प्रस्तुति — दीपक मनराल
- परदेश में मित्र विद्या होती है, घर में मित्र स्त्री होती है, रोगियों का मित्र औषणि और मरणोपरांत धर्म ही मित्र होता है। — चाण्यक्य नीति
- सामने दूध—सा मधुर बोलने वाले और पीठ पीछे विष भरी छुरी मारने वाले मित्र को छोड़ देना चाहिए। — हितोपदेश
- जीवन में केवल तीन सच्चे मित्र हैं — वृद्ध पत्नी, पुराना कुत्ता और वर्तमान धन। — वैजामिन फ्रेंकलिन
- महान व्यक्तियों की मित्रता नीचों से नहीं होती, हाथी सियारों के मित्र नहीं होते। — भारवि
- मित्र बनाना सरल है, मैत्री पालन दुष्कर है। चित्तों की अस्थिरता के कारण अल्म मतभेद होने पर भी मित्रता टूट जाती है। — वाल्मीकी रामायण
- मित्रता करने में धैर्य से काम लो, किंतु मित्रता कर ही लो तो उसे अचल और दृढ़ होकर निबाहो।— सुकरात
- मित्र को उधार देना और मित्र द्वारा उसे नही लौटाना, मित्रता समाप्ति के प्रमुख कारकों में शामिल है। — सुकरात
- मित्रों से जहां लेन—देन शुरू हुआ, वहां मन मुटाव होते देर नही लगती। — मुंशी प्रेमचंद, ‘गबन से’
- आपका सबसे सच्चा और सबसे अच्छा दोस्त वह है जो आपकी कमजोरियों की दूसरों से चर्चा नहीं करता, लेकिन आपसे साफ—साफ कह डालता है। — सेकर
- न कोई तुम्हारा मित्र है और न शत्रु, तुम्हारा अपना व्यवहार ही शत्रु अथवा मित्र बनाने का उत्तरदायी है। — चाणक्य
- अच्छे मित्र का यही लक्षण है कि वह मित्र को पाप से रोकता है, हितकारी कार्यों में लगाता है, उसकी गुप्त बातों को छुपाता है, उसके गुणों को जग के सामने प्रकट करता है और विपत्ति काल में कभी साथ नही छोड़ता। — भर्तहरि, नीतिशतक