जेल में बंद 05 कैदियों ने किया सामूहिक आत्महत्या का प्रयास, अपनाया भयानक तरीका

सीएनई रिपोर्ट, नई दिल्ली एक सनसनीखेज घटनाक्रम में तिहाड़ जेल में बंद 05 कैदियों ने सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया है। पहले इन्होंने खुद को…


सीएनई रिपोर्ट, नई दिल्ली

एक सनसनीखेज घटनाक्रम में तिहाड़ जेल में बंद 05 कैदियों ने सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया है। पहले इन्होंने खुद को तेज धारधार हथियार से घायल किया, फिर फांसी लगा खुदकुशी की कोशिश की। सभी कैदियों को अस्पताल भर्ती करा दिया गया है।

मिली जानकारी के अनुसार यह मामला नई दिल्ली के तिहाड़ जेल में संख्या तीन का है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को इन कैदियों ने अपने वॉर्ड के भीतर ही खुद को तेज धारधार हथियार से घायल किया, फिर फांसी लगा जान देने का प्रयास किया। संयोग से जेल स्टॉफ को मामले की तत्काल भनक लग गई और आनन—फानन में इन कैदियों को अस्पताल भिजवा जान बचा ली गई। चार कैदी जेल अस्पताल, जबकि एक गम्भीर कैदी दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, हरिनगर में भर्ती है। (ख़बर जारी है, आगे पढ़िये)

इन कैदियों के साथ आखिर क्या घटित हुआ, कि इन्होंने इस तरह सामूहिक आत्महत्या का प्रयास किया। इस बारे में जेल का कोई भी अधिकारी कुछ बोलने को तैयार ही नहीं है। इधर घटना के बारे में जब तिहाड़ जेल के DG Sandeep Goyal से बात की गई, तो उनका कहना था कि कैदियों के घायल होने की उन्हें जानकारी है, लेकिन सामूहिक आत्महत्या के प्रयास के बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। सूत्रों ने बताया कि पांचों कैदी तिहाड़ जेल नंबर-3 के वॉर्ड नंबर-1 के हैं। डीजी का कहना है कि इन सभी कैदियों की counseling की जाएगी, ताकि भविष्य में वह इस तरह का कदम न उठाएं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि क्या इनमें से किसी कैदी ने ऐसा प्रयास पहले भी किया है।

आपको बता दें कि सामूहिक रूप से आत्महत्या के प्रयास की यह घटना तिहाड़ जेल में पहली बार ​घटित हुई है। यह अलग बात है कि यहां बीते सालों में कई कैदियों ने आत्महत्या भी की है। कहा जाता है तिहाड़ के भीतर कैदियों को इतना प्रताड़ित किया जाता है कि वह अपने जीवन का अंत करने तक का मन बना लेते हैं। जेल के भीतर की जिंदगी बहुत मुश्किल हालातों से गुजरती है। यहां अकसर पुराने दबंग कैदी अन्य कैदियों के साथ बहुत गलत हरकत किया करते हैं। जेल प्रशासन द्वारा भी कैदियों के उत्पीड़न की खबरें कई बार सामने आई हैं। वास्तव में जेल को सुधार गृह का स्वरूप देने की कोशिश राष्ट्रीय स्तर पर नहीं हो पा रही है।

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