रामनगर। रचनात्मक शिक्षक मण्डल की पहल पर सुंदरखाल के स्कूली बच्चों ने गीत, संगीत, लोककथाओं, मुहावरों, लोकोक्तियों के माध्यम से कुमाउनी और गढ़वाली भाषा सीखी। ज्ञातव्य रहे कि शिक्षक मण्डल द्वारा रामनगर के सामाजिक, आर्थिक, भौगोलिक रूप से पिछड़े गांवों में 20 बाल पुस्तकालय ख़ोले गए हैं। उन पुस्तकालयों के माध्यम से बच्चों में पढ़ने की अभिरुचि पैदा करने के साथ-साथ बाल अभिरुचि की अन्य गतिविधियां आयोजित करवाई जाती हैं। इसी क्रम में आज से शिक्षक मण्डल द्वारा बच्चों को यू के जेमर्स के साथ मिल गीत संगीत के माध्यम से कुमाउनी गढ़वाली सिखाने का कार्यक्रम शुरू किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गिरीश तिवारी गिर्दा लिखित गीत उत्तराखण्डा मेरी मातृभूमि से किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी रामनगर विजयनाथ शुक्लमौजूद रहे। अपने वक्तव्य में उन्होंने इस पहल का स्वागत करते हुए आशा व्यक्त की। इस प्रकार के कार्यक्रमों से जहां एक ओर बच्चे अपनी लोकभाषा, संस्कृति की जड़ों से जुड़ेंगे वहीं दूसरी ओर उनमें पढ़ने की प्रव्रत्ति विकसित होगी। जो उनके विकास के लिए सबसे अहम है। लोकभाषा को गहराई से जानने पर हमें देश दुनिया की दूसरी भाषाओं के प्रति रुचि ही पैदा नहीं होगी बल्कि इस देश की विविधता को जानने का मौका भी लगेगा। बच्चों ने हीरा सिंह राणा का गीत लस्का कमर बांधा, फूल टिपो-टिपो हेरे आज म्यर गों में, गिरीश तिवारी गिर्दा का जेन्ता एक दिन तो आलो उ दिन य दुनि में, हुलरी एगे ब्याल के अलावा नरेंद्र सिंह नेगी, गोपाल भट्ट, मथुरादत्त मठपाल के गीत गाये। प्रतिभागी बच्चों को कुमाउनी, गढ़वाली लोककथाओं, लोकोक्तियों के माध्यम से भी लोकभाषाओं की जानकारियां दी गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता नरीराम स्नेही ने की। इस मौके पर कार्यक्रम संयोजक नवेंदु मठपाल, तुषार बिष्ट, ललित बिष्ट, नीरज चौहान, उदय प्रांजलि मौजूद रहे।
रामनगर न्यूज़ : गीत संगीत, लोककथाओं से सीखी कुमाउनी, गढ़वाली…
रामनगर। रचनात्मक शिक्षक मण्डल की पहल पर सुंदरखाल के स्कूली बच्चों ने गीत, संगीत, लोककथाओं, मुहावरों, लोकोक्तियों के माध्यम से कुमाउनी और गढ़वाली भाषा सीखी।…