इस साल मई माह में अल्मोड़ा के मौसम पर कवीन्द्र पंत की कविता —

Creative News Express (CNE) का Whatsapp चैनल फॉलो करें >> Click Now

सुबह—सुबह चादर दुग्ध धवल कोहरे ने फिर से तानी है
लौट आई गर्मी में फिर से सर्द हवाओं की वही रवानी है
पुनः—पुनः लौट—लौट यह सर्दी की कैसी मनमानी है
गर्मी को चेताने की फिर क्यों कर सर्दी ने ठानी है।

दूर—दूर तक जहां कहीं भी जाती है दृष्टि मेरी
फैली हर ओर छोर तक श्वेत धूम्र की सी चादर घनेरी
बीच कुहास छन आती रवि की एक पल किरण सुनहरी
देती आभास नव जीवन का फिर एक नई दुपहरी।

होता मध्य धूम्र दृष्टिगोचर नगर का एक कोना
नील अंबर तले रचा यह कैसा अद्भुत दृश्य सलोना
यह नदी दुग्ध की या बादल के आंगन का कोना
अद्भुत सुबह अल्मोड़ा की, अद्भुत नगर का सौंदर्य सलोना।

  • कवीन्द्र पन्त (एडवोकेट), अल्मोड़ा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here