अल्मोड़ाः कोरोनाकाल में सोशल मीडिया को बनाया संघर्ष का हथियार, सोशल मीडिया में चार्ट व पोस्टर पोस्ट कर उठाई पुरानी पेंशन योजना की मांग

अल्मोड़ा। पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग पर गौर नहीं फरमाये जाने से आहत कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण काल में लड़ाई लड़ने का नया…

अल्मोड़ा। पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग पर गौर नहीं फरमाये जाने से आहत कर्मचारियों ने कोरोना संक्रमण काल में लड़ाई लड़ने का नया रूख अख्तियार कर लिया। कोरोनाकाल में इस मुद्दे की सुनवाई नहीं होते देख कर्मचारियों ने सोशल मीडिया को संघर्ष का नया हथियार बना लिया हैं। फिलहाल इसी के सहारे यह लड़ाई शुरू कर दी है। इसी क्रम में आज रविवार को चार्ट व पोस्टरों के जरिये पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के सदस्यों ने बड़ा अभियान चलाया।
इस लड़ाई को लड़ने के लिए गठित पुरानी पेंशन बहाली संयुक्त मोर्चा के संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मंडल मीडिया प्रभारी त्रिभुवन बिष्ट ने आंदोलन के बारे में बताया कि गत 7 जून, 2020 को ओपीएस के लिए एक दीपक आंदोलन चलाया गया। इसके बाद मोर्चा ने 21 जून को उत्तराखण्ड राज्य में राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली के लिए बीपी सिंह रावत के राष्ट्रीय नेतृत्व में एक राष्ट्रव्यापी जन जागरूकता अभियान चलाया। जिसमें समस्त एनपीएस कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर पोस्टर के माध्यम से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री से पुरानी पेंशन की बहाली की मांग की। कार्यक्रम में पुरानी पेंशन बहाली की मांग से संबंधित चार्ट व पोस्टर सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए जनप्रतिनिधियों व अन्य कर्मचारियों को टैग भी किया। उन्होंने बताया कि हजारों कर्मचारियों ने सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी। इस मांग के लिए कला के शिक्षक-शिक्षिकाओं ने रचनात्मक पोस्ट बनवाए। कई कर्मचारियों ने अपने पाल्यों के माध्यम से भी मांग को प्रदर्शित किया। कुछ कर्मचारियों ने नए-नए नारों और कविताओं के माध्यम से पुरानी पेंशन की मांग रखी। योग दिवस पर कर्मचारियों ने स्वास्थ्य के लिए जीवन में योग अपनाने का सुझाव भी इस माध्यम से दिया। मोर्चा का कहना है कि राज्य में राजकीय कर्मचारियों पर लादी गई नई पेंशन योजना में कर्मचारियों का अंशदान वेतन का 10 प्रतिशत है। जिसमंे सरकार 14 प्रतिशत अपना अंशदान देती है। कुल धन को शेयर बाजार में लगा दिया जाता है। इस योजना में किसी प्रकार का जीपीएफ भी नहीं है और सेवानिवृत्त होने पर अंतिम वेतन का 50 प्रतिशत भी नहीं मिलता है। मिलता है तो मात्र 1-2 हजार रूपया मासिक, जो भीख के समान सा प्रतीत होता है। यह 30-40 सालों की सेवा के बाद प्राप्त होती है। आंदोलित कर्मचारियों का कहना है कि यदि यह पेंशन योजना इतनी कारगर है, तो विधायकों और सांसदों पर भी इसे ही लागू किया जाना चाहिए। कर्मचारियों का कहना है कि आज देश की सामरिक व आर्थिक स्थिति सही नहीं है, तो कर्मचारियों के धन को देश हित में उपयोग करके उन्हें पुरानी पेंशन का लाभ देना चाहिए।
संयुक्त मोर्चे के प्रदेश संयोजक मिलिन्द बिष्ट का कहना है कि ओपीएस कर्मचारियों को विश्वास में लिए ही यह योजना थोपी गई है। देश में समस्त राजकीय संस्थाएं मोर्चा के साथ पुरानी पेंशन की बहाली की मांग के लिए में लामबंद हो रही हैं। सरकारों को समझना चाहिए कि अधिक देर तक इस मांग को दबाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा है कि संयुक्त मोर्चा इस अभियान को लगातार जारी रखेगा, ताकि इस मांग को कर्मचारियों की प्रमुख मांगो में शामिल किया जा सके। उन्होंने कहा कि पेंशन के इस मुद्दे को व्यक्तिगत या राजनीतिक मुदा भी मोर्चा नहीं बनने देगा। संयुक्त मोर्चा के कुमाऊँ मंडल मीडिया प्रभारी त्रिभुवन बिष्ट, प्रवक्ता कपिल पांडे, दया जोशी, नितेश कांडपाल, रज्जन कफल्टिया, राजेंद्र शर्मा, गंगू कोश्यारी आदि समेत तमाम सदस्यों ने सोशल मीडिया मुहिम में अपनी माँगों को पोस्टर के जरिये प्रकट किया।

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