बड़ी खबर: अल्मोड़ा पहुंचे 06 देशों के विद्वान, अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार शुरू

— भारत—नेपाल के ताल्लुक सदियों पुराने: डा. मुरली मनोहर जोशी— दोनों देशों के इतिहास व संस्कृति पर तीन दिन होगा गहन मंथनसीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा‘इंडो नेपाल…

— भारत—नेपाल के ताल्लुक सदियों पुराने: डा. मुरली मनोहर जोशी
— दोनों देशों के इतिहास व संस्कृति पर तीन दिन होगा गहन मंथन
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा

‘इंडो नेपाल रिलेशन्स एंड उत्तराखंड इंडिया:शेयर्ड हिस्ट्री एंड कल्चर’ विषयक अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा में आज शुरू हो गया है। तीन दिन चलने वाले इस सेमिनार का उद्घाटन आज पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिक्षाविद् डा. मुरली मनोहर जोशी ने वर्चुअली किया। इसमें 06 देशों के विषय विशेषज्ञ पहुंचे हैं। सभी अतिथियों ने भारत—नेपाल के प्राचीन संबंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने पर जोर दिया।

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद (नेपाल अध्ययन केंद्र), नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में शुरू हुए तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का वर्चुअली उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं शिक्षाविद् डा. मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि भारत और नेपाल की साझा संस्कृति का इतिहास सदियों पुराना है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सेमिनार में भारत-नेपाल की संस्कृति, समाज, इतिहास, पुरातत्त्व, परंपराओं पर गहन चिंतन—मनन होगा और सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। उन्होंने दोनों देशों के ऐतिहासिक पक्षों को उजागर करते हुए सेमिनार की सफलता के लिए शुभकामनाएं प्रदान की। संदर्भ व्याख्याता के रूप में मौजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल प्रचार प्रमुख सुनील आम्बेकर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत—नेपाल के संबंध काफी पुराने हैं। भारत-नेपाल के ऐतिहासिक संबंधों को विस्तार से समझाते उन्होंने इन दोनों देशों के बीच समानताओं को खोजने व उन्हें प्रकाश लाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संरचनात्मक पक्षों पर काम करके व अनुसंधान करके दोनों देशों के बीच रिश्ते गहरे हो सकेंगे और संबंधों को नवीन ऊंचाइयों पर ले जाना होगा। इससे पूर्व संगीत विभाग की छात्राओं ने वंदना एवं स्वागत गीत प्रस्तुत किया और आयोजक सदस्यों ने अतिथियों का शॉल ओढ़ाकर एवं प्रतीक चिन्ह देकर सम्मान किया।

विशिष्ट अतिथि महाकाली साहित्य संगम काठमांडू नेपाल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह रावल ने भारत-नेपाल से संबंधित इस सेमिनार को सार्थक प्रयास बताते हुए कहा कि ‘मैं धन्य हो गया, मेरे ननिहाल की तरफ से हम नेपालवासियों को सम्मानित किया गया है। हम केदार भूमि के निवासी हैं। हमें अपने भाई-बहनों, संस्कृति, सहयोग की आवश्यकता है। हमारे पुरातात्विक धरोहरें एकसमान हैं।’ उन्होंने कहा कि हम विश्वविद्यालय के साथ भारत-नेपाल की सभ्यता आदि पर कार्य करना चाहते हैं। अपनी सांस्कृतिक धरोहरों व विरासतों को जोड़ना चाहते हैं। हमें समरसता बनाये रखनी होगी।

विशिष्ट अतिथि कैबिनेट मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि हम नेपाल से आये हुए विद्यार्थियों को वो सभी सुविधाएं देते हैं जो हम अपने बच्चों को सुविधा देते हैं। भारत—नेपाल के बीच संबंधों को आजन्म तक बनाये रखना है। उन्होंने कहा हमारी आर्थिक, सामाजिक,सांस्कृतिक क्रियाएं आपस में जुड़ी हैं। उन्होंने इस सेमिनार के लिए सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय को बधाई दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सांसद अजय टम्टा ने कहा कि सेमिनार से दोनों देश के बीच आत्मीयता बढ़ेगी और संबंध प्रगाढ़ होंगे। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के विद्वान हमारे संबंधों को और अधिक गहरा बनाएंगे। उन्होंने झूलाघाट, जौलजीवी, बनबसा आदि क्षेत्रों का उदाहरण देकर भारत और नेपाल के गहरे संबंधों को स्पष्ट किया। उन्होंने विश्वविद्यालय एवं नेपाल अध्ययन केंद्र के प्रयासों की सराहना की।

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह भंडारी ने अतिथियों के स्वागत करते हुए कहा कि भारत-नेपाल के बीच संबंध प्रगाढ़ हैं और इन संबंधों को और गहरा बनाना होगा। उन्होंने कहा कि हम अपने विश्वविद्यालय में नेपाली भाषा को लेकर पाठ्यक्रम का संचालन करने जा रहे हैं। इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में नेपाल से 25, जर्मनी से 03, फ्रांस से 03, संयुक्त राज्य अमेरिका से 02, पोलैंड से 01, रसिया से 02 विद्वान पहुंचे हैं। कुछ विषय विशेषज्ञ ऑनलाइन रूप से हिस्सा ले रहे हैं। सेमिनार का संचालन डॉ. चंद्र प्रकाश फूलोरिया ने किया, जबकि उद्घाटन सत्र के अंत में डा. सुरेश टम्टा ने आभार जताया।

सेमिनार में विधायक मोहन सिंह मेहरा, पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, शोध एवं प्रसार केंद्र के निदेशक प्रो. जगत सिंह बिष्ट, स्थानीय आयोजक सचिव प्रो. वीडीएस नेगी, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद, नई दिल्ली के डॉ. लवी त्यागी, कुलसचिव सुधीर बूढ़ाकोटी, विश्वविद्यालय विशेष कार्याधिकारी डॉ. देवेंद्र सिंह बिष्ट, कुंदन लटवाल, प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट, प्रो. इला साह, अंतराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष श्री श्याम, राष्ट्रीय प्रचारक वेद प्रकाश, प्रो. एमपी जोशी, प्रो. शेखर चन्द्र जोशी, कुलानुशासक डॉ. मुकेश सामंत, डॉ. नंदन सिंह बिष्ट समेत तमाम प्राध्यापक, विद्वान, शोधार्थी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *