यहां हो रही थी अफीम की खेती, पुलिस—एसटीएफ ने दी दबिश, 02 गिरफ्तार

सीएनई रिपोर्टर, टिहरी टिहरी जनपद के राजस्व क्षेत्र से एक चौंकाने वाली ख़बर आई है। यहां एक गांव में खुलेआम अवैध रूप से अफीम की…

सीएनई रिपोर्टर, टिहरी

टिहरी जनपद के राजस्व क्षेत्र से एक चौंकाने वाली ख़बर आई है। यहां एक गांव में खुलेआम अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही थी। सूचना मिलने पर पुलिस व एसटीएफ की टीम ने मौके पर जाकर खेती को नष्ट किया और इस मामले में खेत मालिकों के खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया है। अफीम की फसल की कीमत लगभग 1.35 लाख रुपए आंकी गई है।

मिली जानकारी के अनुसार टिहरी के थत्यूड़ थाना क्षेत्र के मूंगलोड़ी गांव में अफीम की खेती की जाने की सूचना पुलिस को मिली। SSP STF Ajay Singh ने बताया कि टिहरी के राजस्व क्षेत्र अंतर्गत तहसील कंडीसौंड़ के मूंगलोड़ी गांव में कुछ लोगों के द्वारा अवैध रूप से अफीम की खेती की जा रही थी। जिसके बाद एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर के आदेश पर सीओ सदर सुरेंद्र प्रसाद बलूनी और थत्यूड़ थानाध्यक्ष मनीष नेगी पुलिस टीम के साथ नागटिब्बा ट्रेकिंग मार्ग पर करीब 3 किलोमीटर पैदल चलकर पहाड़ी पर पहुंचे। टीम ने मौके पर दबिश दी और पाया कि वहां 2 हजार 250 वर्गमीटर में अफीम उगाई गई थी, जिसे तत्काल नष्ट करवा दिया गया। इस दौरान राजस्व अधिकारी व ग्राम प्रधान भी मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि मौके से दो खेत मालिकों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें शूरवीर सिंह पुत्र साहब सिंह और नथ्थू सिंह उर्फ ध्यान सिंह हैं। दोनों के विरूद्ध कंडीसैंड़ थाने में मुकदमा पंजीकृत किया गया है। इधर टिहरी के एसएसपी ने पुलिस टीम को 25 हजार नगद इनाम देने की घोषणा की है।

जानिए, भारत में क्या हैं अफीम के ​खेती के नियम ?

अत्यंत नशीले पदार्थ की श्रेणी में शामिल अफीम की खेती को लेकर भारत सरकार ने कुछ नियम तय किये हैं। इसके लिए किसानों को नारकोटिक्स विभाग से इजाजत लेनी होती है। बिना अनुमति के इसकी खेती करने पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है। अफीम की खेती का लाइसेंस भी दिया जाता है। चूंकि यह औषधि निर्माण के काम भी आती है, लेकिन हर कोई इसकी खेती नहीं कर सकता।

ऐसे तैयार होती है फसल

अफीम के पौधे में लगने वाले फल को डोडा कहा जाता है। यह फल खुद ही फट जाता है और इसके अंदर सफेद आकार वाले छोटे बीज पाए जाते हैं। बुवाई के 100 से 115 दिनों के अंदर पौधे से फूल आने शुरू हो जाते हैं। इसके बाद फूलों से 15 से 20 दिनों में डोडा निकलता है। इस डोडे पर चीरा लगाया जाता है। चीरा लगाने के बाद इसमें से एक तरल पदार्थ बाहर निकल कर आता है। डोडे से जब पूरा तरल पदार्थ निकल आता है तो उसके अंदर से बीज को बाहर निकाल दिया जाता है। फिर सका प्रयोग आगे चलकर औषधि के रूप में होता है। वहीं इस पौध का प्रयोग नशे के अवैध कारोबार में लिप्त लोग भी करते हैं। सरकारी तंत्र ऐसे लोगों पर कड़ी नजर रखता है।

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