हल्द्वानी न्यूज : शहीद सैनिकों के सम्‍मान में ‘माले’ का “शोक व श्रद्धांजलि दिवस”

जगमोहन रौतेला हल्द्वानी। भाकपा(माले) द्वारा गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों के सम्‍मान में शोक व श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया गया। 22 जून को…

जगमोहन रौतेला

हल्द्वानी। भाकपा(माले) द्वारा गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों के सम्‍मान में शोक व श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया गया। 22 जून को शहीद सैनिकों के सम्‍मान में पूरे देश में माले द्वारा श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया गया है। श्रद्धांजलि दिवस की शुरुआत शहीद सैनिकों को दो मिनट की मौन श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। यह आयोजन पार्टी कार्यालय में व कार्यकर्ताओं द्वारा अपने अपने घरों में किया गया।

इस अवसर पर भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि, “भारत की संप्रभुता की रक्षा करते हुए एलएसी पर शांति की गारंटी होनी चाहिये। युद्ध नहीं शांति ही रास्ता है और हम अपने और सैनिकों की जान खतरे में नहीं डाल सकते हैं।” उन्होंने कहा कि, “चीनी सैन्‍य टुकड़ियों के साथ आमने सामने की लड़ाई में एक कर्नल समेत बीस भारतीय सैनिकों की शहादत हो गई।

एक ओर जहां सैन्‍य-कूटनीतिक-राजनीतिक दायरे में मोदी सरकार चीन के दावे को चुपचाप स्‍वीकार करती जा रही है, दूसरी ओर संघ-भाजपा खेमा इसे छिपाने के लिए विपक्षी दलों पर अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं। यह भी कम शर्मनाक नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी ने नियंत्रण रेखा पर हुई मुठभेड़ और भारतीय सैनिकों की दुखद मौतों को बिहार का गौरव बताना शुरु कर दिया है, क्‍योंकि वहां बिहार रेजीमेण्‍ट की 16वीं बटालियन तैनात है। बिहार के चुनावों में कुछ ही महीने रह गये हैं और अमित शाह की डिजिटल रैली के माध्‍यम से भाजपा प्रचार अभियान शुरू कर चुकी है,

यह समझना मुश्किल नहीं है कि मोदी भारत की सेना को क्षेत्रवाद के चश्‍में से क्‍यों देख रहे हैं। कर्नल संतोष बाबू तेलंगाना के थे और तमाम अन्‍य शहीद सैनिक बिहार सहित भारत के विभिन्‍न राज्‍यों से थे। देश की जनता को सभी शहीद सैनिकों के जाने का दुख है, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि रेजीमेण्‍ट का नाम क्‍या था या जवानों की क्षेत्रीय पहचान क्‍या है।”
माले जिला सचिव डॉ कैलाश पाण्डेय ने कहा कि,”देश की जनता को लद्दाख में नियंत्रण रेखा पर तनाव और भारत की चीन सम्‍बंधित नीति के मामले में सच को जानने का अधिकार है।

सरकार से हमारी मांग है कि उस क्षेत्र में हालात के बारे में देश को अंधकार में न रखा जाय. ये वह सरकार है जो भारत के अंदर जनता के संघर्षों को दबाने के लिए हमेशा सीमा पर सैनिकों की दुहाई देती रहती है, उसे आज यह बताना होगा कि क्‍यों भारतीय सैनिकों को निहत्‍थे ही जंग में उतार दिया गया जिसके कारण इतनी सारी जानें चली गईं।”

शहीद सैनिकों के सम्मान में हुए शोक श्रद्धांजलि दिवस कार्यक्रम में मुख्य रूप से कामरेड राजा बहुगुणा, बहादुर सिंह जंगी, डॉ कैलाश पाण्डेय, देवेन्द्र रौतेला, एन डी जोशी, ललित मटियाली, विमला रौथाण, राजेंद्र, गोपाल सिंह, नैन सिंह, ललित जोशी, हरीश भंडारी,कमल जोशी आदि शामिल रहे।

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