नई पहल: प्रयास रंग लाए, तो ‘सिसूण’ देगा पहाड़ में रोजगार

— पहाड़ की बिच्छू घास बड़े काम की चीज — ग्रीन हिल्स ट्रस्ट ने गांव—गांव जगाई अलख — केंद्र सरकार के वित्त पोषण से चली…


— पहाड़ की बिच्छू घास बड़े काम की चीज

— ग्रीन हिल्स ट्रस्ट ने गांव—गांव जगाई अलख

— केंद्र सरकार के वित्त पोषण से चली परियोजना

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
पहाड़ में बहुतायत पाई जाने वाली और आम तौर पर निष्प्रयोज्य समझी जाने वाली बिच्छू घास (सिसूण) बड़े काम की चीज है। इसमें बड़ा रोजगार देने की क्षमता है। अगर ग्रीन हिल्स ट्रस्ट के प्रयास रंग लाए, तो जल्द ही तमाम लोगों की आजीविका का साधन बनेगा। ऐसा प्रयास पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के वित्त पोषण से एक परियोजना के तहत चल रहा है। इसके लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए इनदिनों ट्रस्ट ने गांव—गांव जाकर अलख जगाना शुरू कर दिया है।

इसी क्रम में ग्रीन हिल्स ट्रस्ट द्वारा अल्मोड़ा जिले के भिकियासैंण ब्लाक अंतर्गत ग्रामसभा जमोली में जमोली व उसके आसपास के गांवों के ग्रामीणों के साथ गोष्ठी कर बिच्छू बूटी (घास) से जुड़े स्वरोजगार की संभावनाओं के बारे में विस्तार से समझाया। ग्रामीणों को बिच्छू घास (सिसूण) की उपयोगिता को बताई और इससे निर्मित उत्पादों की जानकारी दी। इन उत्पादों को बाजार में उतारकर आय अर्जन करने का तरीका समझाया और इसे स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया। इससे पूर्व दिवस यानी गत 22 जून 2022 को ट्रस्ट ने चौखुटिया विकासखंड की ग्रामसभा मसन्यू में ग्रामवासियों के साथ बैठक कर यही जानकारी बांटी। दरअसल, नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीस के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु

परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार के वित्त पोषण से ग्रीन हिल्स ट्रस्ट द्वारा ‘उत्तराखंड में जंगली पौधे बिच्छू घास या बूटी की आजीविका संवर्धन की क्षमता की तलाश’ परियोजना के तहत यह कार्य किया जा रहा है। ट्रस्ट द्वारा पोषण से परिपूर्ण बिच्छू घास द्वारा उत्पाद तैयार करने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। पहाड़ में सभी जगह आसानी से उपलब्ध बिच्छू घास, जिसे स्थानीय भाषा में सिसूण नाम से भी पुकारा जाता है, को रोजगार का साधन बनाने का प्रयास चल रहा है। हैदराबाद स्थित ‘नेशनल कोमोडिटीस मैनेजमेंट सर्विसेज़ लिमिटेड’ तथा गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर भी इस परियोजना में सहयोगी हैं। ग्रीन हिल्स ट्रस्ट की सचिव डा. वसुधा पंत इस प्रोजेक्ट की मुख्य वैज्ञानिक कोऑर्डिनेटर हैं। जिनकी निगरानी में परियोजना के कार्य चल रहे हैं। परियोजना का

उद्देश्य है कि पोषण से परिपूर्ण बिच्छू घास से निर्मित खाद्य पदार्थों को राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाना और पहाड़वासियों की आजीविका का साधन बनाना। जमोली की गोष्ठी की अध्यक्षता ग्राम प्रधान लाल सिंह अधिकारी ने की। जिसमें जमोली, ढूंगा, विनायक, मीनार, शिलंग किनार आदि गांवों के 48 लोगों ने प्रतिभाग किया। मसन्यू में बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान तारा बिष्ट ने की। जिसमें करीब 30 लोगों ने हिस्सा लिया। ग्रीन हिल्स की टीम में भूपेंद्र वल्दिया, दीपक जोशी, पुष्पा वल्दिया एवं पंकज शामिल रहे।

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