गरीबी पर चोट: किसी घर का चिराग बुझा, रेस्टोरेंट स्वामी का दिल नहीं पसीजा, पुलिस ने मुंह फेरा; कर्नाटक ने संज्ञान लेते हुए सीएम को लिखा पत्र (पढ़िये पूरी खबर)

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ागरीब तबके के लोगों के प्रति मानवीय संवदेनाएं तार—तार होती प्रतीत हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। घटना…


मृतक का फाइल फोटो

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा
गरीब तबके के लोगों के प्रति मानवीय संवदेनाएं तार—तार होती प्रतीत हो रही हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है। घटना दिल्ली की जरूर है, मगर अन्याय हुआ पहाड़ के अल्मोड़ा जिले के परिवार के साथ। दूर दिल्ली का यह मामला एनआरएचएम उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष (कैबिनेट स्तर) बिट्टू कर्नाटक के माध्यम से प्रकाश में आया है। इसी संदर्भ में श्री कर्नाटक ने मुख्यमंत्री उत्तराखंड को ज्ञापन भेजा है और दिल्ली के दोषी व्यवसायी के खिलाफ कार्रवाई कराने तथा पीड़ित परिवार को यथोचित मुआवजा दिलाने के लिए दिल्ली सरकार से वार्ता करने का अनुरोध किया है।
मुख्यमंत्री उत्तराखंड को भेजे गए ज्ञापन से सामने आई कहानी ये है कि अल्मोड़ा जिले के भैसियाछाना ब्लाक के ग्राम खांकरी निवासी सोबन सिंह पुत्र चंदन सिंह लक्ष्मीनगर दिल्ली में विजय चौक (जी-87) के पास​ स्थित एक रेस्टोरेंट में नौकरी कर रहा था। लाकडाउन अवधि में रेस्टोरेंट स्वामी ने सोबन सिंह को तीन माह के लिए घर भेज दिया और तीन माह के बाद बार—बार फोन कर वापस काम पर बुलाया।दिल्ली वापस पहुंचने के ठीक 22 दिन बाद सोबन सिंह के साथ करेंट लगने की घटना घटित हो गई। बताया गया है कि रेस्टोरेंट व्यवसायी की लापरवाही से उसे करेंट लगा। इस व्यवसायी ने सोबन सिंह को करेन्ट लगने के बाद तत्काल चिकित्सालय में भर्ती नहीं कराया और समय पर इलाज नहीं मिलने से सोबन सिंह की मौत हो गई। हद ये है कि इसके बाद भी व्यवसायी द्वारा यथासमय मृतक के परिजनों को सूचना तक नहीं दी गई। बाद में मिली सूचना के आधार पर परिजन जब दिल्ली पहुंचे, तो उन्हें स्वयं ही पोस्टमार्टम की कार्रवाई करनी पड़ी और बताया जा रहा है कि उस पोस्टमार्टम की रिपोर्ट आज तक नहीं मिली। मृतक के परिजनों को उक्त व्यवसायी या दिल्ली सरकार से कोई मुआवजा नहीं मिला। लेकिन ऊंची पहुंच नहीं होने तथा गरीब होने के कारण व्यवसायी के खिलाफ कोई कार्रवाई भी अमल में नहीं आई, जबकि इसके लिए परिजनों ने दिल्ली पुलिस से अनुरोध भी किया।
गरीब परिवार के एक व्यक्ति की जान चले गई। मगर किसी ने सुध नहीं ली। गौरतलब है कि मृतक अपने परिवार का एक मात्र कमाऊं पूत था। उसकी ही मेहनत मजदूरी पर पूरे परिवार का भरण पोषण चल रहा था। सोबन सिंह की मौत के बाद परिवार टूटा है और कमाई का कोई जरिया नहीं होने से गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है। कहीं से कोई मदद तक नहीं। मामला एनआरएचएम उत्तराखंड के पूर्व उपाध्यक्ष (कैबिनेट स्तर) बिट्टू कर्नाटक के संज्ञान में आया, तो उन्होंने अपने स्तर से उक्त पूरी कहानी का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र भेजा है। श्री कर्नाटक ने ज्ञापन में मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि अपने स्तर से दिल्ली सरकार से वार्ता कर मृतक के परिजनों को न्याय दिलाएं और दोषी व्यवसायी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करवाएं। उन्होंने भुखमरी की कगार पर पहुंचे पीड़ित परिवार को पर्याप्त मुआवजा दिलाने का अनुरोध किया है। साथ ही परिवार की दयनीय हालत को देखते हुए भरण पोषण के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष से यथोचित धनराशि स्वीकृत करवाने का अनुरोध किया है।

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