अल्मोड़ा: सुनिये दुखड़ा : “… इस शहर में हर शख्स परेशां सा क्यों है”, होटल व पर्यटन व्यवसाय को धक्का

चन्दन नेगी, अल्मोड़ाकोरोना महामारी की भयावहता ने हर तबके को विकट मुसीबतों के मकड़जाल में फंसा कर रख दिया है। असल पर्यटन सीजन में होटल,…

चन्दन नेगी, अल्मोड़ा
कोरोना महामारी की भयावहता ने हर तबके को विकट मुसीबतों के मकड़जाल में फंसा कर रख दिया है। असल पर्यटन सीजन में होटल, रेस्टोरेंट व रिजार्ट को बड़ा धक्का लगा है। होटल व पर्यटन व्यवसाय से जुड़ा रोजगार बुरी तरह प्रभावित है। ये व्यवसायी असमंजस में हैं और इन व्यवसायों में लगे कर्मचारी बेरोजगार से हो गए हैं। करीब तीन महीनों से कारोबार बंद रहने से होटल व्यवसाय का सांस्कृतिक नगरी में ही करोड़ों के नुकसान का अंदेशा है। व्यवसायियों को पेयजल संयोजन विच्छेदित करवाने की तक नौबत आन पड़ी है। मुसीबत के कारण कहीं नियमों में ढील की मांग उठ रही हैं, कहीं मदद, तो कहीं बिल माफ करने की मांग। इस नुकसान की भरपाई आखिर कैसे होगी, यह फिलहाल किसी के समझ से परे है। बस एक उम्मीद है कि शायद सरकार कुछ ऐसी योजना बनाएगी, जिससे राहत मिलने के साथ ही आगे का रास्ता खुले।
तीन माह का वक्त हो गया, जब होटल व रेस्टोरेंट इत्यादि बंद रहे। जिससे अकेले अल्मोड़ा जिले में ही करोड़ों का कारोबार ध्वस्त हो गया। पूरे साल में खासकर जून माह पर्यटन व्यवसाय की दृष्टि से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस माह में पर्यटकों की आवाजाही अत्यधिक रहती है। स्वाभाविक है अच्छी आय भी प्राप्त होती है। मगर इस बार पूरा सीजन खटाई में पड़ गया। अब होटल शर्तों के साथ खुले भी हैं, तो असमंजस की स्थिति में। कोरोना का ऐसा असर है कि खुलने के बाद भी व्यवसाय में कुछ खास बरकत नहीं है। सुनसानी पसरी है। ऐेसी स्थिति देख होटल, रेस्टोरेंट व अन्य दुकानदार हैरान हैं। आखिर कुदरती मार के लिए कौन किसे दोष दे। अधिकांश होटलों व दुकानों में तीन महीनों से पानी का इस्तेमाल ही नहीं हुआ, ऐसे में अब आमदमी के बिना पानी का बिल देना व्यवसायियों को बेहद अखर रहा है। नौबत ये आ गई है कि कुछ व्यवसायियों ने अपने पेयजल कनेक्श ही बिच्छेदिन करवाना शुरू कर दिया है। यहां माल रोड स्थित मोहित स्वीट्स के स्वामी राजेंद्र सिंह बिष्ट ने दुकान का पेयजल कनेक्शन कटवा लिया। श्री बिष्ट बताते हैं कि आमदनी कुछ नहीं हो रही, तो खाली बिल कहां से चुकता करें। जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार एक नामी होटल के स्वामी ने अपने छह पेयजल कनेक्शन अस्थाई रूप से विच्छेदित करवा लिये।
होटल शिखर के प्रबंधक एवं होटल एसोसिएशन अल्मोड़ा के पूर्व अध्यक्ष राजेश बिष्ट का कहते हैं कि अकेले अल्मोड़ा में ही होटल, रेस्टोरेंट व होम स्टे की संख्या करीब पांच दर्जन के आसपास होगी। पिछले तीन माह में करीब इनमें ही 6 से 8 करोड़ रूपये के बीच का व्यवसाय प्रभावित होने का अनुमान है। साल में जून में माह में पर्यटन सीजन पीक पर होता है, मगर यह भी बिना आमदनी के ही चला गया। श्री बिष्ट ने गत 10 जून, 2020 को जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा था। जिसमें उन्होंने अवगत कराया है कि लाकडाउन की वजह से होटल व पर्यटन व्यवसाय को बड़ा आघात पहुंचा है। इससे जु़ड़े हजारों लोगों के रोजगार की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। उन्होंने अनलाक-1 की गाइड लाइन के अनुसार होटल खोलने के आदेश तो दिए गए, मगर होटल में आने वाले किसी भी पर्यटक को सात दिन होटल में निवास की बाध्यता दी गई है और पर्यटक को किसी स्थान पर जाने पर भी प्रतिबंध है। ऐसी स्थिति में इच्छा के बावजूद कोई पर्यटक होटल में नहीं सकता। उन्होंने इन नियमों में शिथिलीकरण का अनुरोध किया था।
यहां माल में स्थित अम्बेसडर होटल एवं रेस्टोरेंट के व्यवसायी दीवान महरा का कहना है कि तीन माह बंद रहने से व्यवसाय शून्य रहा और अब खुलने के बाद भी व्यवसाय नहीं के बराबर है। नगर व्यापार मंडल के पूर्व अध्यक्ष संजय साह रिक्खू कहते हैं कि सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप तीन माह पूर्व से होटल व रेस्टोरेंट बंद हैं। होटल व्यवसायियों का व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। साथ ही होटलों में काम करने वाले कर्मचारी बेरोजगार से हो गए हैं। होटल व दुकानें बंद होने रहने से तीन माह की अवधि तक होटलों व रेस्टोरेंटों में पानी का इस्तेमाल नहीं हुआ। ऐसे में पहले तो उनके पानी के बिल में राहत मिलनी चाहिए और कम से कम ऐसा नहीं हो, तो इस बिल में 15 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी वापस ली जानी चाहिए। ऐसे ही तमाम व्यापारियों के अपने-अपने दुखड़े हैं। चिंता तो उन कर्मचारियों की भी कम नहीं है, जो पगार पर होटलों, रेस्टोरेंटों में काम करते हैं। मगर इस घाटे से कैसे उबरा जाए और व्यवसाय कैसे गति पकड़े, यह आज एक चुनौतीपूर्ण विचारणीय प्रश्न बन गया है।

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