हल्द्वानी न्यूजः मनसा मानसिक परार्मश केंद्र के छह वर्ष पूरे, डा. नेहा शर्मा को लोगों ने दीं शुभकामनाएं

हल्द्वानी। मानसिक बीमारियों से त्रस्त लोगों की समस्याओं का समाधान करते हुए हल्द्वानी के चिर परिचित मनसा मानसिक स्वाथ्य परामर्श केंद्र को छह साल पूरे…

हल्द्वानी। मानसिक बीमारियों से त्रस्त लोगों की समस्याओं का समाधान करते हुए हल्द्वानी के चिर परिचित मनसा मानसिक स्वाथ्य परामर्श केंद्र को छह साल पूरे हो गए है। कल परामर्श केंद्र में डा. नेहा शर्मा को बधाई देने वालों का तांता लंगा रहा। कोरोना काल में डा. नेहा ने मरीजों को न सिर्फ आन लाइन परामर्श दिया बल्कि देश विदेश के तनाव आदि मानसिक समस्याओ को झेल रहे लोगों को आन लाइन परामर्श देकर नया कीर्तिमान भी स्थापित किया। वे कहती है यह उनके लिए नया अनुभव तो रहा लेकिन इससे लोगों को फायदा मिला तो यही उनकी सफलता है।


छह साल की अवधि में डा. नेहा शर्मा ने अपने क्लीनिक में लोगों की समस्याओं का समाधान तो किया ही, समय समय पर निशुल्क शिविर लगा कर लोगों की मानसिक बीमारिया पर उन्हें परामर्श देने के साथ इलाज भी किया। डा. नेहा को उनकी इस उपलब्धि पर अलग-अलग संस्थाओं ने उन्हें सम्मानित भी किया। डा. नेहा बताती है कि कोविड 19 काल मे जब लोग घर से बाहर नहीं निकल पा रहे थे और घर में बैठे बैठे अनेकानेक मानसिक बीमारियों के शिकार हो रहे थे ऐसे में न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशांें में बैठे लोगों को भी उन्होंने टेलीकाउंसिलिंग से लाभ दिया। नशे के गिरफ्त में आए लोगों की काउंसिलिंग आदि पर भी डा. नेहा को महारथ हासिल है।

कोविंड काल में उन्होंने किताब लिखने की भी तैयारी की। वे कहती है कि मनोचिकित्सक के पास एक नहीं अलग अलग कई किताबे लिखने के लिए सामग्री होती है इन शोधों से समाज को लाभ भी मिलता है।
वे बताती हैं कि आने वाले समय में मनो रोगियों की संख्या में इजाफा होने की आशंका है। कोरोना काल में लोगों में तरह तरह के मनोविकार देखें गए अब इन विकारों का असर लोगों के दैनिक जीवन पर भी पड़ेगा। इनमें अचानक घबराहट, हृदय की धड़कन तेज होना, पसीना आना, छाती में दबाव, मुँहसूखना, गला बन्द होना, साँस लेने में परेशानी, हाथ-पैरों का काँपना, नींद न आना, महसूस होना कि गिर जायेंगे, बैचेनी इतनी बढ़ना की मृत्यु कर डर। जरूरी नहीं ये लक्षण कोई घातक बिमारी के हो।

यह लक्षण एंग्जाइटी पैनिक अटैक यानि ‘‘चिन्ता के दौरे‘‘ के हो सकते हैं। इस बीमारी को एंग्जाइटी पैनिक अटैक कहते हैं। उन्होंने बताया कि अभी हालातों में अपेक्षित सुधार दिखाई नहीं पड़ रहा है इसलिए उके क्लीनिक द्वारा दी जा रही टेली कांउसलिंग सुविधा आगे भी यथावत जारी रहेगी।

उन्होंने बताया कि उनके क्लीनिक में अब मानसिक रोगियों की सहायता के लिए अत्याधुनिक पद्धति से इलाज की व्यवस्था की गई है।
जो भी हो डा. नेहा को मनसा मानसिक स्वास्थ्य परामर्श केंद्र के छह वर्ष पूर्ण होने पर सीएनई परिवार की ओर से शुभकमानाएं।

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