लो कल्लो बात: उत्तराखंड के शिक्षा विभाग में एक मृतक व दो सेवानिवृत्त उपविद्यालय निरीक्षक बने उप शिक्षाधिकारी, कुल दस अधिकारियों का हुआ प्रमोशन

देहरादून। गांधी जी कहा करते थे कि देरी से मिला न्याय भी एक तरह से अन्याय ही है। कानून के लिए तो यह बात सही…

देहरादून। गांधी जी कहा करते थे कि देरी से मिला न्याय भी एक तरह से अन्याय ही है। कानून के लिए तो यह बात सही है लेकिन जब सरकारी विभागों में देरी होती है तो उसके क्या परिणाम निकलते हैं। यह आज ही शासन की ओर से उप विद्यालय निरीक्षक से उप शिक्षा अधिकारी के पद पर दस अधिकारियों के प्रमोशन की जो सूची को देख कर पता किया जा सकता है। इस सूची में एक मृतक और दो सेवानिवृत्त अधिकारियों को भी प्रमोशन मिला है।

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राज्य शैक्षिक -प्रशासनिक- संवर्ग सेवा के उप शिक्षा अधिकारी चयन वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 के विभागीय पदोन्नति द्वारा भरे जाने वाले पदों के लिए शासन ने दस अधिकारियों की प्रमोशन की सूची सार्वजनिक की है। इसमें प्रति उप विद्यालय निरीक्षक सुरेंद्र चंद्र आर्य, मान सिंह, आशाराम, मेराज अहमद, हर्षा रावत, ओम शंकर मिश्रा, सुमन राणा, हेमलता तिवाड़ी, अनिता द्विवेदी एवं अनीता चौहान का उप शिक्षा अधिकारी के पद पर प्रमोशन हुआ है।

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शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि इन अधिकारियों को कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पदोन्नति प्रदान करते हुए अगले आदेशों तक वर्तमान तैनाती स्थलों पर तैनात किया जाता है। आदेश में यह भी कहा गया है कि इन अधिकारियों की पदोन्नति प्रेम लाल भारती बनाम उत्तराखंड राज्य की याचिका के अधीन होगी।
उप शिक्षा अधिकारियों को एक वर्ष की परिवीक्षा अवधि में रखा जाएगा। आदेश में कहा गया है कि कोविड- 19 की वजह से अधिकारियों को वर्तमान स्थल पर तैनाती प्रदान की गई है। स्थिति सामान्य होने पर नए तैनाती से संबंधित आदेश अलग से जारी किए जाएंगे। 

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प्रमोशन सूची में सुमन राणा का भी नाम है। जबकि वे लगभग तीन साल पहले रिटायर हो चुकी हैं। इस सूची में हेमलता तिवाड़ी का भी नाम है लेकिन वे भी पहले ही सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। इस सूची में शामिल एक अधिकारी ऐसे भी हैं जिनका दो साल पहले देहावसान हो चुका है।अब अधिकारी तर्क दे रहे हैं कि लोक सेवा आयोग की ओर से डीपीसी में देरी की वजह से यह हुआ है। वैसे भी यह प्रकरण काफी समय तक कोर्ट में भी विचाराधीन था।

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