Amazing Ideas: गणित को ​बोझिल/कठिन समझने वालों के लिए ‘संजीवनी’

— बेजान प्राणी मधुमक्खी गणितज्ञ बन सकती है, तो आप क्यों नहीं! — पढ़िये, गणित एक्सपर्ट चन्दन घुघत्याल का यह प्रेरक व्याख्यान सीएनई रिपोर्टर, देहरादून:…

गणित पर प्रेरक व्याख्यान

— बेजान प्राणी मधुमक्खी गणितज्ञ बन सकती है, तो आप क्यों नहीं!

— पढ़िये, गणित एक्सपर्ट चन्दन घुघत्याल का यह प्रेरक व्याख्यान

सीएनई रिपोर्टर, देहरादून: राष्ट्रीय गणित दिवस सप्ताह के तहत विज्ञान धाम देहरादून में शानदार व प्रेरक व्याख्यान हुआ। यह व्याख्यान गणित को बोझिल समझने वाले लोगों/बच्चों के लिए संजीवनी जैसा है। व्याख्यान हमें समझाता है कि गणित हमारी जिंदगी का अहम् हिस्सा है। वहीं यह व्याख्यान गणित के प्रति अभिरूचि बढ़ाने व नई सोच विकसित करने वाला है। जिसमें गणित को फोबिया कहने वाले लोगों को साफ संदेश दिया गया है कि अगर एक बेजान प्राणी मधुमक्खी गणितज्ञ हो सकती है, तो वह क्यों नहीं? National Mathematics Day पर यह व्याख्यान दून स्कूल के गणित विभाग के Math Expert चन्दन घुघत्याल ने दिया। उनके इस व्याख्यान में पढ़िये गणित का जीवन में महत्व, गणित की स्थिति व विकास। व्याख्यान के अंश:—

गणित हमारी जिंदगी का महत्वपूर्ण पहलू

गणित एक अमूर्त विषय ही नहीं अपितु हमारी जिंदगी का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जो कि हमेशा हमसे सदा जुड़ा रहा है। हम जैसे ऑक्सीजन के बिना जीवित नहीं रह सकते, उसी प्रकार गणित हम में और हम गणित में हैं। हमारा निर्माण एक सैल से होता है, हमारे शरीर में हर अंग गिनती में ही होते हैं। हार्टबीट, नजर, ब्लड प्रेशर सबका आकलन नंबरों से ही होता है। नम्बर हमारे साथ हमेशा रहते हैं, सोने का, उठने का, खाने का, खेलने का निर्धारण भी तो नंबरों से ही होता है। भगवान ने भी हमारे शरीर का निर्माण गणित के अनुपात और समानुपात के आधार पर किया है। हम अपनी बोलचाल में शायद ही गणित के अंकों के प्रयोग के बिना आपसी समन्वय बिठा पाएं। हमारी बोलचाल की भाषा में अंक बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। एक घूंट पानी पी लें, दो मिनट आराम कर लें, चार कदम और चल लें, आदि—आदि। अपनी बातचीत को प्रभावी बनाने के लिए हम हिंदी के मुहावरों में गणित का प्रयोग करते हैं, जैसे एक अनार सौ बीमार, सौ सुनार की एक लुहार की, नौ दो ग्यारह होना, सातवें आसमान पर होना, आंखें चार होना आदि।

गणित चारों ओर है विद्यमान

घर से निकलते ही ऑटो या कार की बुकिंग हम किराया देख कर करते हैं, सह यात्रियों की संख्या के आधार पर छोटे या बड़े वाहन की व्यवस्था करना, वाहन की चाल, दूरी और समय, यात्रा का आय व्यय आदि यह सब ही तो गणित है। जिस प्रकार हम अपने आप चलना सीख जाते हैं, इशारों या संकेतों से अपनी बात को प्रेषित कर पाते हैं, उसी प्रकार गणित को हम अपने आप सीख जाते हैं। शैशवावस्था से ही हम खिलौनों, कंचे, कंकड़ (पबब्लस) से खेलते हुए गणित को देखते और समझते हैं। गणित क्योंकि हमारे चारों ओर विद्यमान है, मां बाप और Teachers द्वारा एक विशेष नाम के साथ हम अपने अंदर विद्यमान गणित को फिर Express करते हैं।

आंकिक दर में कमी चिंताजनक

पूरे राष्ट्र की Numeracy (आंकिक दर) बहुत ही चिंताजनक है। NCERT द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में कक्षा 8 तक तो हालत बहुत ही ख़राब है। कक्षा 3 में आंकिक दर 57 प्रतिशत है, तो उत्तराखंड में केवल 51 प्रतिशत। कक्षा 5 में देश में 44 फीसदी तो उत्तराखंड में केवल 39 प्रतिशत है। वहीँ कक्षा 8 में देश में 36 प्रतिशत है तो Numeracy उत्तराखंड में केवल 35 प्रतिशत है। हमें इस पर काम करने की बहुत जरुरत है। गणित को आत्मसात कर ही यह लेवल बढ़ाया जा सकता है।

National Achievement Survey की रिपोर्ट

National Achievement Survey 2017 की रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड में कक्षा 8 तक गणित में बच्चों का पास प्रतिशत 50 प्रतिशत से भी नीचे है। राज्य के सभी 13 जिलों में गणित की स्थिति अमूमन एक जैसी है। अल्मोड़ा और उत्तरकाशी जिले में 33 प्रतिशत, बागेश्वर में 41 प्रतिशत, चमोली में 39 प्रतिशत, चम्पावत में 34 प्रतिशत, देहरादून में 40 प्रतिशत, पौढ़ी में 46 प्रतिशत, हरिद्वार में 44 प्रतिशत, नैनीताल में 37 प्रतिशत, पिथौरागढ़ में 42 प्रतिशत, रुद्रप्रयाग में 43 प्रतिशत और उधमसिंह नगर में गणित में पास प्रतिशत 38 प्रतिशत है। टिहरी जिले में सबसे ज्यादा गणित पास प्रतिशत 49 प्रतिशत है। कक्षा 8 तक ही तो बच्चों के ज्ञान का formative period होता है। बच्चा अपने जीवन का आधार यहीं मजबूत करता है। यदि आधार मजबूत होगा, तो बच्चों का भविष्य स्वर्णिम होगा। गणित तो जीवन की समझ सिखाता है, समस्याओं का हल ही तो गणित है। यदि इसी हल रूपी जादुई छड़ी से हम दूर होंगे, तो हमारा भविष्य कैसा होगा?

प्रतियोगी परीक्षा के लिए बढ़ाना होगा गणितीय ज्ञान

मासिक परीक्षा कराने और चुस्त—दुरुस्त व्यवस्था कराने के बाद के Achievement Survey में थोड़ा सुधार जरूर हुआ है, लेकिन राज्य का कुल achievement level 35वें-36वें स्थान पर होना भी चिंताजनक है। कक्षा 3 में गणित का पास प्रतिशत 51 प्रतिशत है, लेकिन 5वीं, 8वीं और 10वीं कक्षाओं में पास प्रतिशत क्रमशः 39, 35 और 32 प्रतिशत है। इतना कम गणितीय ज्ञान वाला बच्चा आगे की प्रतियोगी परीक्षा कैसे पास कर पायेगा और कैसे यह बच्चा और राज्यों के बच्चों से प्रतिस्पर्धा कर पायेगा? हम सबको सामूहिक प्रयास कर राज्य के गणितीय ज्ञान को बढ़ाना होगा। गणित को रुचिकर बनाना होगा। गणित को व्याहारिक ज्ञान से जोड़ना होगा।

शैक्षिक स्तर उठाने की पहल जरूरी

देवभूमि के नाम से विश्व प्रसिद्ध हमारे राज्य का कुल क्षेत्रफल 53483 वर्ग मीटर है। इसकी जनसंख्या 1 करोड़ 86 हजार 200 है, कुल साक्षरता प्रतिशत राज्य का 79 प्रतिशत है। विश्व प्रसिद्ध शिक्षण संस्थान इस राज्य में स्थापित हैं। देश के शीर्ष स्तर के कवि, लेखक, ब्यूरोक्रेट और राजनेता यहां जन्मे। देश विदेश के पर्यटक भी यहां आते ही हैं और तो और बढ़े बढ़े लेखक और कवि भी इस देवभूमि में आकर रचनायें करते हैं। इन सबके बाबजूद हमारे राज्य के शिक्षा स्तर में गिरावट चिंता का विषय है। शिक्षाविद् और शिक्षा अधिकारी गहन चिंतन मनन कर ही रहे हैं। डाइट्स और SCERT में युद्ध स्तर पर काम हो रहा है, लेकिन हर शिक्षक को भी अपने स्तर पर पहल करने की नितांत जरूरत है।

क्रियाकलाप ही सिखा सकते हैं बेहतर गणित

उत्तराखंड राज्य में उत्तराखंड के नुमेरसी (आंकिक) दर को बढ़ाने के लिए हम सभी गणित शिक्षकों को अपने स्तर पर ठोस कार्य करने की नितांत आवश्यकता है। यदि हम अपने बच्चों को विशेषकर कक्षा 8 तक, गणित को एक विषय की तरह न पढ़ाकर, एक एक्टिविटी की तरह पढ़ाएंगे, तो बच्चा गणित बेहतर सीखेगा। जैसे कि बच्चे फुटबॉल, कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट आदि को पूर्ण मनोयोग से खेलते हैं, यदि गणित को भी ऐसे ही करेंगे, तो गणित में उनकी रूचि बढ़ेगी। फिर वह बढ़ी कक्षाओं में भी गणित को रूचि के साथ पढ़ेगा।

समझें, रोजमर्रा की जिदंगी में शामिल गणित

गणित अपने आप में एक भाषा है, यह तो वैश्विक भाषा है, जो कि हमारे आसपास ही नहीं बल्कि हममें स्वतः विद्यमान है। आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक ने कहा था “ब्रह्माण्ड को गणितीय भाषा में लिखा गया है।” पूरा ब्रह्माण्ड गणित के आकारों, प्रतिकारों, सिद्धांतों, प्रमेयों, प्रयोगों, अनुप्रयोगों से भरपूर है। सुबह की Bed Tea में चाय, चीनी और दूध का सटीक सम्मिश्रण, नाश्ते में खाये जाने वाले पराठे वृताकार और ब्रेड चौकोर, हमें गणित का हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में होने का आभास दिलाती है। सब्जियां और फल भी तो गणित को अपने में या गणित में ये सभी समाये हैं। टमाटर, अमरुद जहां इलिप्स के समीकरण के साथ हमें आकर्षित करते हैं, तो गाजर, मूली आदि शंकु का आयतन लिए तने रहते हैं। गोले और बेलन तो यहां—वहां अमूमन हर चीज में मिल ही जाते हैं। कोण और रेखा तो हमें हमारा नजरिया बताते हैं। छोटे बड़े पहाड़, खेत—खलिहान तो हमें गणित को आत्मसात करने को खींच लेते हैं। प्राकृतिक घटनाएं जैसे सूर्योदय, सूर्यास्त, वर्षा, इंद्रधनुष, तापमान आदि हमें ग्राफ और फंक्शन सीखाते हैं। बादलों की गड़गड़ाहट, चिड़ियों कि चहचहाट, से ध्वनि तरंगे और उनके समीकरणों के प्रवाह होने का ज्ञान होता है।

मधुमक्खी गणितज्ञ हो सकती है, आप क्यों नहीं

Pineapple, pine cones, शंख और sun flower आदि एक विशेष अनुपात (Golden Ratio) को प्रदर्शित करते हैं। तो बहती नदी, वेग और त्वरण बताते हैं। दिन प्रतिदिन घटने वाली घटनाएं क्यों और कैसे होती हैं, यह हल भी तो गणित ही बताता है। गणित फोबिया कहने वालों को चिड़ियों के घोसलों को देखकर सोचना चाहिए कि यह बेजान प्राणी कैसे तरह तरह के घोंसले बनाती है? एक कुशल आर्किटेक्ट से भी बेहतर घोंसले बनाने वाली चिड़िया से सीख लेकर गणितीय सोच विकसित कर सकते हैं। दिन रात मेहनत करने वाली मधुमखी के षट्कोणीय छत्ते का रहस्य जानकार गणित फोबिया कहने वाले भी यही सोचेंगे कि यदि मधुमक्खी गणितज्ञ हो सकती है, तो आप क्यों नहीं? गणित ही हमारा तारणहार कहे या सहायक, लेकिन यह हममे में है और हम गणित में हैं।

रामनुजन को दें सच्ची श्रद्धांजलि

व्याख्यान के अंत में चंदन घुघत्याल ने कहा कि महान गणितज्ञों ने गणित को देखा, महसूस किया, समझा और अभिव्यक्त किया। आज हम राष्ट्रीय गणित दिवस बना रहे हैं। महान गणितज्ञ रामानुजन के जन्मदिन 22 दिसम्बर को गणित दिवस के तहत हम सभी एकत्रित हैं। इस मौके पर आप सभी बुद्धिजीवियों से यही अपील करता हूं कि जिस तरह रामानुजन नंबरों के प्रति काफी आकर्षित थे, हम सभी भी नंबरों के खेल खेलें। अपने पसंदीदा नंबरों से मैजिक स्क्वायर बनायें। मानसिक गणना को प्रोत्साहत करें। यही रामानुजन के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

व्याख्यान की प्रशंसा और आभार

राष्ट्रीय गणित दिवस सप्ताह की Popular Lecture Series के तहत रीजनल साइंस सेंटर देहरादून में आयोजित सेमिनार में Math Expert के रूप में चन्दन घुघत्याल द्वारा दिए गए प्रेरक व नई सोच जगाने वाले व्याख्या ‘Sanjivani’ for those who find Mathematics difficult की उत्तराखंड काउंसिल आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (UCOST) के डायरेक्टर जनरल प्रो. दुर्गेश पंत व ज्वाइंट डायरेक्टर डा. डीपी उनियाल समेत कई ​वरिष्ठजनों मुक्त कंठ से प्रशंसा की। इसके लिए मुख्य वक्ता चन्दन घुघत्याल ने उनका आभार जताया।

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