हकीकत में होते हैं देवदूत ! पढ़िये, उत्तराखंड पुलिस के इस कांस्टेबल की कहानी

​विक्षिप्त के रहनुमा बने उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल दिलीप सालों की सेवा, आज भिजवाया ‘आशादीप’ — रानीखेत से गोपालनाथ गोस्वामी ​की रिपोर्ट — देवदूत या…

  • ​विक्षिप्त के रहनुमा बने उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल दिलीप
  • सालों की सेवा, आज भिजवाया ‘आशादीप’

— रानीखेत से गोपालनाथ गोस्वामी ​की रिपोर्ट —

देवदूत या मसीहा केवल किस्से—कहानियों में ही नहीं होते, बल्कि इसी दुनियां में इंसानी रूप में उनका अस्तित्व ​आज भी विद्यमान है। अगर यह कहा जाये कि उत्तराखंड पुलिस के कांस्टेबल दिलीप किसी देवदूत से कम नहीं, तो कतई भी अतिशियोक्ति नहीं होगी।

दरअसल, हम यहां चर्चा कर रहे हैं बेतालघाट थाने में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल दिलीप कुमार की। जो अपने मानव सेवा के कर्म से सालों से चर्चा में रहते आये हैं। इन्होंने पुलिस की सख्त ड्यूटी के दौरान भी कभी अपना मानवीय कर्तव्य नहीं भूला और लगातार एक विक्षिप्त युवक की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते आ रहे हैं।

आज कांस्टेबल दिलीप ने मानवता की बड़ी मिसाल पेश करते हुए 15 सालों से भटक रहे एक विक्षिप्त युवक को अपने स्वयं के प्रयासों से हल्द्वानी स्थित आशादीप संस्थान भिजवाया है। यह वह संस्था है जो सालों से लावारिस, अनाथ और शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार लोगों की नि:स्वार्थ भाव से सेवा करते आ रहा है। खास बात यह है कि पुलिस के यह सिपाही लंबे समय से इस विक्षिप्त का सरकारी अस्पताल में न केवल उपचार करा रहे थे, बल्कि उसे नहलाने—धुलाने का जिम्मा भी इन्होंने ही उठाया था।

उल्लेखनीय है कि विगत 15 वर्षों से रानीखेत के गांधी पार्क पर खुले आसमान की ठंड तथा गर्मी झेल रहा एक विक्षिप्त ”विजय कोविड” को आज शुक्रवार को कांस्टेबल दिलीप कुमार ने अपने प्रयासों से हल्द्वानी स्थित आशादीप संस्थान पहुंचा कर मानवता की बड़ी मिसाल पेश की। विशेष बात यह है कि लंबे समय से विजय कोविड नाम का यह विक्षिप्त युवक गांधी पार्क में कंबल लपेटे देखा जाता था। स्थानीय लोग उसे खाना पहुंचा दिया करते थे, इसी तरह उसके दिन बीत रहे थे।

इधर विगत पूर्व में रानीखेत थाने में तैनात कांस्टेबल दिलीप की मानवीय संवेदनाएं विजय की स्थित को देखकर जाग उठीं। लॉक डाउन में कांस्टेबल दिलीप समय-समय पर उसके बाल काटने के बाद तथा नहला—धुला कर सरकारी अस्पताल में उसका नियमित रूप से इलाज कराते आ रहे थे। लॉक डाउन के बाद कांस्टेबल दिलीप का जनपद नैनीताल में तबादला हो गया। उसके बावजूद भी दिलीप यदा-कदा रानीखेत आकर विजय कोविड को नहलाने—धुलाने एवं नये कपड़े पहना कर वापस अपनी ड्यूटी पर जनपद नैनिताल चले जाते थे। यह सिलसिला लंबे समय से चलता रहा।

विक्षिप्त युवक विजय कोविड के साथ अस्पताल में कांस्टेबल दिलीप

अक्सर कांस्टेबल दिलीप कुमार की फोन पर वार्ता सीएनई के इस रिपोर्टर से हुआ करती थी। विजय के हालातों को लेकर कांस्टेबल दिलीप हमेशा पूछा करते थे। इसके बाद दिलीप ने तय किया कि वह विजय को हल्द्वानी के मोती नगर स्थित मानव सेवा संस्थान ”आशादीप” में पहुंचा देंगे। इसके लिए उन्होंने वहां के प्रबंधक से वार्ता की और अंत में उनका प्रयास सफल भी हो गया। आज शुक्रवार को किसी निजी वाहन से कांस्टेबल दिलीप हल्द्वानी से रानीख़ेत आये और विक्षिप्त को नहलाने—धुलाने के बाद अस्पताल में कोविड व अन्य जरूरी जांच करवाई। फिर डाक्टरी परामर्श के बाद वह विजय को वापस ”आशादीप” संस्थान ले गये।

कांस्टेबल दिलीप कुमार के इस सरहनीय कार्य को देखकर नगर के तामम लोगों ने उनके प्रयासों की भरपूर प्रशंसा की है। रानीखेत के कोतवाल राजेश यादव ने प्रबंधक आशादीप संस्थान के लिए एक निवेदन पत्र भी विजय के साथ भेजा है। उम्मीद करते हैं कि संस्थान में विजय को एक नई जिंदगी मिलेगी, जहां से वह स्वस्थ होकर लौटेगा।

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