पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनेगी जसुली शौक्याणी की ऐतिहासिक धर्मशाला, 65 प्रतिशत काम पूरा

01 करोड़ 96 लाख का भेजा गया है आंगणन24 लाख की आई है प्रथम किश्त सीएनई रिपोर्टर, सुयालबाड़ी/गरमपानी यहां कुमाऊं की महान दानवीर महिला स्व.जसुली…


01 करोड़ 96 लाख का भेजा गया है आंगणन
24 लाख की आई है प्रथम किश्त

सीएनई रिपोर्टर, सुयालबाड़ी/गरमपानी

यहां कुमाऊं की महान दानवीर महिला स्व.जसुली दताल (शौक्याणी) की धर्मशालाओं को पर्यटन हब के रूप में विकसित किये जाने का काम शुरू हो चुका है। खीनापानी में विभाग के पास आये 24 लाख रूपये से प्रथम फेज का निर्माण कार्य 65 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है, जबकि संपूर्ण सौंदर्यीकरण व पुर्ननिर्माण कार्य हेतु शासन को 01 करोड़ 96 लाख का आंगणन भेजा गया है।

उल्लेखनीय है कि धारचूला के दांतू गांव की महान दानवीर महिला स्व. जसुली दताल (शौक्याणी) ने लगभग 170 साल पहले दारमा घाटी से लेकर भोटिया पड़ाव हल्द्वानी तक धर्मशालाओं का निर्माण किया था। इनमें से अधिकांश धर्मशालाएं अब खंडहर के रूप में तब्दील हो चुकी हैं। दानवीर महिला जसुली देवी ने धर्मशालाओं का निर्माण पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, धारचूला, टनकपुर, अल्मोड़ा और बागेश्वर सहित पूरे कुमाऊं के पैदल रास्तों पर करवाया था। इन धर्मशालाओं का वर्णन 19वीं सदी के आठवें दशक (1870) में अल्मोड़ा के तत्कालीन कमिश्नर शेरिंग के यात्रा वृतांत में भी मिलता है। खबरें वही जो समय पर मिले, तो जुड़िये हमारे WhatsApp Group से Click Now

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इतिहासकार बताते हैं कि धारचूला से लेकर हल्द्वानी तक लगभग 200 धर्मशालाओं का निर्माण करवाने वाली इस दानवीर महिला के व्यापारी पति के पास अथाह धन था। यह दौलत महिला के पति ने बोरों में भरकर रखी थी। व्यापारी की असमय मौत के बाद जसुली देवी शौक्याणी ने दान स्वरूप इस धन को बहती नदी के जल में चढ़ाना शुरू कर दिया। कहा जाता है कि किसी व्यक्ति ने जसुली को इस धन का सदुपयोग विभिन्न पैदल मार्गों पर धर्मशालाएं बनवाकर करने की सलाह दी। इसके बाद इस महिला ने धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।

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ये धर्मशालाएं उन मार्गों पर बनाई गईं, जिनसे भोटिया व्यापारी आवागमन किया करते थे। इसके अलावा, कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर भी उन्होंने धर्मशालाओं का निर्माण करवाया। निर्माण के लगभग 150 वर्षों तक इन धर्मशालाओं का उपयोग होता रहा। 1970 के आसपास सीमांत तक सड़क बनने के बाद ये धर्मशालाएं उपेक्षित हो गईं। अधिकांश धर्मशालाएं अब खंडहर हो चुकी हैं। जसुली दताल ने 30 धर्मशालाएं अल्मोड़ा जिले में बनवाई, जबकि चंपावत जनपद में 03 धर्मशालाएं हैं। हालांकि बागेश्वर जिले में कोई धर्मशाला नहीं मिली है।

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प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने पर्यटन विभाग के माध्यम से 13 डिस्ट्रिक्ट 13 डेस्टिनेशन योजना के तहत दानवीर जसुली दताल की इन धर्मशालाओं को नया रूप देकर अतिथि गृह में विकसित करने का फैसला लिया है, इसके अंतर्गत अल्मोड़ा जिले के तमाम स्थानों पर धर्मशालाओ को चिन्हित किया जा रहा है। जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने जानकारी देते हुए बताया कि धर्मशालाओं का पुनर्निर्माण कर उन्हें अतिथि गृह के रूप में विकसित किया जाएगा। अल्मोड़ा जिले में ही जसुली द्वारा बनाई गई 30 से अधिक धर्मशालाएं हैं। यह सभी धर्मशालाएं नौलो तथा गधेरों के समीप बनी हुई है। जिले में अब तक 05 स्थानों पर जसुली देवी की बनाई धर्मशालाएं मिल चुकी है, जिन्हें अब अतिथि गृह के रूप में संवारा जाएगा।

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खीनापानी में 65 प्रतिशत से अधिक काम पूरा : एई

कुमाऊं मंडल विकास निगम के एई महेश उप्रेती ने बताया जसुली देवी स्मारक की बाउंडरी वाल बन चुकी है। अब आगे पटाल बिछायी जायेगी तथा पूरी छत भी नई बनेगी।भीतरी कमरों में भी पटाल बिछनी है। प्रथम फेज का काम लगभग 65 प्रतिशत से अधिक पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि लगभग 24 लाख रूपये विभाग के पास आया है, जिससे निर्माण कार्य चल रहा है। द्वितीय फेज में कुछ अन्य विकास कार्य होंगे। जिसमें एंगल आदि लगेंगे।
इस हेतु भी शासन को 1 करोड़ 96 लाख का आंगणन भेजा गया है। यदि उक्त धनराशि स्वीकृत हो जाती है तो ऊपर व नीचे सभी धर्मशालाओं के जीर्णोद्धार का कार्य संतोषप्रद ढंग से पूरा हो जायेगा। रेस्टोरेंट, टैंट आदि के कार्य बाद में प्रस्तावित है।

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