FAO की 75वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने जारी किया 75 रुपये का स्मृति सिक्का

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी…

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर 75 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया। इसके साथ ही हाल में विकसित 8 फसलों की 17 जैव-संवर्धित किस्में राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि दुनियाभर में जो लोग कुपोषण को दूर करने के लिए लगातार काम कर रहे हैं, मैं उन्हें भी बधाई देता हूं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के किसान, हमारे कृषि वैज्ञानिक, आंगनवाड़ी और आशा कार्याकर्ता, कुपोषण के खिलाफ आंदोलन का मजबूत किला है। इन्होंने अपने परिश्रम से जहां देश का अन्न भंडार भरा है, वहीं दूर-सुदूर गरीब तक पहुंचने में सरकार की बहुत मदद की है।

पीएम मोदी ने कहा कि एफएओ ने बीते दशकों में कुपोषण के खिलाफ भारत की लड़ाई को बहुत नजदीक से देखा है। देश में अलग-अलग स्तर पर कुछ विभागों द्वारा प्रयास हुए थे, लेकिन उनका दायरा या तो सीमित था या टुकड़ों में बिखरा पड़ा था। जब 2014 में मुझे देश की सेवा करने का मौका मिला तब मैंने देश में नए सिरे से प्रयास शुरू किए गए।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम इंट्रीग्रीटेड अप्रोच लेकर आगे बढ़े, होलिस्टिक अप्रोच लेकर आगे बढ़े। कुपोषण से निपटने के लिए एक और महत्वपूर्ण दिशा में काम हो रहा है। अब देश में ऐसी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमें पौष्टिक पदार्थ- जैसे प्रोटीन, आयरन, जिंक इत्यादि ज्यादा होते हैं।

पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसानों को लागत का डेढ़ गुणा दाम MSP के रूप में मिले, इसके लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। MSP और सरकारी खरीद, देश की फूड सिक्योरिटी का अहम हिस्सा हैं। इसलिए इनका जारी रहना स्वभाविक है। जब भारत का किसान सशक्त होगा, उसकी आय बढ़ेगी तो कुपोषण के खिलाफ अभियान को भी उतना ही बल मिलेगा।

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इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्म शताब्दी के मौके पर 100 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया था। सरकार की ओर से राजमाता सिंधिया के सम्मान में यह 100 रुपये का सिक्का जारी किया गया था। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि पिछली शताब्दी में भारत को दिशा देने वाले कुछ एक व्यक्तित्वों में राजमाता सिंधिया भी शामिल थीं।

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