कविता – महंगाई ने तोड़ी सबकी कमर

महंगाई ने तोड़ी सबकी कमर है,जनता बेचारी फिर परेशान हैं,महंगाई ने छुआ आसमान को है,फिर गरीब जनता के बुरे हाल है,गैस सिलेंडर की किमत हजार…


महंगाई ने तोड़ी सबकी कमर है,
जनता बेचारी फिर परेशान हैं,
महंगाई ने छुआ आसमान को है,
फिर गरीब जनता के बुरे हाल है,
गैस सिलेंडर की किमत हजार के पार है,

महंगाई ने किया जनता का बुरा हाल है,
सब्जी-फल, तेल की कीमतों में आया बढ़ावा है,
महंगाई ने फिर गरीब जनता का बजट हिलाया है,
महंगाई को रोकना है तो हमें अपनी आवाज उठानी होगी,
महंगाई रोकनी है तो सरकार के कान खोलने होंगे,
सरकार को महंगाई पर नियंत्रण करना होगा,

मासूम जनता बेचारी महंगाई से परेशान हैं,
भारत के लोगों का‌‌ महंगाई से बुरा हाल है,
हमारी सरकार कान में तेल डालकर बैठी आराम से है,
भारत को विकासशील देश बनाना है तो सबसे पहले महंगाई पर रोक लगानी होगी,
जनता को अपनी आवाज उठानी होगी, और सरकार को जनता की आवाज सुननी होगी।

खुशनुमा परवीन

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