उत्तराखण्ड की जनचेतना के एक सशक्त हस्ताक्षर थे मंगलेश डबराल ! उलोवा की शोक सभा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा उत्तराखंड लोक वाहिनी की यहां आयोजित शोक सभा में वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

उत्तराखंड लोक वाहिनी की यहां आयोजित शोक सभा में वरिष्ठ साहित्यकार मंगलेश डबराल के निधन पर गहरा शोक प्रकट करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। साहित्यकार कपिलेश भोज की अध्यक्षता में हुए शोक सभा में उलोवा के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी ने कहा कि मंगलेश डबराल उत्तराखण्ड की जनचेतना के एक सशक्त हस्ताक्षर रहे। उनके निधन से साहित्य जगत की अपूर्णीय क्षति हुई है। एडवोकेट जगत रौतेला ने कहा कि मंगलेश डबराल ने दु:खी,पीड़ित व मजलूमों की समस्याओं को अपने साहित्य व कविताओं मे स्थान दिया। दयाकृष्ण काण्डपाल ने कहा कि मंगलेश डबराल की मृत्यु पत्रकारिता जगत की अपूर्णीय क्षति है। वाहनी के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा ने कहा कि पत्रकार, साहित्यकार व लेखक समाज की धरोहर होते हैं। अजयमित्र सिह बिष्ट ने कहा कि मंगलेश डबराल का उत्तराखण्ड की आन्दोलनकारियों की शक्तियों से आत्मीय सम्बन्ध रहे। कुणाल तिवाड़ी ने मंगलेश डबराल की कविता को पाठ कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। वरिष्ठ साहित्यकार कपिलेश भोज ने मंगलेश डबराल की साहित्य यात्रा पर प्रकाश डालते हुवे कहा कि पहाड़ पर लालटेन मंगलेश डबराल की चर्चित रचनायें थीं। इसके अलावा घर का रास्ता भी लोकप्रिय हुई। ये उनकी प्रमुख रचनाएं थीं। मंगलेश एक बेहतरीन सम्पादक रहे। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उन्होने सम्पादन किया। वे बेहतरीन गद्यकार के रूप में भी याद किये जाएंगे। कविता, कहानीकार, गद्यकार व बेहतरीन सम्पादक के रूप में हमेशा याद किये जायेंगे। वे मेहनतकस जनता व आम लोगों के पक्ष मे खड़े रहे। जिस प्रकार सुमित्रानन्दन पन्त विश्वभर मे प्रसिद्ध हुए वैसे ही मंगलेश डबराल भी अन्तराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय रहे। भारत के विश्वविद्यालयो के साथ ही अन्तराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में उनकी कविताये पढ़ाई जाती हैं। अन्त मे दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। बैठक में रेवती बिष्ट, शमशेर जंग गुरुग, अजय सिंह मेहता आदि शामिल रहे।

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