकीय इंटर कॉलेज अल्मोड़ा

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