उत्तराखंड ब्रेकिंग : एनएसयूआई का विस कूच 9 दिसंबर को, हजारों छात्र होंगे शामिल

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा एनएसयूआई द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार की कथित छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ ‘शिक्षा बचाओ, देश बचाओ’ अभियान के तहत 09 सितंबर…

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

एनएसयूआई द्वारा केंद्र व प्रदेश सरकार की कथित छात्र विरोधी नीतियों के खिलाफ ‘शिक्षा बचाओ, देश बचाओ’ अभियान के तहत 09 सितंबर को विधानसभा कूच करेगी। जिसमें हजारों छात्र व प्रदेश पर से एनएसयूआई कार्यकर्ता शामिल होंगे।

एनएसयूआई के प्रदेश महासचिव गोपाल भट्ट ने कहा कि विधानसभा कूच कार्यक्रम को सफल बनाया जायेगा, जिसमें हजारों छात्र व एनएसयूआई के प्रदेश भर के नेता व राष्ट्रीय अध्यक्ष नीरज कुंदन व राष्ट्रीय सचिव उत्तराखंड प्रभारी सतवीर चौधरी व अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहेंगे। ज्ञात रहे कि नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (एनएसयूआई) ने उत्तराखंड में शिक्षा बचाओ देश बचाओ अभियान की शुरुआत की है। विभिन्न मांगों को लेकर यह घेराव कार्यक्रम है।

प्रदेश महासचिव गोपाल भट्ट ने कहा कि नई शिक्षा नीति केंद्रीकरण व शिक्षा के निजीकरण को बढ़ावा देती है। साथ ही यह शिक्षा विरोधी नीति तब लायी गयी, जब पूरे देश में कोविड कहर का दौर था। उद्देश्य साफ है मोदी सरकार शिक्षा को भी सिर्फ अमीरों के लिए एक सुविधा जैसा बनाना चाहती है। गरीब बच्चों के भविष्य के साथ यह सीधा खिलवाड़ है। सरकारी संस्थानों के निजीकरण से देश के युवाओं के लिए स्थायी रोजगार के अवसर खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके अलावा SSC, NEET, JEE जैसे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में घोटाले सामने आना व युवाओं को वर्षों तक नौकरी नहीं देना यह साफ बताता है कि मोदी सरकार छात्र विरोधी है।

उन्होंने कहा कि अगर हम छात्र वर्ग के लिए कोई नीति बना रहें हैं तो हमारा कर्तव्य बनता है कि हम उनसे चर्चा करें, लेकिन वर्तमान सरकार की आदत बन चुकी है कि सभी कार्य तानाशाही तरीके से लागू करते हैं। उन्होंने कहा कि जब से बीजेपी सरकार सत्ता में आई है, तब से छात्रों की फैलोशिप एवं स्कॉलरशिप रोकी जा रही है। प्रवेश परीक्षाओं में घोटाले हो रहें हैं तथा परीक्षाओं के परिणाम देरी से आ रहे हैं। जिस कारण छात्रों के 2 से 3 साल बर्बाद हो जाते हैं।

उन्होंने कहा कि एनएसयूआई केंद्र सरकार से मांग करती हैं कि केंद्रीय स्तर एवं प्रदेश स्तर पर छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आयु सीमा में कम से कम 2 साल की छूट दी जाए, क्योंकि कोरोना काल में छात्रों के 2 साल पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। गौरतलब है कि कोरोना काल के नुकसान के बाद छात्र अब तक नुकसान से नहीं उबर पाए हैं और NSUI के इस आंदोलन ने छात्रों की मांगों को आवाज दी है। गोपाल भट्ट ने सवाल उठाया सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय में लगातार सेल्फ फाइनेंस के नाम पर पहाड़ के छात्रों के साथ अन्याय किया जा रहा है। साथ ही उच्च न्यायालय के आदेश का पालन सरकार व कुलपति भंडारी व विश्वविद्यालय प्रशासन नही कर रहा है। जिससे साफ पता चलता है भाजपा सरकार लोकतंत्र को नही मानती है।

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