लालकुआं : शहीद स्मारक पर हुआ किसान रैली का समापन

लालकुआं। अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा शहीद स्मारक पर “किसान रैली” की गयी। “किसान रैली” की शुरुआत किसान आंदोलन के शहीदों को एक मिनट के…


लालकुआं। अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा शहीद स्मारक पर “किसान रैली” की गयी। “किसान रैली” की शुरुआत किसान आंदोलन के शहीदों को एक मिनट के मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। गौरतलब है कि अमर शहीद नागेन्द्र सकलानी के शहादत दिवस 11 जनवरी से “तीनों कृषि कानून हटाओ, गरीब-गुरबों और आमजन की रोटी बचाओ” नारे के साथ “किसान यात्रा” शुरू हुई थी, जिसका समापन आज “किसान रैली” के साथ हुआ। किसान रैली के लिए बड़ी संख्या में किसान दीपक बोस भवन, कार रोड बिंदुखत्ता में जमा हुए जहां से जुलूस की शक्ल में काले कृषि कानून वापस लो, खेती बचाओ-रोटी बचाओ, खेती को बड़े पूंजीपतियों के हवाले करना बंद करो, संविधान बचाओ-लोकतंत्र बचाओ, जमाखोरी बढ़ाने वाले कानून वापस लो, किसान आंदोलन जिंदाबाद के नारों के साथ किसान शहीद स्मारक पहुंचे जहां किसान आंदोलन के समर्थन में जनसभा की गई।

अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा आयोजित “किसान रैली” को संबोधित करते हुए किसान महासभा के प्रदेश अध्यक्ष आनन्द सिंह नेगी ने कहा कि, “मोदी सरकार द्वारा 2014 से अब तक अडानी को कई एग्रो इंडस्ट्रीज का लायसेंस देकर भारतीय खाद्य निगम की जमीन गौतम अडानी को लाखों मीट्रिक टन के स्टील साइलो (विशेष गोदाम) बनाने के लिए दे दी। देश की जनता की आवाज को दरकिनार कर इन भण्डारगृहों को भरने के लिए ही कोरोना काल में तीन कृषि कानून बनाकर मोदी सरकार ने आपदा में अवसर ढूंढकर किसानों को चुपड़ी बातें और अडानी – अम्बानी को चुपड़ी रोटी परोस दी है जिसे किसान और किसान संगठनों ने भली – भांति समझ लिया है।”

उन्होंने कहा कि, “किसानों को भ्रमित करने के क्रम में मोदी सरकार ने कभी कमेटी, कभी कानूनों में संशोधन, कभी सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता करवाने की साज़िश करने से जनता में अपनी साख खो दी है और अब किसान विरोधी जनविरोधी कृषि कानूनों को रद्द करने के बजाय डेढ़ साल तक लागू नहीं करने की बात कहकर अडानी अंबानी के प्रति अपनी वफादारी का प्रमाण भी दे दिया है।”

भाकपा (माले) के राज्य सचिव कामरेड राजा बहुगुणा ने कहा कि, “किसान आंदोलन ने देशव्यापी स्वरूप ग्रहण कर लिया है ऐसे में मोदी सरकार को बजट सत्र के पहले दिन इन काले कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।अगर अंबानी अडानी के दबाव के कारण मोदी सरकार काले कृषि कानून वापस लेने में सक्षम नहीं है तो मोदी सरकार को गद्दी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार आने के बाद भारतीय गणतंत्र में गण पर तंत्र हावी होता जा रहा है। किसान आंदोलन ने देश, संविधान और लोकतंत्र को बचाने की नयी ऊर्जा का संचार किया है। किसानों की गणतंत्र दिवस पर होने जा रही ट्रैक्टर परेड गणतंत्र की नई इबारत लिखने जा रही है।” उन्होंने कहा कि, “मोदी सरकार ने जिस तरह से बड़े कॉरपोरेट घरानों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है उसके खिलाफ किसानों की यह लड़ाई नए कंपनी राज के अंत का ऐलान कर रही है जो कि सुखद संकेत है।”

अखिल भारतीय किसान महासभा के जिला अध्यक्ष वरिष्ठ किसान नेता बहादुर सिह जंगी ने कहा कि, “किसानों को उनकी फसलों का स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिश अनुसार लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित कर सरकारी खरीद की गारंटी करने का कानून बनाने की मांग पिछली सरकारों के समय से ही चली आ रही है जिसे स्वयं 2014 में मोदी और भाजपा ने अपने मुख्य एजेंडे में रखा था परंतु किसानों की इस जायज मांग पर कानून लाने के बजाय किसानों को उनकी फसलों व उनकी खेती से ही बाहर करने के लिए फसलों को खरीददारों को औने पौने दाम में खरीदने, कृषि भूमि को हड़पने के साथ ही पूंजीपतियों को जमाखोरी कर मनमाने रेट में बेचने का अधिकार देकर आम नागरिकों की खाद्य सुरक्षा को भी खतरे में डाल दिया है।”

भाकपा (माले) जिला सचिव डॉ. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, “मोदी सरकार का झूठ अब और अधिक नहीं चलने वाला। मोदी सरकार को किसानों को बरगलाने की कोशिश करने के बजाय तीनों कानूनों को रद्द करना ही होगा क्योंकि अब देश का किसान और उसके समर्थन में मजदूर, नौजवान और आम जनता अपने घरों से बाहर निकल आयी है।”

“किसान रैली” में मुख्य रूप से आनन्द सिंह नेगी, बहादुर सिंह जंगी, राजा बहुगुणा, डॉ. कैलाश पाण्डेय, भुवन जोशी, आनन्द सिंह सिजवाली, ललित मटियाली, गोविंद सिंह जीना, किशन बघरी, विमला रौथाण, बसंती बिष्ट, नैन सिंह कोरंगा, बिशन दत्त जोशी, हयात राम, गणेश पाठक, राजेन्द्र शाह, गोपाल गड़िया, धीरज कुमार, बचन सिंह, कमलापति जोशी, आनंद सिंह दानू, पनिराम, त्रिलोक राम, शिवा कोरंगा, निर्मला देवी, त्रिलोक सिंह दानू, मदन धामी, एन डी जोशी, गंगा सिंह, दौलत सिंह कार्की, शेर सिंह पपोला, विनोद कुमार, माधो राम, खीम सिंह, स्वरूप सिंह दानू,पार्वती जंगी, ललित जोशी, निर्मला देवी, शांति देवी, आनंदी जोशी, कलावती सिजवाली, प्रोनोबेस, टुम्पा, मोहन जोशी, खीम वर्मा, रवि, दीपक, गोपाल सिंह, शशि गड़िया, सुरमा देवी, भुवनेश्वरी देवी, गायित्री, लीला, खिमुली देवी, दान सिंह मेहरा, हर्षवर्धन जोशी आदि बड़ी संख्या में किसान और आम लोग शामिल रहे। नैनीताल से पहुंचे पंकज भट्ट और कमल जोशी ने किसान आंदोलन के समर्थन में जनगीतों को प्रस्तुत किया।

संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठ कर संविधान को बचाने की शपथ लेते हुए किसान रैली का समापन हुआ।

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