नूतन शिक्षा नीति में संस्कृत : केवल कर्मकाण्ड नहीं, वैज्ञानिकता से भी संपन्न ! कोरोना जैसे लक्षण वाले रोगों के बचाव व उपचार का भी उल्लेख : डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल

अल्मोड़ा। संस्कृत अकादमी उत्तराखण्ड के तत्वावधान में अल्मोड़ा जनपद की “नूतन शिक्षा नीति में संस्कृत की सम्भावना” विषय पर आयोजित गूगलमीट में विभिन्न संस्कृत भाषा…


अल्मोड़ा। संस्कृत अकादमी उत्तराखण्ड के तत्वावधान में अल्मोड़ा जनपद की “नूतन शिक्षा नीति में संस्कृत की सम्भावना” विषय पर आयोजित गूगलमीट में विभिन्न संस्कृत भाषा को लेकर कई महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं।
गूगलमीट का शुभारम्भ अर्जुन पाण्डेय द्वारा मंगलाचरण के साथ किया गया। इस विषय पर अकादमी के पक्ष से शोध अधिकारी डॉ. हरीशचन्द्र गुरुरानी ने संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु चलायमान कार्यक्रमों की जानकारी दी। बताया कि इस वर्ष संस्कृत प्रतिभा प्रदर्शनम् प्रतियोगिता जिसमें प्रतिभागी को घर से विडियो बनाकर प्रेषित करना होगा सम्पादित की जाएगी। संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि तथा खण्ड शिक्षाधिकारी भैसियाछाना हरीश रौतेला ने कहा कि संस्कृत स्वयंमेव एक विशिष्ट भाषा है। जिसको हम उल्टा या सीधा जिस भी तरह लिखें या बोलें अर्थ परिवर्तन नहीं होता। इतना ही नहीं संस्कृत की स्वीकार्यता नासा में भी बढ़ रही है। संगोष्ठी हेतु आमंत्रित मुख्य वक्ताओं में शामिल डॉ. मूलचन्द्र शुक्ल (महाविद्यालय रामनगर, नैनीताल) ने कहा कि नई शिक्षा नीति में संस्कृत का अतिरिक्त उल्लेख नहीं है, किंतु संस्कृत की महत्ता को पाश्चात्य वैज्ञानिक स्वीकार कर रहे हैं। संस्कृत के उपसर्ग एवं प्रत्यय की मदद से अनेक शब्दों की व्युत्पत्ति हुई। संस्कृत साहित्य केवल कर्मकाण्ड नहीं अपितु वैज्ञानिकता से भी संपन्न है। कोरोना जैसे लक्षण में जितने भी सम्भाव्य बचाव व उपचार हो सकते हैं उनका उल्लेख है। उन्होंने साक्ष्य स्वरुप उद्धरण भी प्रस्तुत किए। चम्पावत से संस्कृत के ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ. कीर्ति बल्लभ शक्टा ने संस्कृत में सम्बोधन करते हुए कहा कि संस्कृत हमारी धरोहर है। इसी के माध्यम से भारतीय संस्कृति की पहचान है। हमारे संस्कार इसी भाषा में सम्पादित होते हैं । संस्कृत सम्भाषण से नीरसता नहीं जीवन है। संगोष्ठी को मुख्य शिक्षाधिकारी ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा संस्कृत अद्वितीय भाषा है। जिसका कोई दूसरा संस्करण नहीं सभी स्थानों पर एक समान ही बोली जाती है। संगोष्ठी में गिरीश जोशी, डा. हेम तिवारी, अनिल, अर्जुन, विद्या भाकुनी, हेम लता वर्मा, डॉ. घनश्याम भट्ट, डॉ. सुरेश चन्द्र, प्रेमा, कविता तिवारी, ज्योति पोखरिया, डॉ. निर्मल पंत सहित 52 लोग जुड़े। संगोष्ठी का संचालन जनपद संयोजक डॉ. हेम चन्द्र जोशी ने किया। वक्ताओं एवं उपस्थित संस्कृत सेवियों का धन्यवाद ज्ञापन सह संयोजक मोती प्रसाद साहू ने किया।

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