कोरोना संकट 1 : मीडिया की जिम्मेदारी पर भारी विभाग की पर्देदारी

हल्द्वानी। कोरोना महामारी जैसे-जैसे प्रदेश में बढ़ रही है स्वास्थ्य विभाग उसे पर्दे से ढकने की जुगत में जुट गया है। जब विपक्ष के अलावा…

हल्द्वानी। कोरोना महामारी जैसे-जैसे प्रदेश में बढ़ रही है स्वास्थ्य विभाग उसे पर्दे से ढकने की जुगत में जुट गया है। जब विपक्ष के अलावा आम जनता ने स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ मोर्चा खोला स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी सोशल मीडिया पर पीपीई किट में रूबरू होने लगे। कोरोना इस समय प्रदेश में कम्युनिटी स्प्रेड की स्थित में आ खड़ा हुआ है और स्वास्थ्य विभाग इस समय लोगों को डेंगू से बचाव के लिए जागरूक कर रहा है। यह कुछ वाकये हैं जिस पर चर्चा और चिंता दोनों ही की जानी चाहिए।
सबसे पहले आते हैं स्वास्थ्य विभाग की पर्दादारी पर।

कोरोना काल के शुरूआती दौर में स्वास्थ्य विभाग एक दिन में कम से कम दो कोरोना बुलेटिन जारी करके लोगों को वर्तमान हालातों से अवगत कराता रहा। लेकिन धीरे-धीरे एक बुलेटिन जारी किया जाने लगा। उसका भी समय धीरे-धीरे बढ़ाया जाने लगा। इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि रात होने के कारण अधिकांश लोगों तक कोरोना की उस दिन की अपडेट न पहुंच सके अगले दिन बात स्वयं ही एक दिन पुरानी हो जाएगी। खैर इसके अलावा एसटीएच हल्द्वानी ने कभी कोरोना बुलेटिन जारी ही नहीं किया। एम्स नियमित तौर पर हेल्थ बुलेटिन जारी करता रहा। वह विस्तृत भी होता था, लेकिन खबर यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने उस पर भी रोक लगवा दी है।

वजह यह कि स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में एम्स के बुलेटिन से काफी अंतर आता जा रहा था। यहां गौर करने वाली बात यह है कि शाम लगभग चार से पांच बजे के बीच आने वाले एम्स के बुलेटिन में कई बार कोरोना संक्रमितों की संख्या ज्यादा होती थी कई बार कोरोना संक्रमित मृतकों की संख्या अधिक होती थी। जबकि शाम सात से आठ बजे के बीच आने वाले स्वास्थ्य विभाग के बुलेटिन में यह संख्याएं कई बार कम पाई गईं। जबकि होना उसके उलट चाहिए था, क्योंकि बाद में जारी होने वाले बुलेटिन में यह आंकड़ा अधिक या कम से कम सटीक तो होना ही चाहिए था। अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने एम्स के बुलेटिन पर ही रोक लगा दी।

इससे पहले शुरू हुआ पर्देदारी का एक और खेल। विभाग के बुलेटिन में जिलों में मरीजों के बारे में और विस्तृत जानकारी दी जाती थी लेकिन एक दिन अचानक बुलेटिन का यह भाग समाप्त ही कर दिया गया। अब यह नहीं बताया जाता है कि अमुक जिले में सामने आए मरीजों में से कितने प्रवासी है, या फिर वे किसी संक्रमित के सम्पर्क में आकर पाजिटिव हुए हैं। अर्थ यहां यह लगाया जा रहा है जैसे-जैसे प्रवासियों में संक्रमण की संख्या कम होती गई स्थानीय लोगों में संक्रमित के सम्पर्क में आए लोगों की संख्या बढ़ने लगी और यही बात मीडिया को बताने में विभाग को संकोच होने लगा।

अब जब प्रतिदिन कोरोना संक्रमितों का आकंड़ा पांच सौ से अधिक आ रहा ऐसे में स्वास्थ्य विभाग कोरोना को तवज्जो न देकर डेंगू की रोकथाम पर ध्यान दे रहा है। है न हैरत की बात। यह वही स्वास्थ्य विभाग है जो पिछले साल जब हल्द्वानी जैसे शहर में डेंगू की वजह से लोग बेहाल थे तब इस बीमारी के फैलाव न होने का दावा कर रहा था, तो अब डेंगू से इतना डर किन कारणों से हो गया विभाग को।

पीपीई किट में सोशल मीडिया पर छाए चिकित्सकों की बात कल इसी स्तंभ के भाग 2 में

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