अल्मोड़ा : अंधविश्वास से दूरी और वैज्ञानिक सोच से जुड़ाव का आह्वान, वैज्ञानिक सोच दिवस मनाया

अल्मोड़ा, 20 अगस्त। भारत ज्ञान विज्ञान समिति, अखिल भारतीय पीपुल्स साइंस फोरम एवं एडवा संगठन ने संयुक्त रूप से डा. नरेंद्र अच्युत दाभोलकर की पुण्य…

अल्मोड़ा, 20 अगस्त। भारत ज्ञान विज्ञान समिति, अखिल भारतीय पीपुल्स साइंस फोरम एवं एडवा संगठन ने संयुक्त रूप से डा. नरेंद्र अच्युत दाभोलकर की पुण्य तिथि राष्ट्रीय वैज्ञानिक सोच दिवस के रूप में मनाई। इस मौके पर यहां थपलिया में विचार गोष्ठी आयोजित कर कहा कि डा. दाभोलकर ने अपना पूरा जीवन समाज में वैज्ञानिक सोच पैदा करने तथा अंधविश्वास व कुरीतियों को मिटाने में लगा दिया और वैज्ञानिक सोच के लिए संघर्ष करते हुए बलिदान कर दिया।
वक्ताओं ने कहा कि डॉ दाभोलकर ने डाक्टरी पेशा छोड़कर “अंध श्रद्धा निर्मूलन समिति” के संस्थापक बने और आजीवन संघर्ष करते रहे। उन्होंने कहा कि कोविड—19 के दौर में डॉ दाभोलकर इस मायने में प्रासंगिक है। उनका व्यक्त्त्वि समाजसेवा की सीख देता है। वर्तमान समय में कोविड-19 महामारी ने दुनियाभर के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के लिए चुनोती पेश की है और प्रतिरोधात्मक टीके खोजने में विश्व स्तर पर कार्य चल रहा है। वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने शुरू में सोच विचार कर निर्णय नहीं लिया और बिना किसी योजना के लाकडाउन कर दिया। बाद में दीप प्रज्वलन और थाली बजाने का काम करवाया लेकिन इससे कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने में कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि पारंपरिक इलाजों के नाम पर कोविड—19 के इलाज का झूठा प्रचार व छद्म वैज्ञानिक दावों व ट्रायल के बिना कई दवाएं बाजार में उतारने की कोशिश की। तभी वैज्ञानिकों, जागरूक नागरिकों के व्यापक विरोध के कारण स्वास्थ्य व आयुष मंत्रालयों को इन दावों को खारिज करने पर मजबूर होना पड़ा।
वक्ताओं ने कहा कि इस वक्त विज्ञान और तर्कसंगत विचार का अवमूल्यन हुआ और गुणवत्तापूर्ण चिकित्सकीय देखभाल करने की जिम्मेदारी से सरकार का विचलित हो गई। जो समाज को विचलित कर रहा है। इस मौके पर 23 जुलाई 2020 से 30 अगस्त 2020 तक चलाये गए राष्ट्रव्यापी सयुंक्त अभियान का हिस्सा बनकर डॉ नरेंद्र अच्युत दाभोलकर व कैप्टेन डॉ लक्ष्मी सहगल के संघर्ष को याद कर अंधविश्वास को दरकिनार करने का संकल्प लिया गया और संविधान में निहित वैज्ञानिक सोच को व्यापक रूप से आगे बढ़ाने की अपील जनमानस से की गई। गोष्ठी में डॉ सुशील तिवारी, राधा नेगी, अशोक पंत, अनिल कुमार, प्रमोद, सुनीता पांडे, पूनम तिवारी, भावना तिवारी, जया पांडे, ममता, हंसी देवी, जगुली देवी, सुभम प्रसाद, दिनेश पांडे, आदि लोगो ने भाग लिया। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ सुशील तिवारी व संचालन सुनीता पांडे ने किया।

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