गुर्दे की पथरी के मरीज अनदेखा न करे बीमारी – रवि कांत

ऋषिकेश। यदि आपको गुर्दे की पथरी के दर्द की शिकायत है, तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करें। यह लापरवाही शरीर के अन्य हिस्सों को…

ऋषिकेश। यदि आपको गुर्दे की पथरी के दर्द की शिकायत है, तो इसे बिल्कुल भी अनदेखा नहीं करें। यह लापरवाही शरीर के अन्य हिस्सों को भी नुकसान पहुंचा सकती है, जिससे वन को खतरा हो सकता है। इस बीमारी के इलाज के लिए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश में सभी उच्च तकनीक की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस बीमारी का इलाज आयुष्मान भारत योजना में भी शामिल है।

विशेषज्ञ चिकित्सकों की मानें तो गुर्दे की पथरी संबंधी बीमारी को लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं। इस बीमारी को नेफ्रोलिथियॉसिस नाम से जाना जाता है। इस बीमारी का समय पर इलाज नहीं कराने से कई बार यह बीमारी घातक व जानलेवा हो जाती है। भले ही पारंपरिक तौर-तरीकों से लेकर आधुनिक एलोपैथी पद्धति तक उपचार की सभी प्रणालियां इस बीमारी के उपचार का दावा करती हैं, लेकिन देखा गया है कि पीड़ित व्यक्ति पूरी तरह से ठीक होने की उम्मीद में इधर-उधर परेशान होकर अपनी जान गंवा बैठता है।

एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि संस्थान में सभी प्रकार के गुर्दे की पथरी के निदान और उपचार के लिए पूरी तरह से सुसज्जित व आधुनिकतम तकनीकी की मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हैं। इसके साथ ही यूरोलॉ विभाग में एक उन्नत यूरोलॉ सेंटर बनाया जा रहा है, जिसका कार्य लगभग अंतिम चरण में है। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि इसमें एक विश्वस्तरीय डॉर्नियर लिथोट्रिप्सी मशीन और यूरोलॉजिकल निदान के लिए रेडियोलॉ सूट भी है। उनके अनुसार गुर्दे की पथरी का संपूर्ण उपचार और सर्जरी की सुविधा का आयुष्मान भारत योजना में में प्रावधान किया गया है।

संस्थान के यूरोलॉ विभागाध्यक्ष डा. अंकुर मित्तल ने बताया कि गुर्दे की पथरी बच्चों से लेकर बजुर्ग लोगों तक किसी को भी हो सकती है। विशेषज्ञ चिकित्सक के अनुसार मूत्र के कैल्शियम, यूरिक एसिड, सिस्टीन या ऑक्सालेट जैसे पदार्थों के सुपर सैचुरेशन के कारण ही पथरी बनती है। प्रारंभिक चरण में यह पदार्थ क्रिस्टल बनाते हैं, जो गुर्दे में फंस जाते हैं। इन क्रिस्टलों के चारों ओर पदार्थों का जमाव होता है और अंततः गुर्दे की पथरी बनती है।

डा. मित्तल ने बताया कि कभी-कभी यह पथरी मूत्र मार्ग से निकल जाती है, जबकि कभी बिना लक्षण के ही गुर्दे में पड़ी रहती है। दर्द तब होता है, जब वह गुर्दा या मूत्र पथ के किसी भी हिस्से में फंस जाती है। गुर्दे की पथरी की बीमारी के लक्षणों के बारे में उन्होंने बताया कि पेट और जांघ के बीच के भाग और बगल (फ्लैंक) में उतार-चढ़ाव के साथ कष्टदायी दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। जिससे बुखार और ठंड लगने के साथ मूत्र मार्ग में संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा पथरी से जलन और मूत्र में रक्त का प्रवाह भी हो सकता है। अगर समय पर इलाज नहीं किया गया तो इसका प्रभाव सीधे किडनी में पड़ता है, जिससे किडनी को अपरिवर्तनीय क्षति हो सकती है।

डा. मित्तल ने कहा कि बगल (फ्लैंक) में या पेट और जांघ के बीच के भाग में अत्यधिक असहनीय दर्द की शिकायत होने पर रोगी को शीघ्रातिशीघ्र पूर्ण जांच के लिए मूत्र रोग विशेषज्ञ से संपर्क करना चाहिए और तत्काल दर्द से राहत के लिए एनएसएआईडीएस जैसे (डिक्लोफैनेक) दवा शुरू करनी चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि गुर्दे की पथरी बनने से रोकने के लिए व्यक्ति को अधिकाधिक तरल पदार्थ पीना चाहिए। ताकि दिन में न्यूनतम 2 लीटर तक मूत्र का विसर्जन हो सके। इसके अलावा उनकी यह भी सलाह है कि रोगी को कम नमक वाला भोजन, मांस का कम उपयोग, कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का भी त्याग कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो रोगी दूर हैं और कोविड-19 के कारण एम्स ऋषिकेश में उपचार के लिए नहीं आ सकते हैं, खासकर पहाड़ी इलाकों में रहने वाले ऐसे मरीजों की सुविधा के लिए एम्स में मूत्र रोग विभाग की टेलिमेडिसिन ओपीडी की भी सुविधा संचालित हो रही है। ऐसे रोगी टेलीमेडिसिन दूरभाष नंबर 8126542780 पर सुबह 9 से अपराह्न 1 बजे के मध्य संपर्क कर जरुरी परामर्श ले सकते हैं। इसके अलावा एम्स द्वारा ई-संवनी ऑनलाइन परामर्श सेवा भी संचालित की जा रही है।

गुर्दे की पथरी के लक्षण और उपचार

1-पेट के निचले हिस्से में या पेट और जांघ के बीच के भाग में उतार चढ़ाव के साथ हल्का दर्द होना जो कि छोटी पथरी के लक्षण हैं। ऐसे लक्षण के रोगी रोजाना 8-10 गिलास पानी का सेवन करें।

2-ठंड लगने के साथ बुखार आना, मचलना और उल्टी की शिकायत, ऐसे लक्षण 1 सेंटीमीटर से बड़ी पथरी के हो सकते हैं। ऐसे मरीजों का शॉक वेव लिथोट्रिप्सी के साथ इलाज किया जा सकता है। इस तरह के रोगी कैफीनयुक्त पेय पदार्थों से बचें और कम नमक वाला आहार लें ।

3-मूत्र में रक्त आना, यह बड़ी पथरी के लक्षण हैं। इसका इलाज एंडोस्कोपिक लिथोट्रिप्सी और पर्क्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटोमी तकनीक से किया जाता है। रोगी को पालक, नट्स, चॉकलेट्स आदि ऑक्सालेट युक्त भोजन का पूर्णरूप से त्याग कर देना चाहिए।

सावधान ! इन जगहों पर 28 दिन में भी नहीं मरता कोरोना वायरस, सर्दी में और बढ़ेगी महामारी- शोध

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *